मैं तुम से सच कहता हूँ

I Tell You the Truth

मैं तुम से सच कहता हूँ
By

Rev.J.Newton
रेव॰ जे॰ न्यूटोन
Published in Nur-i-Afshan October 03, 1889

नूर-अफ़शाँ मत्बूआ 3, अक्टूबर 1889 ई॰

मैं तुमसे सच कहता हूँ कि जब तक ये सब कुछ हो ना ले इस ज़माने के लोग गुज़र ना जाऐंगे। (मत्ती 24:34)

जब कि ख़ुदावंद यसूअ मसीह के शागिर्दों ने ख़ल्वत में उस से पूछा कि यरूशलेम की हैकल कब बर्बाद होगी और उस के (ख़ुदावंद यसूअ मसीह के) आने और ज़माने के आख़िर होने का निशान क्या है? तब ख़ुदावंद ने उस वाक़िया की ख़बर दी की जो यहूद की तवारीख़ में सबसे मशहूर वाक़ियात में से एक है जिसमें कि उस के इस दुनिया से आस्मान पर चले जाये के वक़्त से उस के फिर ज़मीन पर आने के और अपनी बादशाहत क़ायम करने के वक़्त का हाल बे कम व कासित मुन्कशिफ़ (थोड़े से थोड़ा ज़ाहिर होना) होता है। इन वाक़ियात का बहुत मुख़्तसर बयान हुआ है और उन में से बाअज़ का तो सिर्फ इशारा ही पाया जाता है। मसलन यरूशलेम का मुहासिरा होना और दुबारा बर्बाद होना।

(अव्वल)

तितुस से जैसा कि तवारीख़ के मुतालआ से मालूम होता है कि यसूअ मसीह के आस्मान पर चले जाने के (40 बरस) बाद वक़ूअ में आया।

(दोम)

जो दज्जाल से होगा। जिसका ज़माना ख़ुदावंद यसूअ मसीह की दूसरी आमद से कुछ पहले होगा। जैसा कि ज़करिया नबी की किताब के पढ़ने से वाज़ेह होता है। देखो (ज़करीयाह 14:1-4) तक और ताहम इन दोनों वाक़ियात का एक ही साथ ज़िक्र आया है और उन दोनों में मुवाफ़िक़त भी पाई जाती है। और दोनों वाक़ियात अगरचे एक का ज़माना दूसरे से बहुत दूर का था ऐसे बयान हुए कि दोनों की इबारत हर दो वाक़ियात पर सादिक़ ठहर सकती है। और ये तमाम ज़माना मुसीबत का ज़माना कहलाता है जिस का आख़िरी हिस्सा ऐसा सख़्ती वाला होगा कि जिसकी कोई नज़ीर (मिसाल) दी जा नहीं सकती वो बर्बादी कि जिसका ज़िक्र हुआ था आदमीयों की सज़ा के लिए तज्वीज़ हुई थी ख़ुसूसुन क़ौम यहूद को सज़ा देने के वास्ते उन की बदकारियों के सबब से जो हद से बढ़ती थीं। लेकिन वो कहता है उन दिनों की मुसीबतों के बाद फ़ौरन इब्न-ए-आदम का निशान आस्मान में ज़ाहिर होगा ओर तब वो ख़ुद आएगा और (34 आयत) में लिखा है कि, “जब तक ये सब कुछ हो ना ले इस ज़माने के लोग गुज़र ना जाऐंगे।” अब बाअज़ जो पाक कलाम बाइबल की इबारत व मुहावरह को समझते कहते हैं कि यसूअ मसीह की ये बातें कि जब तक सब कुछ ना हो ले इस ज़माने के लोग गुज़र ना जाऐंगे सच नहीं निकलीं क्योंकि वाक़ियात में इख़्तिलाफ़ पाया गया। और ये दावा करते हैं कि गो (1800 बरस) गुज़रे कि वो लोग जो उस ज़माने में ज़िंदा थे गुज़र गए पर मसीह की बाअज़ पैशन-गोइयाँ आज तक पूरी नहीं हुईं। ऐसे मोतरिज़ों को समझना चाहीए कि ये नहीं अल्फ़ाज़ ज़माना के लोग सिर्फ एक ही यूनानी लफ़्ज़ γενιά (गनिया) का तर्जुमा है जिसके मअनी अंग्रेज़ी (GENERATION) जनरेशन यानी पुश्त के हैं लेकिन अगर बाइबल को ग़ौर से पढ़ा जाये तो साफ़ मालूम होगा कि ये लफ़्ज़ सिर्फ उसी ज़माने के लोगों से जो उस वक़्त मौजूद हों मुराद नहीं बल्कि अक्सर उन से मुराद होता है जो कि एक सामज़ाज या एक सी ख़सलत रखते हों ख़्वाह वो एक ही ज़माने के लोग हों या ना हों चुनान्चे (ज़बूर 24:6) में मर्क़ूम है कि ये वो गिरोह (जनरेशन) है जो उस की तालिब है। यानी वो ख़ुदा की तालिब है और फिर लिखा है कि उस की नस्ल (जनरेशन) ज़मीन पर ज़ोर-आवर होगी। (ज़बूर 114:4) फिर देखो ईसाईयों की बाबत कहा गया है कि तुम चुना हुआ ख़ानदान (जनरेशन) हो। (1 पतरस 2:9) और फिर (ज़बूर 73:15) में कहा है अगर मैं कहता कि यूं बयान करूँगा तो देख कि मैं तेरी औलाद की गिरोह जनरेशन से बेवफाई करता है और फिर देखो (अम्साल 30:11-14) ये लफ़्ज़ मुख़्तलिफ़ क़िस्म का गुनाह-गारों के बयान में चार दफ़ाअ इस्तिमाल किया गया है एक पुश्त जनरेशन ऐसी है जो अपने बाप पर लानत करती है और अपनी माँ को मुबारक नहीं कहती। एक पुश्त (जनरेशन) ऐसी है जो अपनी निगाह में पाक है लेकिन उस की गंदगी उस से धोई नहीं गई। एक पुश्त (जनरेशन) ऐसी है कि वाह-वाह क्या ही बुलंद नज़र है और उनकी पलकें ऊपर को रहती हैं। एक पुश्त (जनरेशन) ऐसी है कि जिसके दाँत तल्वारें हैं और दाढ़ हैं छुरियां ताकि ज़मीन के मिस्कीनों को काट खाए और गुनाहगारो को ख़ल्क़ में से फ़ना कर दे। फिर यर्मियाह नबी कहता है कि ख़ुदावंद ने उस नस्ल (जनरेशन) को जिस पर उस का क़हर भड़का था मर्दूद किया और तर्क कर दिया है। (यर्मियाह 7:29) यानी उन लोगों को जो बसबब बुत परस्ती के उस के क़हर के लायक़ ठहरे थे मूसा भी इस्राईल को कजरवावर गर्दनकश क़ौम जनरेशन कहता है (इस्तिस्ना 32:5) ये उन लोगों की निस्बत कहा गया था जो आख़िरी ज़माने में होंगे जिनकी बाबत उस ने कहा कि वो ख़ुदा की नज़र में बदी करेंगे। इस आयत का (इस्तिस्ना 31:29) मुक़ाबला करो। “यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने फ़रीसियों और सदूकियों को साँपों के बच्चे (जनरेशन) कहा” जहां कि यही लफ़्ज़ इस्तिमाल किया गया है (मत्ती 3:7) और फिर ख़ुदावंद यसूअ मसीह ने क़ौम यहूद की सख़्त बेदीनी की बाबत मिसाल दी जो (मत्ती 12:43-45) आयतों तक मुंदरज है वो मिसाल एक बदरूह की बाबत थी जो एक आदमी पर से उतरी है लेकिन फिर दुबारा उस के दिल में जाती है ना सिर्फ अकेली बल्कि सात और रूहें जो अज़हद बुरी हों साथ ले जाती है और कहा कि इस ज़माने के लोगों जनरेशन का हाल भी ऐसा ही होगा ये तमाम क़ौम पर आइद होता है जो बुत-परस्ती की आदत को छोड़ कर बाइबल की असीरी के वक़्त यसूअ मसीह से (500 बरस) पेशतर फ़ौरन हर क़िस्म की शरारत में फिर मुब्तला हो गई। ये शरारत करने वाली नस्ल थी और बदतर होती गई जब तक कि उस की बाबत ये कहा गया जैसा कि पौलुस रसूल ने कहा कि जिन्हों ने ख़ुदावंद यसूअ और अपने नबियों को मार डाला और हमें सुनाया और वो ख़ुदा को ख़ुश नहीं करते और सारे आदमीयों के मुख़ालिफ़ हैं। और इसलिए कि उस के गुनाह हमेशा कमाल को पहुंचे हैं वह हमको मना करते हैं कि हम ग़ैर क़ौमों को वो कलाम ना सुना दें जिससे उनकी नजात हो। क्योंकि उन पर ग़ज़ब इंतिहा को पहुंचा। (1 थिस्स्लिनिकीयों 2:15-16) ये शरीर नस्ल है जिसकी बाबत यसूअ मसीह ने लिखा है कि वो शरारत के फ़र्ज़ंद (जनरेशन) हैं मुंदरजा-बाला बाइबल की आयतें जो पेश की गई हैं इस बात के साबित करने के लिए कि लफ़्ज़ generation किसी ख़ास ज़माने के लोगों ही पर नहीं लगाया जाता बल्कि एक वैसी ही ख़सलत के लोगों पर जो किसी दूसरे ज़माने में हों आइद होता है। और हक़ीक़त में (मत्ती 24:34) का यही मतलब है। ख़ुदावंद मसीह ने कौम यहूद का ज़िक्र किया था कि बसबब उन की बेदीनी के उन पर ख़ौफ़नाक मुसीबतें आ पड़ेंगी और कहा गया कि अगर ख़ुदा उस वक़्त को ना घटाता तो एक तन नजात ना पाता लेकिन उन में से उन लोगों की ख़ातिर जो चुने हुए थे वो वक़्त को घटाएगा और बाअज़ उन में से ज़िंदा बचे रहेंगे जब तक कि मुसीबत का ज़माना गुज़र ना जाये और इब्न-ए-आदम आस्मान से ना आए ताकि ज़मीन पर रास्तबाज़ी की सल्तनत क़ायम करे इन्ही माअनों में उस ने कहा कि जब तक ये सब कुछ ना हो ले पुश्त (जनरेशन) गुज़र ना जाएगी। पस जब कि मसीह दूसरी दफ़ाअ आएगा तब वह उस की बादशाहत के क़ाबिल होंगे। और उस वक़्त वो शरारत और ग़र्दनकशी से पछताएँगे और वावीला करेंगे। और ख़ुसूसुन वो इस बात से पछताएँगे कि क्यों उन्होंने उसे रद्द किया और मस्लूब किया था और जब वो उसे देखेंगे वो चिल्लाऐंगे और कहेगे कि मुबारक वो जो ख़ुदावंद के नाम पर आता है (मत्ती 23:39) उस वक़्त से वो कभी फिर शरीर पुश्त नहीं कहलाएँगे। इस सबब से मोअतरिज़ का ये कहना कि इस वाक़िये में इख़्तिलाफ़ रहा और ये कि ये बात मसीह ना ठहरी ठीक नहीं। यहूदी एक ऐसी क़ौम है जो ख़ुदावंद यसूअ मसीह पर ईमान नहीं लाई और अगरचे वो ख़ौफ़नाक मुसीबत जो हो गी उन के शुमार को बहुत घटा देगी ताहम तमाम बर्बाद ना होगी और गुज़र जाएगी जब तक कि इब्न-ए-आदम ना आए और तमाम दूसरी बातें जो बतौर पैशनगोई के कही गईं थीं पूरी ना हों।

राक़िम

(पादरी) जय न्यूटन