बरकत और लानत के हक़दार

और ख़ुदावन्द ने अबराहाम को कहा था कि तू अपने मुल्क और अपने क़राबतियों (रिश्तेदारों) के दर्मियान से और अपने बाप के घर से उस मुल्क में जो मैं तुझे दिखाऊँगा निकल चल। और मैं तुझे एक बड़ी क़ौम बनाऊँगा और तुझको मुबारक और तेरा नाम बड़ा करूँगा। और तू एक बरकत होगा। और मैं उनको जो तुझे बरकत देते हैं बरकत दूंगा।

Deservers of Blessing and Curse

बरकत और लानत के हक़दार

By

One Disciple
एक शागिर्द

Published in Nur-i-Afshan October 11, 1895

नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 11 अक्तूबर 1895 ई॰

और ख़ुदावन्द ने अबराहाम को कहा था कि तू अपने मुल्क और अपने क़राबतियों (रिश्तेदारों) के दर्मियान से और अपने बाप के घर से उस मुल्क में जो मैं तुझे दिखाऊँगा निकल चल। और मैं तुझे एक बड़ी क़ौम बनाऊँगा और तुझको मुबारक और तेरा नाम बड़ा करूँगा। और तू एक बरकत होगा। और मैं उनको जो तुझे बरकत देते हैं बरकत दूंगा। और उस को जो तुझ पर लानत करता है लानती करूँगा। और दुनिया के सब घराने तुझसे बरकत पाएँगे। पैदाइश 12 बाब 1 से 2 आयत तक।

ख़ुदावन्द ने इज़्हाक़ को कहा, तू इस ही ज़मीन में बूदो बाश (सुकूनत, क़ियाम) कर कि मैं तेरे साथ हूँगा और तुझे बरकत बख्शूंगा। क्योंकि मैं तुझे और तेरी नस्ल को ये सब मुल्क दूंगा। और मैं उस क़सम को जो मैंने तेरे बाप अबराहाम से की है। वफ़ा करूँगा और मैं तेरी औलाद को आस्मान के सितारों की मानिंद वाफ़र (बहुत ज़्यादा) करूँगा। और ये सब मुल्क तेरी नस्ल को दूंगा। और ज़मीन की सब कौमें तेरी नस्ल से बरकत पाएँगी। पैदाइश 26 आयत।

हज़रत इज़्हाक़ ने अपने बेटे याक़ूब को ये बरकत बख़्शी। ख़ुदा आस्मान की ओस और ज़मीन की चिकनाई। और अनाज और मय की ज़्यादती तुझे बख़्शे। कौमें तेरी ख़िदमत करें गिरोहें तेरे आगे झुकें। तू अपने भाईयों का ख़ुदावन्द (आक़ा) हो और तेरी माँ के बेटे तेरे आगे ख़म (झुकना) हों। हर एक जो तुझ पर लानत करे मलऊन (लानती) हो मगर वो जो तेरे लिए बरकत चाहे मुबारक हों। पैदाइश 27 बाब 29, 28 आयत।

हज़रत याक़ूब ने अपने बेटे यहूदाह को ये बरकत बख़्शी थी। ऐ यहूदाह तेरे भाई तेरी मदह (सताइश) करेंगे। तेरा हाथ तेरे बैरियों (दुश्मनों) की गर्दन में होगा। तेरे बाप की औलाद तेरे हुज़ूर झुकेंगी। यहूदाह शेर-ए-बब्बर का बच्चा है। ऐ बेटे तू शिकार पर से उठ चला है। वो शेर बब्बर बल्कि पुराने शेर बब्बर की मानिंद झुकता और बैठता है। कौन उस को छेड़ेगा? यहूदाह से रियासत का असा जुदा ना होगा। और ना हाकिम उस के पांव के दर्मियान से जाता रहेगा। जब तक कि शैल्वा ना आए और कौमें उस के पास इकट्ठी होंगी। पैदाइश 49 आयत।

फिर बनी-इस्राईल ने कुच किया और मूआब के मैदानों में नहर यर्दन के उस पार यरीहू के मुक़ाबिल खे़मे खड़े किए। और सफ़ोर के बीते बुलक ने वो सब जो इस्राईल ने अमूरियों से किया देखा तब मूआब उन लोगों से निपट (मुकम्मल तौर से) डरा कि वो बहुत थे। और मूआब बनी-इस्राईल के सबब से परेशान हुआ। और मूआब ने मिद्यान के बुज़ुर्गों से कहा कि अब ये गिरोह उन सबको जो हमारे आस-पास हैं यूं चाट (खा जाना, ख़त्म देना) जाएगी। जैसे बैल मैदान की घास को चाट (खा) लेता है। इस वक़्त सफ़ोर का बेटा बुलक मूआबीयों का बादशाह था। सो उसने बावर के बीते बलआम के पास फ़नूर को जो उस की क़ौम वालों की सर-ज़मीन में नहर के किनारे पर था क़ासिद भेजे ताकि उसे ये कह के बुला लाएं, कि देखो एक क़ौम मिस्र से बाहर आई है देख उनसे ज़मीन की सतह छुप गई है और वो मेरे मुक़ाबिल मुक़ाम करते है। सो अब आईए और मेरी ख़ातिर से उन लोगों के हक़ में बद-दुआ कीजिए कि वो मुझसे बहुत क़वी (ताक़तवर) हैं। शायद कि मैं ग़ालिब (ज़ोर-आवर) आके उन्हें मार सकूँ। और उन्हें इस ज़मीन पर से हटा दूँ। कि मैं यक़ीन जानता हूँ जिसे तू बरकत देता है उसे बरकत होती। और जिस पर तू लानत करता वो लानती हुआ। सो मूआब के मशाइख़ (लोग) और मिद्यान के बुज़ुर्ग जादू की मज़दूरी हाथ में लेकर रवाना हुए। और बलआम के पास आए। और बुलक का पैग़ाम उसे पहुंचाया। उसने उन्हें कहा कि आज रात तुम यहां रहो और जैसा ख़ुदावन्द मुझे फ़रमाएगा। मैं तुम्हें कहूँगा।

चुनान्चे मूआब के अमीरों ने बलआम के यहां क़ियाम किया। तब ख़ुदा बलआम के पास आया और उस से कहा ये कौन आदमी हैं जो तेरे पास हैं। बलआम ने ख़ुदा को जवाब दिया कि सफ़ोर के बेटे बुलक ने जो मूआब का बादशाह है। मेरे पास कहला भेजा है कि देख एक क़ौम है जो मिस्र से निकल आती है और उनसे ज़मीन की सतह छिप गई। तू मेरी ख़ातिर उनके हक़ में बददुआ कर। शायद मैं उन पर ग़ालिब आ सकूं। और उन्हें भगा दूँ। तब ख़ुदा ने बलआम को कहा तू उनके साथ मत जा। तू उन लोगों के हक़ में बद दुआ ना करना। इसलिए कि वो मुबारक हैं। बलआम ने सुबह को उठ कर बुलक के अमीरों से कहा तुम अपनी सर-ज़मीन को जाओ क्योंकि ख़ुदावन्द मुझे तुम्हारे साथ जाने की इजाज़त नहीं देता। और मूआब के सरदार उठे और बुलक के पास गए। और बोले कि बलआम हमारे साथ आने से इन्कार करता है। गिनती 22 बाब 1 से 14 आयत तक।

बुलक ने बलआम को फिर बुलवा भेजा और बड़ी दौलत व इज़्ज़त का वाअदा किया। बलआम लालच के मारे चला गया। मगर ख़ुदा ने जो कुछ उस के मुँह से बनी-इस्राईल के मुबारक होने की बाबत गवाही दिलाई वो ये है :-

पहली दफ़ाअ : तब ख़ुदावन्द ने एक बात बलआम के मुँह में डाली और उसे कहा बुलक के पास जा और उस को यूं कह। सो वो उस के पास फिर आया और क्या देखता है कि वो अपनी सोख़्तनी क़ुर्बानी के नज़्दीक मूआब के सब अमीरों समेत खड़ा है। तब उसने अपनी मिस्ल कहनी शुरू की। मूआब के बादशाह बुलक ने आराम से पूरब के पहाड़ों से मुझको बुलवाया। आओ याक़ूब को मेरी ख़ातिर से बद दुआ करो और आओ इस्राईल को बुरा कहो। मैं क्योंकर उस को ये बद दुआ करूँ जिसको ख़ुदा ने बद दुआ नहीं की। या उस को बुरा कहूँ जिसको ख़ुदा ने बुरा नहीं कहा। क्योंकि चट्टानों की चोटी पर से मैं उस को देखता हूँ और टीलों पर से मैं उसे ताकता हूँ। देख ये लोग अकेले सुकूनत करेंगे। और क़ौमों के दर्मियान वो शुमार ना किए जाऐंगे याक़ूब की गर्द के ज़र्रों को कौन गिन सकता है। और इस्राईल की चौथाई कौन शुमार कर सकता है। काश के मैं सादिकों की मौत मरूँ और मेरी आख़िरत) उस की सी हो। गिनती 23 बाब 5 से 10 आयत तक।

दूसरी दफ़ाअ : तब बुलक ने उस से पूछा ख़ुदावन्द ने क्या फ़रमाया तब बलआम ने अपनी मिस्ल कहनी शुरू की और बोला। उठ ऐ बुलक और सुन ऐ सफ़ोर के बेटे मेरी तरफ़ कान धर ख़ुदा इन्सान नहीं जो झूट बोले ना आदमी ज़ाद है कि पशेमान (शर्मिंदा) होए। क्या उसने जो कुछ कहा है सो बजा ना लाएगा। और जो कुछ फ़रमाया है क्या उसे पूरा ना करेगा। देख मैंने हुक्म पाया कि बरकत दूँ। उसने बरकत दी है मैं उसे बदल नहीं सकता। वो याक़ूब में बदी नहीं पाता। ना इस्राईल में फ़साद (झगड़ा) देखता है। ख़ुदावन्द उस का ख़ुदा उसके साथ है। और बादशाह की धूम उनके दर्मियान है। ख़ुदा उन्हें मिस्र से निकाल लाया। उस का गेंडे का सा ज़ोर है। कोई अफ़्सून (जादू) याक़ूब पर नहीं चलता। कोई बद-ख़्याली इस्राईल के बर-ख़िलाफ़ नहीं। चुनान्चे उसी वक़्त याक़ूब के और इस्राईल के हक़ में ये कहा जाएगा, कि ख़ुदा ने क्या किया। देख ये लोग भारी सिंह (शेर) के तौर से खड़े होंगे। और वो आपको जवान सिंह (शेर) की तरह उठाएगा। वो ना सोएगा जब तक कि शिकार ना खा ले और जब तक कि मार के उस का लहू ना पी ले। गिनती 23 बाब 17 से 24 आयत तक।

तीसरी दफ़ाअ : जब बलआम ने देखा कि इस्राईल को बरकत देना ख़ुदावन्द को ख़ुश आया तो वो अब की बार जैसा आगे शगुन (फ़ाल) के खोज में जाता था ना गया। बल्कि ब्याबान की तरफ़ तवज्जोह की। और बलआम ने अपनी आँखें उठाईं और इस्राईल को देखा कि अपने फ़िर्क़ों (क़बीलों) की तर्तीब पर ठहरा है। तब रूह अल्लाह इस पर नाज़िल हुई। और वो अपनी मिस्ल ले चला और बोला बाऊर का बेटा बलआम कहता है, हाँ वो शख़्स जिसकी आँखें खुल गईं हैं कहता वो जिसने ख़ुदा की बातें सुनीं और क़ादिर-ए-मुतलक़ की रोया को देखा है। सोया पड़ा था। पर उस की आँखें खुली थीं कहता है। क्या ही जो हैं तेरे खे़मे ऐ याकूब और तेरे मस्कन ऐ इस्राईल फैले हुए हैं। वादीयों की तरह से और लबे दरिया के बाग़ों के तूर जैसे ऊद के दरख़्त जो ख़ुदावन्द ने लगाए हों और जैसे देवदार के दरख़्त जो पानी के किनारे हों। और वो अपने मोटों से पानी बहाएगा और उस का बीज बहुत से पानियों में होगा। उस का बादशाह अगाग से बुज़ुर्ग होगा और उस की बादशाहत बुलंद होगी। ख़ुदा उस को मिस्र से बाहर निकाल लाया उस में गेंडे की सी क़ुव्वत है। वो क़ौमों को जो उस के दुश्मन हों खा जाएगा। और उन की हड्डियां तोड़ डालेगा। और अपने नेज़ों से उन्हें छेदेगा। वो झुकता है और सिंह (शेर) की मानिंद बल्कि भारी सिंह (शेर) की तरह बैठ जाता। उस को कौन उठा सकता है। मुबारक है वो जो तुझे मुबारक कहे और मलऊन (लानती) है वह जो तुझ पर लानत करे। गिनती 24 बाब उसे 9 आयत तक।

83 ज़बूर

ऐ ख़ुदा चुप मत हो ख़ामोशी मत कर। और चेन ना ले ऐ ख़ुदा। क्योंकि देख तेरे दुश्मन (इस़्माईली, हाजिरी) वग़ैरह ख़ुदा के दुश्मन धूम मचाते हैं। और उन्होंने जो तेरा कीना (दुश्मनी) रखते हैं सर उठाया है वो चतुराई (चालाकी) से तेरे लोगों (बनी-इस्राईल) पर मन्सूबा बाँधते हैं और तेरे छुपाए हुओं के ख़िलाफ़ मश्वरत करते हैं। वो कहते हैं कि आओ इनको उखाड़ डालें कि उनकी क़ौम ही न रहे। और इस्राईल का नाम फिर ज़िक्र में ना आए। क्योंकि उन्होंने एका कर के जी (दिल) से मश्वरत की है और तेरी मुख़ालिफ़त में अहद बाँधा है। अदूम के अहले-ख़ेमा और मूआबी और हाजिरी (अरब के बाशिंदे) और जबल और अम्मोन और अमालेक और फ़िलिस्तीन और सूर के बाशिंदों समेत मुत्तफ़िक़ हैं। असूर भी उनमें शामिल है। उन्होंने बनी लूत की मदद में अपने हाथ बढ़ाए सलाह। तू (ऐ ख़ुदा) उन से (इस़्माईलियों हाजिरियों वग़ैरह) से ऐसा कर कि जैसा तू ने मिदयानियों, और सेसरा और याबीन से वादी-ए-केसून में किया जो एन दौर में हलाक हुए। वो ज़मीन की खाद हो गए। और बनी-इस्राईल ने मिदयानियों से लड़ाई की जैसा ख़ुदावन्द ने मूसा को फ़रमाया था और सारे मर्दों को क़त्ल किया।

मिद्यान के पाँच बादशाहों को जान से मारा। और बनी-इस्राईल ने मिद्यान की औरतें और उनके बच्चों को असीर (क़ैदी) किया। और उनके मवेशी और भेड़ बक्री और माल व अस्बाब सब कुछ लूट लिया। और उनके सारे शहरों को जिनमें वो रहते थे। और उनके सब क़ल्ओं को फूंक दिया। गिनती 1:3 बाब 7, 8, 9, 10 आयत। तब ख़ुदावन्द ने सेसरा को और उस के सारी रथों और उस के सारे लश्कर को तल्वार की धार से बर्क़ के सामने शिकस्त दी। चुनान्चे सेसरा का सारा लश्कर तल्वार से मांद पड़ा और एक भी ना बचा। तब हेब्रकेनी की जोरू याइल ने खे़मे की एक मेख़ उठाई और एक सेख़ को हाथ में लिया और दबे-पाँव सेसरा पास जा के और मेख़ उस की कनपटी पर धर के ऐसी गाड़ी कि ज़मीन में जा धंसी क्योंकि वो भारी ख्व़ाब में था। और मांदा हो गया था। सो वो मर गया। क़ज़ात 4 बाब 15, 16, 21 आयत। और बनी-इस्राईल के हाथ निहायत ज़ोर पकड़ चले कि कनआन के बादशाह याबीन पर ग़ालिब हुए यहां तक कि उन्हों ने शाह कनआन याबीन को नेस्त कर डाला। (कज़ात 4 बाब 24 आयत) उन्हें (इस़्माईलियों हाजिरियों वग़ैरह) को हाँ उन के अमीरों को औरेब और ज़ईब की मानिंद करो। और उन्होंने मिद्यान को दो सरदारोँ औरेब और ज़ईब को पकड़ा। और औरेब को औरेब की चट्टान पर और ज़ईब को ज़ईब के कोलहू के पास क़त्ल किया और मिद्यान को रगीदा और औरेब और ज़ईब के सरीर दिन के पार जदऊन के पास लाए। कज़ात 7:25 आयत। बल्कि उनके सारे सरदारोँ को ज़िबह और ज़ुल्मना की मानिंद करो। सो जब ज़िबह और ज़ुल्मना भागे तो जदाऊन ने उन्हें रगीदा और उन मिदयानी बादशाहों ने ज़िबह और ज़ुल्मना को पकड़ा और सारे लश्कर को परेशान किया। सो जदाऊन ने उठ के ज़िबह और ज़ुल्मना को क़त्ल किया। (कज़ात 8 बाब 12, 13 आयत) जिन्हों ने कहा है कि आओ ख़ुदा के घरों के (जिनमें बनी-इस्राईल रहते हैं) हम मालिक बनें। ऐ मेरे ख़ुदा तू उन्हें (इस़्माईलियों, हाजिरों वग़ैरह) को गर्द बाद के मानिंद कर। और भूस की मानिंद रुबुर्द हवा के। जिस तरह आग जंगल को जलाती है और जिस तरह शोला पहाड़ों को झुलस देता है। इसी तरह तू अपनी आंधी से उन का पीछा कर और अपने तूफ़ान से उन्हें परेशान कर। ऐ ख़ुदावन्द उनके मुँह को रुस्वाई से भर दे। ताकि लोग तेरे नाम के तालिब हों। ऐ लोगो (इस़्माईली, हाजिरी वग़ैरह) अब तक शर्मिंदा और परेशान हों हाँ वो रुस्वा हों और फ़ना हो जाएं। और लोग जानें कि तू ही अकेला जिसका नाम यहोवा है सारी ज़मीन पर बुलंद व बाला है।

ख़ुदा की तरफ़ से अगर इस़्माईली बरकत का वारिस होता तो हज़रत दाऊद जैसा ख़ुदा का बर्गुज़ीदा (चुना हुआ) शख़्स उस की औलाद को बुत-परस्तों के साथ कर के उन पर ऐसी ऐसी सख़्त नेअमतें ना करता। क्योंकि हज़रत दाऊद ख़ुदा और उस के लोगों की कमाल इज़्ज़त करने वाला आदमी था। साऊल अगरचे ख़ुदा का गुनेहगार और दाऊद की जान का दुश्मन भी बन गया था। मगर हज़रत दाऊद ने उस अदब के सबब से कि साऊल पहले भी एक दफ़ाअ ख़ुदा की तरफ़ से ममसूह हो चुका था। उस को मारने पर हाथ नहीं उठाया। सो दाऊद और अबेशे रात को लश्कर में घुसे और देखो उस वक़्त साऊल अहाते में पड़ा हुआ सोता था। उस का नेज़ा उस के सिरहाने ज़मीन में गड़ा था और अबनीर और अहले लश्कर उस के गिर्द पड़े हुए थे। इस दम अबेशे ने दाऊद को कहा ख़ुदा ने आज के दिन तेरे दुश्मन को तेरे क़ाबू में कर दिया। अब हुक्म हो तो मैं उसे नेज़े से एक ही बार में वारकर के ज़मीन के बीच छेद दूँ और मैं उसे दुबारा ना मारूंगा। सो दाऊद ने अबेशे को कहा उसे जान से मत मार। क्योंकि ख़ुदावन्द के ममसूह पर कौन है जो हाथ उठाए और बेगुनाह ठहरे। और दाऊद ने ये भी कहा कि ज़िंदा ख़ुदा की क़सम ख़ुदावन्द आप उस को मारेगा। या उस का दिन आएगा कि वो अपनी मौत से मरेगा। या वो जंग पर चढ़ेगा। और मारा जाएगा। लेकिन ख़ुदावन्द ना करे कि मैं ख़ुदावन्द के ममसूह पर हाथ चलाऊं। 1 समुएल 26 बाब 7 से 11 तक।

बलआम ने इज़्हाक़ की औलाद परा गरचे लानत की तो ना थी मगर चूँकि लानत करने के इरादे से गया था इस वास्ते ख़ुद मलऊन हुआ। तो मूसा ने उनको लड़ाई पर भेजा। और उन्होंने बाऊर के बेटे बलआम को भी जान से मारा। गिनती1 3 बाब 3 से 8 आयत मगर दाऊद बावजूद ये कि और इस़्माईलियों और हाजिरियों को बुत परस्त क़ौमों के साथ शुमार कर के उन को ख़ुदा के दुश्मन और उस से कीना रखने वाले कहता है। और उन पर सख़्त सख़्त लानतें करता है तो भी वो मलऊन नहीं बल्कि ख़ुदा की तरफ़ से मुबारक है क्योंकि वो हज़रत इज़्हाक़ की औलाद की बरकत का ख़्वाहां है। मैंने अपने बर्गुज़ीदा से एक अहद किया है मैंने अपने बंदे दाऊद से क़सम खाई है मैं तेरी नस्ल को अबद तक क़ायम रखूँगा। और तेरे तख़्त को पुश्त दर पुश्त क़रार बख्शूंगा। 89 ज़बूर 3, 4 आयत।

पस जो कोई बलआम की मानिंद बनी इज़्हाक़ के बरख़िलाफ़ किसी और को बरकत देना चाहेगा। या इस्माईलों और हाजिरियों वग़ैरह की मानिंद जिन्हों ने कहा था, कि आओ ख़ुदा के घरों के हम मालिक बनें। और कहा था कि आओ उनको उखाड़ डालें कि क़ौम न रहे और इस्राईल का नाम फिर ज़िक्र में ना आए। बनी इज़्हाक़ की बरकत आप छीनना चाहेगा। लानत का हक़दार होगा। लेकिन जो कोई इज़्हाक़ को जिसकी नस्ल से ख़ुदावन्द येसू मसीह इन्सानी जिस्म में ज़ाहिर हुआ। बरकत देगा। वो आप ख़ुदा से बहुत ही बहुत बरकतें पाएगा।

चाहिए कि तमाम जहान के लोग उमूमन और मुहम्मदी साहिबान ख़ुसूसुन इस बरकत और लानत पर ग़ौर करें। और हर फ़र्द बशर अपने लिए ये दुआ मांगे। काश कि मैं सादिक़ों की मौत मरुँ और मेरी आक़िबत (आख़िरत) मसीह हक़ तआला के लोगों की सी हो। आमीन