ईसा मिला मसीह नासरी मिला मूसा ने जिसकी दी थी ख़बर वो नबी मिला

कलाम-उल्लाह के मुख़्तलिफ़ 66 किताबों का मुतफ़र्रिक़ मुसन्निफ़ों की मार्फ़त तस्नीफ़ होने और उन में क़िस्म क़िस्म के मज़ामीन मुन्दरज होने से हम दर्याफ़्त कर सकते हैं कि बाअज़ नादान कोताह अंदेशों (कम-इल्म, कम-फ़ह्म) का मह्ज़ किसी एक ही किताब या उस के किसी एक ही मज़्मून से कोई बड़ी और अहम ताअलीम पैदा कर लेना ऐसा है,

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ईसा मिला मसीह नासरी मिला मूसा ने जिसकी दी थी ख़बर वो नबी मिला

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Kadarnath Manat
क़ेदारनाथ मिन्नत

Published in Nur-i-Afshan Sep 20, 1895

नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 20 सितम्बर 1895 ई॰

कलाम-उल्लाह के मुख़्तलिफ़ 66 किताबों का मुतफ़र्रिक़ मुसन्निफ़ों की मार्फ़त तस्नीफ़ होने और उन में क़िस्म क़िस्म के मज़ामीन मुन्दरज होने से हम दर्याफ़्त कर सकते हैं कि बाअज़ नादान कोताह अंदेशों (कम-इल्म, कम-फ़ह्म) का मह्ज़ किसी एक ही किताब या उस के किसी एक ही मज़्मून से कोई बड़ी और अहम ताअलीम पैदा कर लेना ऐसा है, जैसे कोई बेवक़ूफ़ अक़्ल का अंधा अल्लाह के मुख़्तलिफ़ कामों में से सिर्फ एक ही को अपने तजुर्बे की बुनियाद समझे नज़र बरां हमारे मुहम्मदी भाई भी इस पहलू पर गए कि अल्लाह जल्ले शाना (जल्लाजलालुहू) की कुतबे मुख्तलिफा तौरेत व ज़बूर व सहाइफ़ अम्बिया व अनाजील को छोड़कर मह्ज़ एक ऐसी किताब को जिसका इल्हामी होना किसी ज़माने भी ख़ुदा के लोगों से तस्लीम नहीं हुआ अपने ईमान की ब्याज़ समझ लिया और ख़ुदा के कल सच्चे पैग़म्बरों से रू गर्दां हो कर सिर्फ एक ऐसे शख़्स पर फ़रेफ़्ता (आशिक़, फ़िदा) हो गए जिसका नबी होना आज तक पाया सबूत से ख़ारिज है। इस सब के इलावा नजातदिहंदा की तलाश में ख़ुदा के कलाम से सिर्फ एक ही आयत को सनद मान कर अकेले मर्द-ए-ख़ुदा मूसा से चंद ख़्याली बातों में जिनको वो आप ही ताक़तवर जानते हक़ीक़ी नजातदिहंदा को मशाबहा गरदान्ते हैं हालाँकि इस मुआमले में ख़ुदा का कलाम अपने उस काम से जो उसने हमारी नज़रों के सामने फैला रखा है यानी ख़ल्क़त के काम से मुबानियत और मुग़ाइरत (अजनबीयत, ना मुवाफ़िक़त) नहीं रखता देखो मलाकी नबी की किताब जो पुराने अहदनामे को ख़त्म करती उस के चौथे बाब की दूसरी आयत में अल्लाह जल्ले शाना (जल्लाजलालुहू) यूं फ़रमाता है, लेकिन तुम पर जो मेरे नाम से डरते हो आफ़्ताब सदाक़त तुलु होगा और उस के पंखों में शिफ़ा होगी। 4:2

ऐ नाज़रीन अपनी आँखों को ज़रा ऊपर उठाईये और फ़िज़ा में नय्यर आज़म (सूरज) को मुलाहिज़ा फ़रमाईए कि किसी तरह से ख़ुदा ने इन हज़ारहा हज़ार बल्कि बेशुमार सय्यारों के वास्ते उसे मर्कज़ क़रार दिया है कि सब के सब जिनमें ये हमारी ज़मीन भी शामिल है शब व रोज़ आफ़्ताब के गिर्द घूमते और रात व दिन महीना साल तब्दीली-ए-मौसम रात-दिन का घटाओ बढ़ाओ और फिर क़ुव्वत-ए-कशिश और सारे चांद सितारों का सूरज से रोशनी पाना ये सब कुछ ख़ुदा ने आप ही ठहरा दिया इसी तरह ये आफ़्ताबे सदाक़त भी जिसकी तलाश में हम तुम सब सरगर्दां हैं कलाम-ए-इलाही के कुल वाक़ियात और हालात और मोअजज़ात और अलामात और अम्बिया वग़ैरह कुल का मर्कज़ सब पैग़म्बर और बुज़ुर्ग और आबा और सारे दीनदार इस से नूर पा कर मुनव्वर हैं।

जब ये हाल है तो याद रखना चाहिए कि ख़ल्क़त में कोई चीज़ या कोई शख़्स ऐसा नहीं जो इस कामिल नूर की कामिल अलामत या मुशाबहत हो। हाँ ज़र्रे की मानिंद आफ़्ताब चमकता है लेकिन ज़र्रे की रोशनी जो ज़र्रा भर है सूरज की रोशनी से जो रोशनी का मादिन (निकलने की जगह, मंबा) है मुक़ाबिल नहीं हो सकती अला-हज़ा-उल-क़यास (इसी तरह) अगरचे मर्द-ए-ख़ुदा मूसा की नबुव्वत में मेरी मानिंद वारिद (नाज़िल होना) है इस से ये ना समझ बैठो कि उस में जो मूसा की नबुव्वत में मेरी मानिंद है यही है जो मूसा में है बल्कि उस में बहुत कुछ है जो मूसा में नहीं है इस वास्ते वाअदे से बढ़कर जो उन्वान में किया गया हम ये दिखा देंगे कि बाइबल के मुख़्तलिफ़ पैग़म्बर और बुज़ुर्ग कहीं बज़ाता (ज़ात के लिहाज़ से) और कहीं बअक़वाला (क़ौल के लिहाज़) से और कहीं बअफ़आला (अमल के लिहाज़) साफ़ साफ़ कह रहे हैं कि वो नबी या बादशाह या काहिन हमारी मानिंद है और ये अम्र अगरचे लोगों की नज़रों में अजीब हो पर ख़ुदा तो सब कुछ कर सकता है ख़ुदा के बेटे में ये ताक़त है कि वो अपने में से बहुतेरों को दे और जो कुछ कि औरों को दे अपने में कामिल तौर से रखे।

जब ये सब कुछ हम बयान कर चुके तो अब हमारा हक़ है कि बयान करें कि किस तरह से हमारा नजातदिहंदा ख़ुदावंद ईसा वही नबी है जिसकी बाबत मूसा ने कहा कि वो मेरी मानिंद नबी होगा।

अव़्वल : इस सबब से कि बहुतेरे से दुख उठा कर और हलाकत के ख़तरों में पड़ कर मूसा ने मर्द-ए-ख़ुदा बइज़ाफ़त हर्फ़ वाल ख़िताब पाया लेकिन ख़ुदावंद ईसा सलीब पर जान देकर मर्द-ए-ख़ुदा बग़ैर इज़ाफ़त हर्फ़ वाल साबित हुआ ज़्यादा आसानी से समझने के वास्ते हम इन हर दो अल्फ़ाज़ को मक़लूब (उल्टा करना, पलटना) कर के देखें यानी ख़ुदा, मर्द इस में मूसा अपने लक़ब से ख़ुदावंद ईसा में दो ज़ातों उलूहियत (ख़ुदा) और इन्सानियत का (मर्द) ब-लिहाज़ तज़कीर बरफा तानीस इशारा देता है। और ऐसा अजीब शख़्स चूँकि दुनिया में और कोई नहीं हुआ पस साबित हुआ कि ईसा मूसा की मानिंद है।

दुवम : इस सबब से कि मूसा ने जिस वक़्त चट्टान को दो बार लाठी से मारा तो यूं कहा कि सुनो ऐ बाग़ीयो क्या हम तुम्हारे लिए चट्टान ही से पानी निकाल लाएं। गिनती 10:20 और इसलिए ख़ुदावंद तआला ने जो अपनी इज़्ज़त किसी दूसरे को नहीं देता फ़रमाया कि तुम मुझ पर एतिक़ाद ना लाए ताकि बनी-इस्राईल के हुज़ूर मेरी तक़्दीस करते सो तुम इस जमाअत को उस ज़मीन में जो मैंने उन्हें दी है ना लाओगे। गिनती 20:12 और फ़रमाया कि अबारीम के कोहिस्तान बनू के पहाड़ जो मूआब की सर-ज़मीन में यरीहू के मुक़ाबिल है। चढ़ जा और कनआन की सर-ज़मीन को कि जिसे मैं इस्राईल का मुल्क कर दूंगा। देख और उस पहाड़ पर जिस पर तू जाता है मर जा। इस्तिस्ना 32:49, 50 इस माजरे से बज़बान हाल मूसा ने हमको ख़बर दी कि वो नबी जो मेरी मानिंद आएगा ये इज़्ज़त और जलाल और क़ुद्रत ख़ुद इख्तियारी उसी का हिस्सा है। चुनान्चे ईसा नासरी ने एक कोढ़ी से कहा कि मैं चाहता हूँ तू पाक हो। मर्क़ुस 1:41 और मफ़लूज को हुक्म दिया कि मैं तुझे कहता हूँ उठ। मर्क़ुस 2:11 फिर एक मुर्दा लड़की से फ़रमाया ऐ लड़की मैं तुझे कहता हूँ उठ। मर्क़ुस 5:41 वग़ैरह लेकिन अगर मर्द-ए-ख़ुदा मूसा अपनी तरफ़ से पानी चट्टान का निकालते हुए मुजरिम क़रार पाया तो और कौन शख़्स है जो ऐसा कलमा-ए-कुफ़्र ज़बान से निकाले और ख़ुदा उस से कुछ ना कहे। क्या ख़ुदा के यहां अंद मेर है। पस इस दलील से साबित हुआ कि वो जो अपने ही हुक्म से मुर्दा जिलाता कौड़ी पाक करता मफ़लूज को चंगा करता ज़रूर मूसा की मानिंद है। ना मूजिबन बल्कि साइबन पस ईसा मूसा की मानिंद है।

सोम : इस सबब से कि जिस वक़्त मूसा पहाड़ से उतर गया और शहादत के दोनों तख़्ते उस के हाथ में थे वो तख़्ते लिखे हुए थे दोनों तरफ़ इधर-उधर लिखे हुए थे। और वो तख़्ते ख़ुदा के काम से थे जो लिखा हुआ सो ख़ुदा का लिखा हुआ और उन पर कुंदा किया हुआ था। ख़ुरूज 32:10, 15 और यूं हुआ कि जब वो लश्कर गाह के पास आया और बछड़ा और नाच राग देखा तब मूसा का ग़ज़ब भड़का और उसने तख्ती अपने हाथ से फेंक दीं और पहाड़ के नीचे तोड़ डालीं। ख़ुरूज 32:19 फिर ख़ुदावंद ने मूसा से कहा कि अपने लिए पहले लोहों के मुताबिक़ दो लोहें पत्थर की तराश और इन लौहों पर वो बातें जो पहली लौहों पर थीं। जिन्हें तू ने तोड़ डाला लिखूँगा। ख़ुरूज 34:1 इस नारवा फ़ेअल (नामुनासिब काम) यानी लौहों के तोड़ डालने से मूसा ने साफ़ इशारा दिया कि अगरचे मैंने ख़ुदा की तराशी हुई और लिखी हुई लौहें तोड़ दीं और फिर हुक्म के मुताबिक़ दूसरी लौहें तैयार कीं लेकिन एक मेरी मानिंद आएगा। जो इस तोड़ी हुई शरीअत को फिर जोड़ देगा और शरीअते इलाही अज़ सर-ए-नौ (नए सिरे से) बग़ैर उस के कि टूटे क़ायम होगी। इसलिए वो दुनिया में आते हुए कहता है कि ज़बीहा और हद्या तू ने ना चाहा पर मेरे लिए एक बदन तैयार किया सोख़्तनी क़ुर्बानी और ख़ता की क़ुर्बानीयों से तू राज़ी ना हुआ तब मैंने कहा कि देख मैं आता हूँ मेरी बाबत किताब के दफ़्तर में लिखा है ताकि ऐ ख़ुदा तेरी मर्ज़ी बजा लाऊँ। इब्रानियों 10:5, 6, 7 और ये कोई और शख़्स नहीं मगर ख़ुदावंद ईसा पस ईसा मूसा की मानिंद है।

चहारुम : इस सबब से कि मूसा बज़ाता बयान में बनी-इस्राईल के साथ मौजूद था वो कोई वहमी या ख़्याली ना था बनी-इस्राईल अपनी आँखों से मूसा को देखते थे उनके हाथों ने उसे छोआ उन के कानों में उस की आवाज़ आती थी तो भी वो जिसकी बाबत मूसा ने अपनी नबुव्वत में अपनी मानिंद कहा कोई ऐसा शख़्स है जो हक़ीक़त में मौजूद हस्ती और क़ायम बज़ात हो और उस वक़्त उनके दर्मियान वही काम करता हो और ख़ुदा के कलाम से साबित होता है कि एक ऐसी हस्ती ब्याबान में बनी-इस्राईल के साथ बराबर थी और अगरचे मूसा मर गया तो भी वो ना मरी बल्कि जब यशूअ मूसा का जांनशीन यरीहू के मुक़ाबिल जाता था तब वही हस्ती ख़ुदावंद के लश्कर का सरदार बन कर उसे नज़र आई और उसे हुक्म दिया कि अपने पांव से अपनी जूती उतार क्योंकि ये मकान जहां तू खड़ा है मुक़द्दस है। यशूअ 5:15 और मुक़ाबले के लिए। ख़ुरूज 3:5 और ये शख़्स कोई इन्सान नहीं हो सकता क्योंकि हर ज़माने में मिस्ल मूसा के जो एक महदूद ज़माने में 40 बरस तक बनी-इस्राईल के साथ था उनके साथ रहा और अब भी है ये सिर्फ़ ख़ुदावंद मसीह पर सादिक़ आता है जिसने फ़रमाया कि पेश्तर इस से कि इब्राहिम हो मैं हूँ पस ईसा मूसा की मानिंद है।

पंजुम : इस सबब से कि जब मूसा ख़ुदावंद के आगे जाता था कि उस से कलाम करे तो जब तक बाहर ना आता निक़ाब को उतार देता था। ख़ुरूज 34:34 जैसा कि पौलुस रसूल फ़रमाता है कि आज तक पुराने अहदनामे के पढ़ने में वही पर्दा रहता है और उठ नहीं जाता कि वो परदा मसीह से जाता रहता है। 2 कुरिन्थियों 3:14 और हम मूसा की तरह अमल नहीं करते जिसने अपने चेहरे पर पर्दा डाला। 2 कुरिन्थियों 3:14 पर मूसा इस निक़ाब के डालने से ज़ाहिर करता था कि ख़ुदा को किसी ने कभी ना देखा इकलौता बेटा जो बाप की गोद में है उसने बतला दिया। यूहन्ना 1:18 पस अगर मूसा ने ऐसा किया ताकि बनी-इस्राईल इस उठ जाने वाले की ग़ायत (आख़िर, अंजाम) तक बख़ूबी देखें तो क्यों ना हम उस के वसीले जो ख़ुदा का चेहरा कहलाता है यानी ख़ुदा के जलाल की पहचान का नूर येसू मसीह के चेहरे से हम में जलवागर हो इस ग़ायत (अंजाम) तक बख़ूबी देखें। और चूँकि ऐसा और कोई शख़्स दुनिया में अब तक ज़ाहिर ना हुआ लिहाज़ा साबित हुआ कि ईसा मूसा की मानिंद है।

शश्म : इस सबब से कि जब मूसा बड़ा हुआ तो अपने भाईयों के पास बाहर गया और उनकी मशक़्क़तों को देखा और देखा कि एक मिस्री एक इब्रानी को जो उस के भाईयों में से एक था मार रहा है। (ख़ुरुज 2:11) फिर उस ने इधर-उधर नज़र की और देखा कि कोई नहीं तब इस मिस्री को मार डाला और रेत में छिपा दिया। 2:12 जब फ़िरऔन ने ये सुना तो चाहा कि मूसा को क़त्ल करे पर मूसा फ़िरऔन के हुज़ूर से भागा। ख़ुरूज 2:15 ईमान से मूसा ने सियाना हो के फ़िरऔन की बेटी का बेटा कहलाने से इन्कार किया कि उसने ख़ुदा के लोगों के साथ दुख उठा ना इस से ज़्यादा पसंद किया कि गुनाह के सुख को जो चंद रोज़ा है हासिल करे कि उसने मसीह की लान तान को मिस्र के ख़ज़ानों से बड़ी दौलत जाना क्योंकि उस की निगाह बदला पाने पर थी। इब्रानियों 11:24, 25, 26 पस तुम्हारा मिज़ाज वही हो जो मसीह येसू का भी था कि उसने ख़ुदा की सूरत में हो के ख़ुदा के बराबर होना ग़नीमत ना जाना लेकिन उसने अपने आपको नीच किया कि ख़ादिम की सूरत पकड़ी और इन्सान की शक्ल बना और आदमी की सूरत में ज़ाहिर हो के अपने आप को पस्त किया और मरने तक बल्कि सलीबी मौत तक फ़रमांबर्दार रहा। इफ़िसियों 2:5-8 येसू को जो ईमान का शुरू और कामिल करने वाला है तकते रहें जिसने उस ख़ुशी के लिए जो उस के सामने थी शर्मिंदगी को नाचीज़ जान के सलीब को सहा। इब्रानियों 12:2 यहां पर हमको मुहम्मदियों के एक सूफ़ी यानी सादी का शेअर याद आता है जो उसने भूल कर ख़ुदा की सिफ़त में यूं कहा :-

کرم میں و لطف خداوند گار ۔ گند بند ہ کرداست اوشرمسار

इस से साबित होता है कि ईसा मूसा की मानिंद है।

हफ़्तुम : इस सबब से कि पौलुस रसूल ने अपने रिसाले बनाम इब्रानियों में यूं फ़रमाया कि पस ऐ पाक भाइयो जो आस्मानी दावत में शरीक हुए इस रसूल और सरदार काहिन मसीह येसू पर जिसका हम इक़रार करते हैं ग़ौर करो कि वो उस के आगे जिसने उसे मुक़र्रर किया अमानतदार था जिस तरह मूसा भी अपने सारे घर में था बल्कि वो मूसा से इस क़द्र ज़्यादा इज़्ज़त के लायक़ समझा गया जिस क़द्र घर से घर का मालिक ज़्यादा इज़्ज़तदार होता है कि हर एक घर का कोई बनाने वाला है पर जिसने सब कुछ बनाया सो ख़ुदा है। और मूसा तो अपने सारे घर में ख़ादिम की तरह दयानतदार रहा कि उन बातों पर जो ज़ाहिर होने को थीं गवाही दे। पर मसीह बेटे की मानिंद अपने घर का मुख़्तार रहा। इब्रानियों 3:1-6 पस ईसा मूसा की मानिंद है।

अगरचे दलीलों और मुशाबहतों का शुमार बहुत बढ़ सकता है पर अभी सच्चाई का मुतलाशी जो ख़ुदा से डर कर नजात का उम्मीद वार है इन्हीं सात मुशाबहतों से यक़ीन कर सकता है कि आने वाला नजातदिहंदा येसू नासरी है जैसा कि फिलिप्पुस ने नतनीएल से कहा कि जिसका ज़िक्र मूसा ने तौरेत में और नबियों ने किया है हमने उसे पाया वो यूसुफ़ का बेटा येसू नासरी है। यूहन्ना 1:45 और वो 12 दलाईल जो पहले सिलसिले में दर्ज हैं मिला लो। अब हम हसबे वाअदा ज़ेल के दायरे में आप सब साहिबों को ये दिखलाना चाहते हैं कि जिस तरह ख़ल्क़त के काम में ख़ुदा ने सिर्फ सूरज को मर्कज़ क़रार दिया है। । इसी तरह उसने अपने कलाम में कुल उमूर का मर्कज़ ख़ुदावंद येसू मसीह को ठहराया है।

ये नक़्शा अगरचे कामिल और तमाम वाक़यात-ए-बाइबल को हावी नहीं तो भी मुश्ते नमूना अज़ ख़िरव एरिए व अंदक अज़ बसियारे उस के देखने से इतना तो ज़रूर मालूम होगा कि जब अहम मुआमलात में कुल का मुरज्जा ख़ुदावंद ईसा है ख़्वाह पैशन गोई हो ख़्वाह अलामती फ़ेअल हो तब छोटा वाक़ियात क्यों होगा अगर इतने पर भी कोई हुज्जती ना माने तो वो जाने मगर ख़ासकर हम मुहम्मदी मौलवियों को नसीहत के तौर पर दोस्ताना सलाह देते हैं, कि अगर हो सके तो अपने मुहम्मद साहब को इसी तरह बग़ैर मुग़ालते मन्तिक़ी तास्सुब को अलैहदा कर के और ख़ुदा से डर के एक साफ़ नक़्शे में तसव्वुर की मानिंद दिखाएं वर्ना उस कहानी के मिस्दाक़ (सबूत) ना हों जो हमने एक किताब में पढ़ी कि कोई बेल भूसे के ढेर की तरफ़ इस ग़र्ज़ से गया कि कुछ उस में से खाए मगर एक कुत्ता जो इस ढेर के ऊपर बैठा था ज़ोर से भोंका तब बेल ने कहा कि जिस हाल कि तुम भूसा नहीं खा सकते तो उनको जिनकी ये ख़ुराक है क्यों रोकते हो। भाई तुम्हारा तो यही रिज़्क़ का हीला है कि मुहम्मदी लोग तुम्हारी किताबों को ख़रीद लें और तुमको फ़ायदा हो तुम्हारा पेट चले लेकिन वो बेचारे जहन्नम में जाएं इसलिए तौबा करो और उस पर जो आदम से अब तक और आइंदा क़ियामत तक कुल आदम ज़ाद का नजातदिहंदा है। ईमान लाओ और उस की सुनो जो कुछ वो तुम्हें कहे। ऐसा ना हो कि यहूदीयों की तरह तुम भी मुवाख़िज़ा (जवाबतलबी) में आओ और अगर बअक़ीदा शमा तुम हाजिरा के फ़र्ज़न्द हो तो याद करो कि तुम्हारा ज़्यादा हक़ है कि मसीह ख़ुदावंद से बरकत लो। काश कि ख़ुदा ऐसा ही करे आमीन। तुफ़ैल सय्यद-उल-मुर्सलिन फ़र्ज़न्द रब अलालमीन ख़ुदावंद येसू-उल-मुज़नबीन।