“बरअक्स इस के जो ईमान लाएँगे उनके साथ अलामतें होंगी, कि वो मेरे नाम से देवों (बद रूहों) को निकालेंगे और नई ज़बान बोलेंगे, साँपों को उठा लेंगे, और अगर कोई हलाक करने वाली चीज़ पियेंगे उन्हें कुछ नुक़्सान ना होगा। वो बीमारों पर हाथ रखेंगे तो चंगे हो जाऐंगे।”
Mark Chapter 16
मर्क़ुस 16 बाब
By
One Disciple
एक शागिर्द
Published in Nur-i-Afshan May 25, 1894
नूर-अफ्शाँ मत्बूआ 25 मई 1894 ई॰
“बरअक्स इस के जो ईमान लाएँगे उनके साथ अलामतें होंगी, कि वो मेरे नाम से देवों (बद रूहों) को निकालेंगे और नई ज़बान बोलेंगे, साँपों को उठा लेंगे, और अगर कोई हलाक करने वाली चीज़ पियेंगे उन्हें कुछ नुक़्सान ना होगा। वो बीमारों पर हाथ रखेंगे तो चंगे हो जाऐंगे।”
अब इन बातों का ये मतलब नहीं है, कि हर एक ईमान लाने वाले शख़्स में ये सब बातें पाई जाएँगी बल्कि ये कि किसी में देवओं के निकालने की ताक़त, और किसी में बीमारों को अच्छा करने की क़ुव्वत, और किसी में साँपों के उठा लेने की क़ुद्रत और किसी में नई ज़बानों के बोलने की लियाक़त (क़ाबिलीयत) और कोई ऐसा भी है जिसमें दो या तीन बातें पाई जाती हैं। देवओं का निकालना, ज़बान भी बोलना, बीमार को हाथ रखकर चंगा करना तो ये ईमान की ख़ूबी है। जैसा जिसका ईमान है वैसा ही क़ुद्रत व क़ुव्वत उस को इनायत होती है। और ये बातें मसीह ने अपने बारह शागिर्दों से फरमाईं। क्या उन्हों ने ऐसी क़ुद्रत नहीं दिखाई? ज़रूर दिखाई चुनान्चे इन्जील में ज़ाहिर है। और क्या बारह रसूलों के सिवा और शागिर्दों ने ऐसी करामातें (अनोखापन) नहीं दिखाईं? देखो आमाल 16_18 और क्या नई ज़बानें शागिर्दों ने नहीं बोलीं? (आमाल 10_46) क्या पौलुस ने साँप को नहीं उठाया? फिर ये शैतान से भी एक मिसाल है कि शैतान और उस के फ़रज़न्दों को उठा कर फेंक दिया। (आमाल 28_5) और क्या बीमारों को चंगा नहीं किया? (आमाल 28:8-9) ये सब मसीह के बाद हुआ। क्योंकि मसीह ने आने वाले ज़माने की बाबत कहा था, कि जो ईमान लाएँगे, ऐसा करेंगे। और क्या इस ज़माने में ऐसा नहीं होता है? ज़रूर जैसा जिसका ईमान होता है, वैसा ही उस के लिए ज़हूर में आता है। इन्सान में जो शैतान देव (बद रूह) सुकूनत करता है, जिससे वो उस का ग़ुलाम बन जाता है। उस को मसीह की मुनादी कर के दूर कर देते हैं। और मसीह की तरफ़ फ़िराते और ख़ुदा का बंदा बनाते हैं। क्योंकि मसीह ने यूं नहीं फ़रमाया, कि देवओं को उसी वक़्त दूर करेंगे बल्कि यूं फ़रमाया, कि ऐसा करेंगे। ऐसा ही पौलुस की बाबत और दूसरे शागिर्दों की बाबत भी फ़रमाया, अब हमको ये मालूम नहीं होता कि उन्हों उसी वक़्त शैतान को दूर किया, और बीमारों को भी एक दम चंगा किया, अगर फ़र्ज़ करो कि एक दम, या उसी वक़्त दूर किया तो उनका ईमान पूरा था। जैसा उनका ईमान मसीह के ऊपर पूरा था वैसा ही उन्हों ने किया। और अब जैसा ईमान मसीह पर है वैसा ही होता है। मगर तो ज़रूर हैं क्या अब ईमानदार मसीह के नाम से बीमारों को चंगा नहीं करते? ज़रूर करते हैं उनके लिए दुआ मांगा करते, और उन के पास जाकर उन पर दुआ व बरकत का हाथ रखते, और ख़ुदा के फ़ज़्ल से बीमार चंगे हो जाते हैं। और क्या शैतान यानी साँप को अपने पास से उठा कर फेंक नहीं देते हैं? जब उन के पास शैतान आता और बुरे ख़याल उन के दिल में डालता, और ख़ुदा की याद से ग़ाफ़िल करता तो वो उसे उठा कर अपने से दूर फेंक देते हैं। और क्या नई ज़बान यानी फ़रिश्तों की ज़बान नहीं बोलते हैं जो कभी सुनी ना थी? दर-हक़ीक़त पहले तो हम शैतानी ज़बान बोलते थे मगर अब मसीह के ऊपर ईमान ला ने से और उस के नाम से नई ज़बान बोलते थे और पाक बातें अपनी ज़बान या मुंह से निकाते और यसूअ नासरी और क़ुद्दूस क़ुद्दूस पुकारते, और रूहानी गीत और ग़ज़लें गाते, और अंग्रेज़ी टोन और हिन्दुस्तानी में उसकी हम्दसराई करते हैं।