मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह बिन नमीर, अबी आमिश, अबू सालिह हज़रत अबू हुरैरा रज़ीअल्लाह तआला अन्हो से रिवायत है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया मियाना
Salvation with Works is Impossible?
By
One Disciple
एक शागिर्द
Published in Nur-i-Afshan January 15, 1891
नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 15 जनवरी 1891 ई॰
बुख़ारी और मुस्लिम में अबू हुरैरा से रिवायत है कि मुहम्मद साहब ने फ़रमाया,
सही मुस्लिम, जिल्द सोम, मुनाफ़क़ीन की सिफ़ात और उनके अहकाम का बयान। हदीस 2616
कोई भी अपने आमाल से जन्नत में दाख़िल ना होगा, बल्कि अल्लाह-तआला की रहमत से जन्नत में दाख़िल होने के बयान में।
रावी : मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह बिन नमीर, अबी आमिश अबू सालिह अबू हुरैरा
حَدَّثَنَا مُحَمَّدُ بْنُ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ نُمَيْرٍ حَدَّثَنَا أَبِي حَدَّثَنَا الْأَعْمَشُ عَنْ أَبِي صَالِحٍ عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ قَالَ قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّی اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَارِبُوا وَسَدِّدُوا وَاعْلَمُوا أَنَّهُ لَنْ يَنْجُوَ أَحَدٌ مِنْکُمْ بِعَمَلِهِ قَالُوا يَا رَسُولَ اللَّهِ وَلَا أَنْتَ قَالَ وَلَا أَنَا إِلَّا أَنْ يَتَغَمَّدَنِيَ اللَّهُ بِرَحْمَةٍ مِنْهُ وَفَضْلٍ
मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह बिन नमीर, अबी आमिश, अबू सालिह हज़रत अबू हुरैरा रज़ीअल्लाह तआला अन्हो से रिवायत है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया मियाना रवी इख़्तियार करो और सीधी राह पर गामज़न रहो और जान रखो, कि तुम में कोई भी अपने आमाल से नजात हासिल ना करेगा। सहाबा ने अर्ज़ किया, ऐ अल्लाह के रसूल आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम भी नहीं, आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया मैं भी नहीं, मगर ये कि अल्लाह मुझे अपनी रहमत और फ़ज़्ल से ढाँप लेगा।
Abu Huraira reported Allah’s Messenger (may peace be upon him) as saying: Observe moderation in deeds (and if it is not possible, try to be near moderation) and understand that none amongst you can attain salvation because of his deeds alone. They said: Allah’s Messenger, not even you? Thereupon he said: Not even I, but that Allah should wrap me in His Mercy and Grace.
हम देखते हैं कि मुहम्मद साहब के हक़-बर-ज़बान (ज़बान पर सच) जारी था, लेकिन अफ़्सोस ये है कि ख़ुदा के फ़ज़्ल व रहमत में ढाँपे जाने का तरीक़ा या तो हज़रत को ख़ुद मालूम ना हुआ या मालूम था तो उम्दन-बदीं (जान-बूझ कर चालाकी से) ख़्याल कि मेरी फ़ज़ीलत में कुछ फ़र्क़ आएगा, तरीक़ा हुसूल-ए-फ़ज़्ल से चश्मपोशी (देखकर टाल जाना) की और ना अपने पैरौ (पीछे चलने वाले) को बतलाया। हालाँकि वो किताब जिसके हक़ में आपने ख़ूद गवाही दी और फ़रमाया :
وَقَفَّيْنَا عَلَىٰ آثَارِهِم بِعِيسَى ابْنِ مَرْيَمَ مُصَدِّقًا لِّمَا بَيْنَ يَدَيْهِ مِنَ التَّوْرَاةِ وَآتَيْنَاهُ الْإِنجِيلَ فِيهِ هُدًى وَنُورٌ وَمُصَدِّقًا لِّمَا بَيْنَ يَدَيْهِ مِنَ التَّوْرَاةِ وَهُدًى وَمَوْعِظَةً لِّلْمُتَّقِينَ۔
और उन पैग़म्बरों के बाद उन्ही के क़दमों पर हमने ईसा बिन मर्यम को भेजा जो अपने से पहले की किताब तौरात की तस्दीक़ करते थे और उनको इन्जील इनायत की, जिसमें हिदायत और नूर है और तौरात की जो इस से पहली किताब है तस्दीक़ करती है, और परहेज़गारों को राह बताती और नसीहत करती है। (सूरह माइदा आयत 46)
परहेज़गारों के लिए इंज़िल मन-क़ब्ल पहले से उतारी गई मौजूद थी, तो भी उस से बहिश्त में दाख़िल होने के लिए हिदायत और नूर व मवाअज़त (नसीहत) हासिल ना किया और अपने पैरौं (मानने वालों) को भी महरूम रखा। क्या उस वक़्त मुहम्मद साहब के कान तक यहयाह बिन ज़करीयाह की गवाही ना पहुंची थी जो, “यूं कह के पुकारा कि ये (ईसा) वही है जिस के हक़ में मैंने कहा कि मेरे पीछे आने वाला मुझसे मुक़द्दम (बरतर) हुआ क्योंकि वो मुझसे पहले था और उस की भर पूरी से हम सबने फ़ज़्ल पर फ़ज़्ल पाया, क्योंकि शरीअत मूसा की मार्फ़त दी गई पर फ़ज़्ल और रास्ती यसूअ मसीह से पहुंची। (यूहन्ना 1:15-17) काश कि मुहम्मद साहब उस फ़ज़्ल व रहमत से जिससे ढापने जाने की आरज़ू रखते थे, उन नजात बख़्श फ़ज़्ल की बातों को क़ुबूल करते और पैरौं (मानने वालों) को।
وَاعْلَمُوا أَنَّهُ لَنْ يَنْجُوَ أَحَدٌ مِنْکُمْ بِعَمَلِهِ
तुम में कोई भी अपने आमाल से नजात हासिल ना करेगा। कहकर बहालत शक व मायूसी ना छोड़ते।