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दीबाचा

       इस किताब का मज़्मून समझदार पढ़ने वाले के लिए बाइस मक़्बूल होगा और कलाम यानी बाइबल ही के ज़रीये साबित किया जाएगा। जो तौरेत, ज़बूर और अम्बिया के सहीफ़े और इन्जील शरीफ़ का मजमूआ है, कि सय्यदना मसीह ख़ुदा हैं। जो जिस्म में ज़ाहिर हुए।

       मैं हर एक पढ़ने वाले से दरख़्वास्त करता हूँ कि वो निहायत संजीदगी से इस किताब का मुतालआ ग़ैर-मुतास्सुबाना ख़्याल से करे। इस बात को भी मद्दे-नज़र रखे कि बाइबल यानी कलाम इलाही ख़ुदा की वहदानियत पर निहायत ज़ोर देता है जिस पर पूरे तौर पर हमारा ईमान है।

       बैरूनी शहादत :हर पढ़ने वाला इस बात को भी मद्दे-नज़र रखे। कि जितने हवालेजात इस किताब में दिए गए हैं वो कलाम मुक़द्दस ही के मुख़्तलिफ़ हिस्सों के नाम हैं।

       तौरेत, ज़बूर और अम्बिया के सहीफ़ों के मजमूए की नक़्लें मुताबिक़ अस्ल अभी तक मौजूद हैं। जो सय्यदना मसीह के मुजस्सम होने से ही पहले यानी आज से तक़रीबन 1900 साल पेश्तर मौजूद थीं।

       तीन इंजीलें नक़्ल शूदा मुताबिक़ अस्ल मौजूद हैं। जो अस्ल ज़बान यूनानी से बड़े बड़े हुरूफ़ में नक़्ल की गई हैं। और चौथी सदी सन-ए-ईस्वी यानी आज से 1600 साल पेश्तर से मौजूद हैं। मुन्दरिजा ज़ैल जगहों पर इनको देखा जा सकता है।

अस्ल यूनानी ज़बान से नक़्ल शूदा इंजीलों के नाम

       (1) कोडेक्स सिनाईटिकस लंदन के अजाइब घर में अभी तक मौजूद है।

       (2) कोडेक्स वेटीकंस जो रोमा में अभी तक मौजूद है।

       (3) और एफ्राईम कोडेक्स पैरिस में मौजूद है।

       बैरूनी शहादत :बैरूनी शहादत के इलावा बाइबल की पेशीनगोईयां और बाइबल ही में उनका पूरा होना इस के अस्ल होने को साबित करता है। क्योंकि लिखा है,

       सय्यदना मसीह ने कहा, “मैं तौरेत या नबियों की किताब को।.... पूरा करने आया हूँ। क्योंकि मैं तुमसे कहता हूँ कि जब तक ज़मीन और आस्मान टल ना जाएं एक लफ़्ज़ या एक शोशा तौरेत से हरगिज़ ना टलेगा। जब तक पूरा ना हो जाए।” (मत्ती 15:17 ता 18 इन्जील शरीफ़)

       “ख़ुदा का कलाम अबद तक क़ायम है।” (यसअयाह 40:8 अम्बिया के सहीफ़े)

       इसलिए हम ईमान से कह सकते हैं। कि ख़ुदा का कलाम अबद तक क़ायम है।

       उर्दू का तर्जुमा जो कलाम मुक़द्दस से यहां किया गया है। असली ज़बान यूनानी के मुताबिक़ है। और कोई ज़बान का आलिम इसे परख सकता है। जो असली यूनानी ज़बान से माहिर है।

       हम उम्मीद करते हैं और दुआ करते हैं। कि इस किताब का हर एक पढ़ने वाला कलाम मुक़द्दस यानी बाइबल पढ़ने में ख़ुद दिलचस्पी लेगा। और इस किताब का मुसन्निफ़ ख़ुशी से मुतलाशियों को कलाम मुक़द्दस के मुहय्या करने का इंतिज़ाम करेगा।

(डेनिस ई॰ क्लार्क)







मुसन्निफ़ की राय

       ये किताब मैंने शिमला से कुछ फ़ासिले पर छोटी सी रियासत बड़ाड़ी में अलैहदगी में ख़ुदावंद के क़दमों में बैठ कर और अज़ीज़ बुज़ुर्ग राइट साहब और अज़ीज़ भाई डेनिस ई॰ क्लार्क की रिफ़ाक़त में बैठ कर लिखी। उनकी दुआएं मेरी रूह की तक़वियत का बाइस बनीं। मैं ख़ुद भी डरता काँपता और कमज़ोरी में लिखने से पहले दुआ करता रहा। ख़ुदावंद का रूह मुझे सँभालता रहा।

       यसअयाह नबी ने ख़ुदावंद का जलाल देखा यूहन्ना रसूल ने जज़ीरा पटमस में सय्यदना मसीह का जलाल देखा। शागिर्दों के सामने सय्यदना मसीह की शक्ल बदल गई और उन्हों ने उस का जलाली चेहरा देखा। पौलूस रसूल पर उसका नूरानी चेहरा चमका। स्तिफ़नुस ने आस्मान को खुला हुआ देखा और मसीह का जलाल देखा। और बुज़ुर्गों और लाखों और करोड़ों फ़रिश्तों ने सय्यदना मसीह के जलाल और बुजु़र्गी की गवाही दी चुनान्चे लिखा है “और जब मैंने निगाह की तो उस तख़्त और उन जानदारों और बुज़ुर्गों के गिर्दागिर्द बहुत से फ़रिश्तों की आवाज़ सुनी जिनका शुमार लाखों और करोड़ों में था और वो बुलंद आवाज़ से कहते थे कि ज़ब्ह किया हुआ बर्रा (मसीह) ही क़ुद्रत और दौलत और हिक्मत और ताक़त और इज़्ज़त और तम्जीद और हम्द के लायक़ है।” (मुकाशफ़ा 5:11 ता 12)

       इसी तरह इस छोटी सी किताब में मेरी गवाही भी उनके साथ शामिल हो कर मसीह की उलूहियत की गवाही दी है ताकि उस के बुज़ुर्ग नाम को जलाल पर जलाल पहुंचे। आमीन।

(जय चनन ख़ान)

उलूहियत मसीह

बाब अव़्वल
कलाम मुजस्सम हुआ। (यूहन्ना 1:14 इन्जील)
सय्यदना मसीह के मुजस्सम होने की वजह


       “क्योंकि वो जिससे किसी जान का कफ़्फ़ारा होता है। सो लहू है।” (तौरेत यानी मूसा की तीसरी किताब अहबार 17:11)

       जब बनी-इस्राईल मुल्क मिस्र में फ़िरऔन की गु़लामी में थे। तो ख़ुदा ने उन्हें “बेऐब” बर्रे की क़ुर्बानी के ख़ून से कफ़्फ़ारा देकर आज़ाद किया। चुनान्चे लिखा है (जिस्म में) मसीह से 491 साल पेश्तर का नविश्ता (तौरेत) “तुम्हारा बर्रा” बेऐब होना चाहिए। ........... तो ख़ुदावंद दर (दरवाज़े) पर से गुज़रेगा और हलाक करने वाले को ना छोड़ेगा। कि तुम्हारे घरों में आकर तुम्हें मारे।” (तौरेत ख़ुरूज 12:22 ता 23) यहां पर ख़ुदा ने मिस्र से और फ़िरऔन की गु़लामी से इस “बेऐब बर्रे” के ख़ून से बनी-इस्राईल को ख़लासी दी।

       इसी तरह सय्यदना मसीह ने बेऐब बर्रा हो कर दुनिया की गुनाह आलूदा हालत से उन लोगों की ख़लासी कराई जो उस पर दिल से ईमान लाए। ख़ुदा ने इस बेऐब बर्रे के ख़ून से गुनाहों का कफ़्फ़ारा यानी सय्यदना मसीह की असली क़ुर्बानी का भेद हम पर खोल दिया। चुनान्चे लिखा है “मगर आज तक जब मूसा की किताब पढ़ी जाती है। तो उनके दिल पर पर्दा पड़ा रहता है। लेकिन जब कभी उनका दिल सय्यदना मसीह की तरफ़ फिरेगा। तो वो पर्दा उठ जाएगा।” (इन्जील 2 कुरिन्थियों 3:15) और क़रीबन सारी चीज़ें शरीअत के मुताबिक़ ख़ून से पाक की जात हैं। “और बग़ैर ख़ून बहाए माफ़ी (गुनाहों की) नहीं होती।” (इन्जील इब्रानियों 9:22) पस ज़रूर था कि आस्मानी चीज़ों की “नक़लें” तो इनके वसीले से (जानवरों यानी बर्रों के ख़ून से) पाक की जाएं मगर ख़ुद आस्मानी चीज़ें इनसे बेहतर क़ुर्बानियों के वसीले से। (इब्रानियों 9:23) तो मालूम हुआ कि पुराने अहदनामे यानी मूसा के वक़्त के जानवरों और बर्रों की क़ुर्बानियां असली चीज़ों की नक़्ल थीं।

अस्ल क़ुर्बानी सय्यदना मसीह हैं

       चुनान्चे लिखा है कि “लेकिन जब मसीह आइन्दा की अच्छी चीज़ों का सरदार काहिन (इमाम-ए-आज़म) हो कर आए।......... तो बकरों और बछड़ों का ख़ून लेकर नहीं बल्कि अपना ही ख़ून लेकर अबदी ख़लासी कराई।” (इब्रानियों 9:11 ता 12)

       असली बेऐब बर्रे सय्यदना मसीह है। (जिसका ज़िक्र तौरेत में है।) “दूसरे दिन उसने (यूहन्ना नबी ने) सय्यदना मसीह को अपनी तरफ़ आते देख कर कहा ये ख़ुदा का बर्रा है। जो दुनिया का गुनाह उठा ले जाता है।” (इन्जील यूहन्ना 1:29)

       “तुम्हारी ख़लासी फ़ानी चीज़ों यानी सोने चांदी के ज़रीये से नहीं हुई। बल्कि एक बेऐब और बेदाग़ बर्रे यानी मसीह के बेशक़ीमत ख़ून से। इस का इल्म तो बनाए आलम पेश्तर से था। मगर ज़हूर आख़िरी ज़माने में तुम्हारी ख़ातिर हुआ।” (इन्जील 1 पतरस 1:18 ता 20)

       मसीह के मुजस्सम होने से 1491 साल पेश्तर का वाक़िया अभी हमने पढ़ा। कि किस तरह बेऐब बर्रे के ख़ून से बनी इस्राईल ने मुल्क मिस्र से ख़लासी पाई। और उस का असली ज़हूर मसीह के बेऐब बर्रे में हो कर क़ुर्बान होने से साफ़ हुआ।

       सय्यदना मसीह के मुक़द्दस लोगों का उस के हक़ में गीत (क़ियामत के वक़्त) “और वो नया गीत गाने लगे कि तूही इस किताब के लेने और उस की मोहरें खोलने के लायक़ है। क्योंकि तूने ज़ब्ह हो कर अपने ख़ून से हर एक क़बीले और अहले ज़बान और क़ौम में से (वो जो हर एक क़ौम में से सय्यदना मसीह पर ईमान लाए हैं) ख़ुदा के वास्ते लोगों को ख़रीद लिया।” (इन्जील मुकाशफ़ा 5:9) “और वो बुलंद आवाज़ से कहते थे कि ज़ब्ह किया हुआ बर्रा (मसीह) ही क़ुद्रत और दौलत और हिक्मत और ताक़त और इज़्ज़त और तम्जीद और हम्द के लायक़ है।” (इन्जील मुकाशफ़ा 5:12)

एक बड़ा भेद

       ख़ुदा के घर यानी ज़िंदा ख़ुदा की कलीसिया में जो हक़ का सुतून और बुनियाद है। क्योंकर बर्ताव करना चाहिए। इस में कलाम नहीं। कि “दीनदारी का भेद बड़ा है। यानी वो (यानी ख़ुदा, इस्म-ए-इशारे बईद) (साथ की आयत में ख़ुदा है) जो जिस्म में ज़ाहिर हुआ। और रूह में रास्तबाज़ ठहरा। और फ़रिश्तों को दिखाई दिया। और ग़ैर क़ौमों में उस की मुनादी हुई। और दुनिया में उस पर ईमान लाए और जलाल में ऊपर उठाया गया। (इन्जील 1 तीमुथियुस 3:15 ता 16) इस से हमने मालूम किया कि ये भेद जो बड़ा है। वो ये है कि इन आयतों में बताया गया है। कि ख़ुदा जिस्म में ज़ाहिर हुआ। और उस के मुजस्सम होने की वजह हमने मालूम की। कि वो अपने पाक ख़ून से हमारे गुनाहों का कफ़्फ़ारा दे।”

       क्योंकि जिससे किसी जान का कफ़्फ़ारा होता है वो “लहू” है। (तौरेत) और बग़ैर ख़ून बहाए माफ़ी नहीं। (इन्जील)

       हाँ ये भेद तो वाक़ेइ ही बड़ा है। इसलिए आप अपने दिमाग़ से नहीं बल्कि ख़ुदा के रूह से इसे समझ सकते हैं। अगर आप इस भेद को समझना चाहते हैं तो लिखा है, “पस अब से हम किसी को जिस्म की हैसियत से ना पहचानेंगे हाँ अगर मसीह को भी जिस्म की हैसियत से जाना था। मगर अब से नहीं जानेंगे।” (इन्जील 2 कुरिन्थियों 5:16) क्योंकि अगर उस के जिस्म का मुक़ाबला आम लोगों के गुनाह आलूदा जिस्मों के साथ करेंगे। तो आप इस भेद को ना समझ सकेंगे। इसलिए इस भेद को समझने के लिए ये ज़रूर कहना पड़ेगा मसीह को “जिस्म की हैसियत से ना पहचानेंगे। “मगर अब से नहीं जानेंगे

       हाँ वो मुजस्सम हुआ। और जिस्म ही में सलीब पर चढ़ा और जिस्म ही में उसने अपना ख़ून बहाया और जिस्म ही में मरा। लेकिन कलाम ख़ुदा था। (यूहन्ना 1:1) और ख़ुदा रूह है। (यूहन्ना 4:24) हाँ वाक़ई ये भेद है। सय्यदना मसीह जिस्म में मरा मगर रूह में नहीं। क्योंकि हमें मालूम है, कि ख़ुदा रूह है और ख़ुदा का रूह हमेशा ज़िंदा है। जिस्म की मौत से सय्यदना मसीह ने अपने जिस्म की क़ुर्बानी से हमारे लिए हमेशा की ज़िंदगी का काम पूरा किया। चुनान्चे लिखा है “जिस्म में ज़ाहिर हुआ। और रूह में रास्तबाज़ ठेहरा।” इसलिए कि सय्यदना मसीह रूह-उल्लाह है। और कलाम रूह-उल्लाह को जो सय्यदना मसीह की सिफ़त है ख़ुदा कहता है यानी ख़ुदा रूह है। पस साबित हुआ और मालूम हुआ। कि सय्यदना मसीह ही ख़ुदा है और उस के जिस्म में ज़ाहिर होने का मतलब ईमान से हमें हमेशा की ज़िंदगी देना है।

बाब दोएम

अम्बिया और सय्यदना मसीह का मुक़ाबला

       (जिस्म में) मसीह से तक़रीबन 800 साल पेश्तर योएल नबी का नविश्ता “और ऐसा होगा कि जो कोई ख़ुदावंद का नाम लेगा। सो नजात पाएगा।” (अम्बिया के सहीफ़े योएल 2:22)

       पूरा हुआ कि “अगर तुम सय्यदना मसीह के ख़ुदावंद होने का इक़रार करो।...... तो नजात पाओगे।” (इन्जील रोमियों 10)

       और इसी आयत के ताल्लुक़ में आगे यूं लिखा है :-

       “जो कोई ख़ुदावंद का नाम लेगा नजात पाएगा।” (रोमियों 13 इन्जील) फिर लिखा है :-

       “ख़ुदा की जमाअत (मुक़द्दस लोग) के नाम जो कुरिन्थुस में है। “यानी उनके नाम जो मसीह में पाक किए गए। और मुक़द्दस लोग होने के लिए बुलाए गए हैं और उन सब के नाम भी जो हर जगह हमारे और अपने ख़ुदावंद मसीह का नाम लेते हैं।” (इन्जील 1 कुरिन्थियों 1:2)

       शाऊल का सय्यदना मसीह का रसूल मुक़र्रर होना (हननियाह ने शाऊल को कहा जो बाद में मसीह का रसूल हुआ) “अब क्यों देर करता है। उठ बपतिस्मा लेकर और उस का नाम लेकर (मसीह का) अपने गुनाहों को धो डाल।” (इन्जील आमाल 21:16)

       योएल नबी ने मसीह के मुजस्सम होने से तक़रीबन 800 साल पेश्तर ये पेशीनगोई की थी “जो कोई ख़ुदावंद का नाम लेगा नजात पाएगा।” जो मसीह के हक़ में पूरी हुई तो मसीह सिर्फ एक नबी ही नहीं बल्कि ख़ुदावंद है।

       (पतरस मसीह के रसूल का वाअज़) “और जो कोई ख़ुदावंद का नाम लेगा नजात पाएगा।” (इन्जील आमाल 2:41) उसी दिन क़रीबन 3000 आदमी सय्यदना मसीह पर ईमान लाए और नजात पाई।

       मसीह सिर्फ एक नबी ही नहीं बल्कि नबी से बड़ा यानी ख़ुदावंद है। चुनान्चे लिखा है। (येसू मसीह ने कहा) “दक्षिण की मलिका इस ज़माने के आदमियों के साथ अदालत के दिन उठकर उन्हें मुजरिम ठहराऐगी। क्योंकि दुनिया के किनारे से सुलेमान की हिक्मत सुनने को आई। और देखो यहां वो है (येसू मसीह) जो सुलेमान से भी बड़ा है।” (इन्जील लूक़ा 11:31)

       “नैनवा के लोग इस ज़माने के लोगों के साथ अदालत के दिन खड़े हो कर उन्हें मुजरिम ठहराएँगे क्योंकि उन्होंने यूनुस (यूनाह नबी) की मुनादी पर तौबा करली। और देखो यहां वो है (येसू मसीह) जो यूनुस (यूनाह नबी) से भी बड़ा है।” (इन्जील लूक़ा 11:32)

       सुलेमान बादशाह और यूनुस नबी दोनों ख़ुदा के चुने हुए बंदे हैं। और सय्यदना मसीह ने कहा “यहां वो है जो इन से भी बड़ा है।”

       अज़ीज़ो सय्यदना मसीह सिर्फ एक नबी ही नहीं। क्योंकि नबी दूसरे नबी से बड़ा नहीं हो सकता। जैसे एक आदमी का दर्जा बे। उपास का है। और दूसरे का दर्जा भी बी।ए पास का है। तो दर्जा में वो दोनों बराबर हुए लेकिन अगर किसी तीसरे का दर्जा एम-ए पास अहो। तो बी॰ ए॰ पास का दर्जा एम॰ ए॰ पास वाले के बराबर ना हुआ। बल्कि एम॰ ए॰ पास वाले का दर्जा बी॰ ए॰ पास वाले के दर्जे से बड़ा है। इसी तरह सय्यदना मसीह ने कहा यहां वो है। जो यूनुस से भी बड़ा है। यूनुस या यूना एक नबी हुआ है। और सय्यदना मसीहा स से भी बड़ा है। और नबी से बड़ा ख़ुदा है जो मसीह को सिर्फ नबी मानता है। वो नहीं बल्कि जो उसे ख़ुदावंद मानता है वो नजात पायगा। “ख़ुदावंद वही ख़ुदा है। और उस के सिवा कोई नहीं है।” (इस्तशना 4:35 तौरेत) और उन्हें बाहर ला कर कहा। ऐ साहिबो मैं क्या करूँ कि नजात पाऊं? उन्होंने कहा सय्यदना “मसीह पर ईमान ला तो तू और तेरा घराना नजात पाएगा।” (इन्जील आमाल 16:30 ता 31) तो क्या हुआ लिखा है। “उसी वक़्त अपने सब लोगों समेत बपतिस्मा लिया।..... और अपने सारे घराने समेत ईमान ला कर बड़ी ख़ुशी की।” (इन्जील आमाल 16:33 ता 34) क्या आप सय्यदना मसीह पर ईमान ला कर दिली ख़ुशी चाहते हैं।

सिर्फ ख़ुदा इन्सान के दिल को जानता है

       (जिस्म में) मसीह से 1004 साल पेश्तर का नविश्ता। (अम्बिया के सहीफ़े) सुलेमान की ख़ुदा से दुआ:-

       “ऐ ख़ुदावंद मेरे ख़ुदा। अपने बंदे की दुआ और ज़ारी पर कान धर।” (अम्बिया के सहीफ़े 1 सलातीन 8:28)

       और आगे चल कर इसी दुआ में यूं कहता है :-

       कि “तू ही अकेला सारे बनी-आदम के दिल को जानता है।” (1 सलातीन 8:39) मसीह के हक़ में ये नविश्ता पूरा हुआ :-

       “लेकिन येसू अपनी निस्बत उन पर एतबार ना करता था। इसलिए कि वो सबको जानता था। और इस की हाजत ना रखता था। कि कोई इन्सान के हक़ में गवाही दे। क्योंकि वो (येसू) आप जानता था। कि इन्सान के दिल में क्या-क्या है।” (यूहन्ना 2:24 ता 25, इन्जील)

       यहां पर मालूम हुआ। कि येसू सबको जानता था। कि इन्सान के दिल में क्या-क्या है। जिसे यानी हर एक बनी-आदम के दिल को जानने वाले को सुलेमान अपनी दुआ में यूं कहता है। “ऐ ख़ुदावंद मेरे ख़ुदा।”

       शमुएल ख़ुदा का नबी था। चुनान्चे लिखा है “शमुएल ख़ुदावंद का नबी मुक़र्रर हुआ।” (अम्बिया के सहीफ़े 1 शमुएल 2:21) वाक़ई यूं है।

       ख़ुदा ने शमुएल नबी से कहा। कि मैं तुझे बैतउलहमी येस्सी के पास भेजता हूँ। मैंने उस के बेटो में से एक को अपने लिए बादशाह ठेहराया है। (अम्बिया के सहीफ़े 1 शमुएल 16:1) साथ ही ये भी कहा। कि मैं जिसका नाम तुझे बताऊं उसे ममसूह करना। (1 शमुएल 16:3 अम्बिया के सहीफ़े) सो शमुएल नबी ख़ुदा के कहने के मुताबिक़ येस्सी के घर गया। येस्सी के आठ बेटे थे दाऊद येस्सी का सबसे छोटा बेटा था। सात बड़े बेटे शमुएल नबी के आने पर घर पर थे। और दाऊद बाहर भीड़ बकरियां चरा रहा था। शमुएल नबी ने येस्सी के सबसे बड़े बेटे इलियाब पर नज़र की। इलियाब बहुत ख़ूबसूरत था। उस का चेहरा चमकदार और क़द ऊंचा था। शमुएल नबी ने इलियाब पर नज़र की और बोला। ये ख़ुदावंद का ममसूह उस के आगे है। पर ख़ुदावंद ने शमुएल से कहा कि मैंने उसे नापसंद किया। कि ख़ुदावंद इन्सान की मानिंद नहीं देखता। क्योंकि आदमी ज़ाहिर को देखता है। पर ख़ुदावंद दिल पर नज़र करता है। (अम्बिया के सहीफ़े 1 शमुएल 16:6 ता 7)

       यहां पर मालूम हुआ। कि शमुएल जो एक नबी था। इन्सान के दिल को मालूम नहीं कर सकता था। जब तक ख़ुदा ने उसे नहीं बताया। बल्कि दाऊद की जगह उसने इलियाब की ज़ाहिरी ख़ूबसूरती और जवानी की वजह से ग़लत नतीजा निकाला।

       इसी तरह अगर सय्यदना मसीह भी सिर्फ एक नबी ही होते। तो लोगों के दिल को ना जान सकते थे। लेकिन यूहन्ना की गवाही इन्जील में यूं है, कि येसू सबको जानता था कि इन्सान के दिल में क्या-क्या है। अब सुलेमान अपनी दुआ में कहता है। कि तू ही अकेला बनी-आदम के दिल को जानता है। और ख़ुद एक बर्गुज़ीदा होते हुए भी इन्सान के दिल को नहीं जानता। क्योंकि अगर जानता होता। तो फिर यूं ना कहता कि “तू अकेला” और इन्सान के दिल के जानने वाले को कहता है।

       ऐ ख़ुदावंद मेरे ख़ुदा। जो मसीह के हक़ में इन्सानों के दिलों को जानने की वजह से पूरे हुए।

       क्योंकि दिलों को जानने वाला सिर्फ एक है। और मालूम हुआ। कि येसू मसीह सब के दिलों को जानता है। पस येसू मसीह ही अकेला ख़ुदा है।

       (जिस्म में) मसीह से क़रीबन 594 साल पेश्तर का नविश्ता। (अम्बिया के सहीफ़े) “और ख़ुदावंद की रूह मुझ पर पड़ी। और उस ने मुझसे कहा। कि ये कह। ख़ुदावंद यूं फ़रमाता है कि ऐ इस्राईल सुन तुमने यूं यूं कहा। मैं तुम्हारे दिल के ख़यालों में से जो तुम्हारे दिल में उठते एक एक को जानता हूँ।” (हिज़्क़ीएल 11:5 अम्बिया के सहीफ़े) मतलब ये कि ख़ुदावंद बनी-इस्राईल के दिल के एक-एक ख़याल को जानता था।

       मसीह के हक़ में पूरा हुआ। चुनान्चे लिखा है :-

       ख़ुदा का बेटा जिसकी आँखें आग के शोले की मानिंद और पाओं ख़ालिस पीतल की मानिंद हैं। ये कहता है के .......... और उस के फ़रज़न्दों को जान से मारूंगा। और सारी कलीसियाओं को मालूम होगा कि गुर्दों और दिलों के जांचने वाला मैं हूँ।” (मुकाशफ़ा 2:18, 23)

ख़ुदा की मसीह के लिए गवाही

       “और देखो आस्मान से ये आवाज़ आई कि ये मेरा प्यारा बेटा है। जिससे मैं ख़ुश हूँ।” (मत्ती 3:17, इन्जील) तो मालूम हुआ कि ख़ुदा का बेटा यानी मसीह गुर्दों और दिलों को जांचने वाला है। और दिलों और गुर्दों को जांचने की वजह से हिज़्क़ीएल नबी के नविश्ते के मुताबिक़ ख़ुदावंद ख़ुदा है।

       क्या आप इसे अपना ख़ुदावंद मानते हैं? “उन्हों ये सुनकर सय्यदना मसीह के नाम का बपतिस्मा लिया।” (आमाल 19 5, इन्जील)

बाब सोइम
फ़रिश्तों और लोगों की परस्तिश

       सिवाए ख़ुदा के जिसने आस्मान और ज़मीन और उन में सब चीज़ें पैदा कीं। किसी दूसरे की इबादत करना। मूसा के पहले दो हुक्मों को तोड़ना है। दूसरे अल्फ़ाज़ में ये कि इबादत और परस्तिश सिर्फ़ ख़ुदा ही की करनी जायज़ है। (तौरेत ख़ुरूज 10:6)

जिसके सामने हर एक घुटना टेका जाएगा

       (जिस्म में) मसीह से तक़रीबन 712 साल पेश्तर की पेशीनगोई (अम्बिया के सहीफ़े) “मेरी तरफ़ रुजू लाओ ताकि तुम नजात पाओ। ऐ ज़मीन सब रहने वालो। कि मैं ख़ुदा हूँ। और मेरे सिवा कोई नहीं। मैंने अपनी हयात की क़सम खाई है। कलाम सिदक़ मेरे मुँह से निकला है और ना फिरेगा। कि हर एक घुटना मेरे आगे झुकेगा।” (यसअयाह 45:22 ता 23 अम्बिया के सहीफ़े) यहां पर ख़ुदा ने क़सम खा कर यसअयाह नबी की मार्फ़त पेशीनगोई की है, कि हर एक घुटना मेरे आगे झुकेगा यानी उसी की इबादत और परस्तिश की जाएगी।

मसीह के हक़ में पूरी हुई

       “ताकि येसू (ईसा) के नाम पर हर एक घुटना टिके। ख़्वाह आसमानियों का हो। ख़्वाह ज़मीनियों का। ख़्वाह उन का जो ज़मीन के नीचे हैं।” (इन्जील फिलिप्पियों 2:10) यसअयाह नबी की मार्फ़त जिसने कहा। कि हर एक घुटना मेरे आगे झुकेगा। वो ख़ुदा है। और वो नविश्ता मसीह के हक़ में पूरा हुआ। कि हर एक घुटना येसू के नाम पर टिके। पस येसू मसीह यसअयाह नबी के नविश्ते के मुताबिक़ ख़ुदा है। क्योंकि लिखा है :-

       “कि मैं ख़ुदा हूँ” जिसके सामने हर एक घुटना टेका जाएगा।”

       (जिस्म में) मसीह से 725 साल पेश्तर की पेशीनगोई (अम्बिया के सहीफ़े) बावजूद इस के ख़ुदावंद यूं फ़रमाता है। “देखो मैं सीहोन में बुनियाद के लिए एक पत्थर रखूँगा।एक आज़माया हुआ। पत्थर कोने के सिरे का एक मज़्बूत न्यू वाला पत्थर उस पर जो ईमान लाए शर्मिंदा ना होगा।” (यसअयाह 28:16 अम्बिया के सहीफ़े)

मसीह के हक़ में पूरी हुई

       कोने के सिरे का पत्थर “जिस (मसीह) को मुअम्मारों ने रद्द किया वही कोने के सिरे का पत्थर हो गया।” (इन्जील मत्ती 21:42) येसू नासरी जिसको तुमने सलीब दी।....... ये वही पत्थर है। जिसे तुम मुअम्मारों ने हक़ीर जाना। और वो (येसू मसीह) कोने के सिरे का पत्थर हो गया।” (आमाल 4:10 ता 11 इन्जील) तो मालूम हुआ। कि कोने के सिरे का पत्थर मसीह है।

       अब यसअयाह नबी कहता है। जो इस पत्थर यानी येसू मसीह पर ईमान लाएगा। शर्मिंदा ना होगा। (यसअयाह 28:16)

       फिर यूं लिखा है। कि “अगर तू अपनी ज़बान से येसू नासरी के ख़ुदावंद होने का इक़रार करे और अपने दिल से ईमान लाए। कि खुदा ने उसे मुर्दों में से जिलाया तो नजात पाएगा।” (रोमियों 10:9, इन्जील) चुनान्चे किताब-ए-मुक़द्दस (यसअयाह 28:16) ये कहती है। कि जो कोई उस (यहां इस इस्म-ए-इशारा बईद है जो लफ़्ज़ येसू के लिए इस्तिमाल हुआ है)

       पर ईमान लाएगा। वो शर्मिंदा ना होगा। क्योंकि यहूदियों और यूनानियों में कुछ फ़र्क़ नहीं। क्योंकि वही (येसू) सब का ख़ुदावंद है। और अपने सब दुआ मांगने वालों के लिए फ़य्याज़ है।”

       सो ये सब आयतें बताती हैं, कि येसू से दुआ मांगी जाती है। जो ना सिर्फ ख़ुदा ही से मांगी जाती है।

       जिस तरह हमने मालूम किया कि हर एक घुटना मसीह के सामने टिकेगा। उसी तरह हमने ये भी मालूम किया। कि येसू से दुआ भी मांगी जाती है। और जब तक कोई इन्सान उस के ख़ुदावंद होने का इक़रार दिल से ना करे क्योंकर उस से दुआ मांग सकता है? चुनान्चे लिखा है। “मगर जिस पर वो ईमान नहीं लाए उस से क्योंकर दुआ मांगें?” (रोमियों 10:14, इन्जील)

शागिर्दों ने सय्यदना मसीह से दुआ मांगी

       “पस ये स्तिफ़नुस (सय्यदना मसीह का शागिर्द) को संगसार करते रहे और वो ये कह कर दुआ मांगता रहा। “ऐ ख़ुदावंद येसू मेरी रूह को क़ुबूल कर।” (आमाल 7:59 इन्जील)

       हाँ जो उस पर सच्चे दिल से ईमान लाते हैं। उसे ख़ुदावंद कह कर उस से दुआ मांगते हैं।

       अगर आप सच्चे दिल से येसू को अपना ख़ुदावंद अपनी ज़बान से इक़रार करके मानें। और अपने दिल से ईमान लाएं। कि उसने सलीबी मौत आपके गुनाहों के लिए बर्दाश्त की। और ज़िंदा हुआ। तो वो आपकी मौत और जहन्नम की अबदी हलाकत से निकाल कर हमेशा की ज़िंदगी में दाख़िल करेगा। आप अगर दिली तौर पर ईमान रख कर इन दोनों बातों को दिल से मानते हैं। तो लिखा है :-

       “तो नजात पायेगा।” (रोमियों 10:9 इन्जील)

       इल्म, जायदाद, बड़े ख़ानदान में पैदा होना। और फ़िलोसफ़ी और मन्तिक़, अपने कर्म या अपने काम नजात के लिए बेकार हैं। क्योंकि लिखा है। “कि हमारी सारी रास्तबाज़ियां गंदी धज्जियाँ हैं। (यसअयाह 64:6) बहुत सी जगहों का यात्रा करना। हज़ार रुपया की आमदनी में से पचास रूपये ख़ैरात करना। अमीर होने की हैसियत में हस्पताल या सराय खोल देना। रस्म के तौर पर नमाज़ पढ़ लेना। और इस तरह के अपने बनाए हुए कर्म या अपनी रास्तबाज़ियां ख़ुदा के सामने गंदी धज्जियाँ हैं। अगर इस क़िस्म की अपनी समझ की रास्तबाज़ी आपको गुनाह से नहीं पाक कर सकती। तो इस का कोई फ़ायदा नहीं। अगर इन बातों के बावजूद नफ़्सानी और जिस्मानी ख़्वाहिश आपके दिल में हों। तो क्या वाक़ई ये गंदी धज्जियाँ नहीं। अगर इन्सान रूपये से नजात हासिल कर सकता है। तो ग़रीब बिचारे तो रुपया ख़र्च करके यात्रा नहीं कर सकते हैं। ना हस्पताल खोल सकते हैं। ना बहुत सी आमदानी है, कि बहुत सा रुपया दूसरों को ख़ैरात करें। तो फिर तो ऐसा आदमी पचास रूपये ख़ैरात करने से और बाक़ी रुपया शराबखोरी और नफ़्सानी ख़्वाहिशों को पूरा कर के नजात हासिल करले।

       लेकिन लिखा है कि “तुम्हारी ख़लासी फ़ानी चीज़ों यानी सोने चांदी के ज़रीये नहीं। बल्कि एक बेऐब और बेदाग़ बर्रे यानी मसीह के बेशक़ीमत ख़ून से।” (1 पत्रस 1:18 ता 19 इन्जील) ये तो ख़ुदा की बख़्शिश है। “क्योंकि तुमको ईमान के वसीले फ़ज़्ल ही से नजात मिली। और ये तुम्हारी तरफ़ से नहीं। ख़ुदा की बख़्शिश है। और ना आमाल के सबब से ताकि कोई फ़ख़्र ना करे।” (इफ़िसियों 2:8 ता 9 इन्जील)

       हर एक ग़रीब और अमीर बड़ा, और छोटा ख़ुदा के नज़्दीक एक बराबर है। बशर्ते के वो ईमान लाए।

       “क्या तू ख़ुदा के बेटे (येसू) पर ईमान लाता है?” (यूहन्ना 9:35)

       (अंधा जो ख़ुदावंद येसू से बीना हो चुका था)

       “उसने कहा। ऐ ख़ुदावंद मैं ईमान लाता हूँ। और उसे (येसू को) सज्दा किया (यूहन्ना 9:38 इन्जील)

       ख़ुदावंद येसू मसीह ने उस अंधे का सज्दा क़ुबूल किया। जिसकी आँखें ख़ुदावंद ने खोलीं थीं। और सज्दा सिर्फ़ ख़ुदा ही को किया जाता है।

       तो आप ख़ुद सोचें कि ख़ुदावंद येसू क्या है? फिर लिखा है।

       “और जब पहलौठे को (येसू को) दुनिया में फिर लाता है। तो कहता है, कि ख़ुदा के सब फ़रिश्ते उसे (ख़ुदावंद येसू को) सज्दा करें।” (इब्रानियों 1:6 इन्जील)

       तो मालूम हुआ। कि सब फ़रिश्ते भी ख़ुदावंद येसू मसीह को सज्दा करते हैं। और फिर लिखा है :-

       “फ़रिश्तों की आवाज़ सुनी। जिनका शुमार लाखों और करोड़ों था। और वो बुलंद आवाज़ से कहते थे। कि ज़ब्ह किया हुआ बर्रा (ख़ुदावंद येसू मसीह) ही क़ुद्रत और दौलत और हिक्मत और ताक़त और इज़्ज़त और तम्जीद और हम्द के लायक़ है।” (मुकाशफ़ा 5:11 ता 12 इन्जील)

       “और चारों जानदारों ने आमीन कही और बुज़ुर्गों ने गिर के सज्दा किया।” (मुकाशफ़ा 5:14 इन्जील)

तीन मजूसियों का ख़ुदावंद येसू मसीह को सज्दा

       “क्योंकि पूरब में उस का सितारा देखकर हम उसे सज्दा, करने आए हैं।” (मत्ती 2:2 इन्जील) और इस (ख़ुदावंद येसू) के आगे गिर के सज्दा किया।” (मत्ती 2:11 इन्जील)

शागिर्दों का ख़ुदावंद येसू को सज्दा

       “और देखो येसू उन्हें मिला। और कहा। सलाम। उन्होंने पास आकर उस के क़दम पकड़े। और उसे सज्दा किया।” (मत्ती 28:9, इन्जील) और ग्यारह शागिर्द गलील के उस पहाड़ पर गए। जो येसू ने उनके लिए मुक़र्रर किया था। और उसे देखकर सज्दा किया।” (मत्ती 28:16 ता 17, इन्जील)

       इन तमाम आयतों से मालूम हुआ। कि ख़ुदावंद येसू मसीह की हम्द व तम्जीद की जाती है। ना सिर्फ इन्सान, ना सिर्फ रसूल और उस के शागिर्द। बल्कि सब फ़रिश्ते भी उस की परस्तिश करते हैं।

       उस के सामने अपने आपको झुकाते हैं। उस की इबादत करते हैं। उसे सज्दा करते हैं। और उस से दुआ मांगते हैं।

       हाँ अभी हमने कलाम के हवाले में पढ़ा। कि हर एक घुटना ख़ुदावंद के सामने टिकेगा। और वो येसू मसीह के हक़ में पूरा हुआ।

       क्योंकि सब फ़रिश्ते, रसूल, शागिर्द और सब लोग येसू मसीह को सज्दा करते हैं। उस से दुआ मांगते हैं। उस की तारीफ़ और हम्द करते हैं। इसलिए येसू मसीह ख़ुदा है।

       “जो उस पर ईमान लाता है। उस पर सज़ा का हुक्म नहीं होता (यूहन्ना 3:18, इन्जील)

तोमा की गवाही

       “आठ रोज़ के बाद जब उस के शागिर्द फिर अन्दर थे। और तोमा उनके साथ था। और दरवाज़े बंद थे। तो येसू आया। और बीच में खड़ा हो कर बोला तुम्हारी सलामती हो।” (यूहन्ना 20:26, इन्जील)

       सय्यदना मसीह के शागिर्द एक जगह जमा थे। दरवाज़े सबकी तरफ़ से बंद थे और जब तक दरवाज़ा खोला ना जाये। कोई इन्सान उस के अंदर दाख़िल ना हो सकता था। क्योंकि लिखा है कि दरवाज़े बंद थे। लेकिन सय्यदना मसीह दरवाज़ों के बंद होते हुए भी उनके बीच में आ गया। होशाना ख़ुदावंद येसू मसीह, होशाना ख़ुदावंद येसू मसीह।

       सय्यदना मसीह ने कहा “ज़मीन व आसमान टल जाऐंगे। लेकिन उस के मुँह से निकला हुआ कलाम कभी टल नहीं सकता।” वाक़ई ख़ुदावंद येसू मसीह ने जो कुछ कहा दुरुस्त है। “हक़ मैं हूँ।” (यूहन्ना 14:6 इन्जील)

       “जहां दो या तीन मेरे नाम पर इखट्टे हैं। मैं उनके बीच में हूँ।” (मत्ती 18:20, इन्जील)

       येसू आया। “बीच में खड़ा हो कर तुम्हारी सलामती हो।” सिर्फ़ इन्सान की हालत में कभी शागिर्दों ने इन्सान को बंद दरवाज़ों की हालत में घर के अंदर आते नहीं देखा।

       अज़ीज़ो! अजीब भेद। अजीब ताक़त। हल्लेलुया

       “फिर उस (सय्यदना मसीह) ने तोमा से कहा। अपनी उंगली पास लाकर मेरे हाथों को देख। और अपना हाथ लाकर मेरी पसली में डाल और बेएतिक़ाद ना हो।” (यूहन्ना 20:27 इन्जील)

तोमा की आँखें इस बड़े भेद को ना पहचान सकीं।

       जब सय्यदना मसीह ने जन्म के अंधे की आँखें खोलीं। तो उसने गवाही दी और कहा। एक बात मैं जानता हूँ। कि मैं अंधा था। अब बीना हूँ। (यूहन्ना 9:25, इन्जील) अंधा जो बीना हो गया था। उसने ये भी कहा। कि “ऐसी बड़ी बात दुनिया के शुरू से कभी नहीं हुई थी।” (यूहन्ना 9:32, इन्जील) जब उस की आँखें खुल गईं। तो उस पर भेद खुल गया। कि इन्सान की हालत में ख़ुदा की सूरत है। “और सज्दा किया।” (यूहन्ना 9:38, इन्जील)

       इसी तरह जब तोमा ने एक अजीब नज़ारा देखा। कि बंद दरवाज़ों की हालत में भी ये कमरे में आ गया। और साथ सय्यदना मसीह ने अपनी सलीबी ज़र्ब भी उस को दिखाई। तो उस की बंद आँखें भी खुल गईं। और मालूम किया। कि ये सिर्फ़ सय्यदना मसीह ही नहीं। सिर्फ मसीह ही नहीं। बल्कि ख़ुदा है।

       चुनान्चे लिखा है “तोमा ने जवाब में उस (सय्यदना मसीह) से कहा ऐ मेरे ख़ुदावंद। ऐ मेरे ख़ुदा।” (यूहन्ना 20:28, इन्जील)

       अज़ीज़ो ख़ुदा आपको तौफ़ीक़ दे। जैसे जन्म के अंधे की आँखें खुल गईं। और जैसे तोमा के दिल की आँखें खुल गईं इसी तरह आपकी आँखें खुल जाएं। और सय्यदना मसीह के ज़ख़्मों का दर्द-नाक सलीब का नज़ारा आपकी आँखों में आ जाए और कह सकें, “ऐ मेरे ख़ुदावंद। ऐ मेरे ख़ुदा।”

बाब चहारुम
दीगर पेशीन गोईयाँ और मसीह की उलूहियत

       (जिस्म में) मसीह से 712 साल पेश्तर की पेशीनगोई (अम्बिया के सहीफ़े) “ब्याबान में मुनादी करने वाले की आवाज़। तुम ख़ुदावंद की राह तैयार करो। सहरा में हमारे ख़ुदा के लिए एक सीधी शाहराह तैयार करो।” (यसअयाह 40:3, अम्बिया के सहीफ़े)

यूहन्ना नबी के हक़ में पूरी हुई

       “ब्याबान में मुनादी करने वाला।” ये (यूहन्ना) बपतिस्मा देने वाला वही है। जिस का ज़िक्र यसअयाह नबी की मार्फ़त यूं हुआ। कि “ब्याबान में पुकारने वाले की आवाज़ आती है। ख़ुदावंद की राह तैयार करो। उस के (ख़ुदा के) रास्ते सीधे बनाओ।” (मत्ती 3:3 इन्जील)

       मसीह के हक़ में पूरी हुई। (1) ख़ुदावंद की राह (2) हमारे ख़ुदा के लिए

       दूसरे दिन उसने (यूहन्ना ने) येसू को अपनी तरफ़ आते देख कर कहा (इल्हाम) “ये ख़ुदा का बर्रा है। जो दुनिया का गुनाह उठा ले जाता। ये वही है। यसअयाह नबी की पेशीनगोई वाला जिसकी बाबत मैंने कहा था एक शख़्स मेरे बाद आता है। जो मुझसे मुक़द्दम ठहरा।” क्योंकि वो मुझसे पहले था।” (यूहन्ना 1:29 ता 30 इन्जील)

       जिस्म के लिहाज़ से तो यूहन्ना सय्यदना मसीह से पहले पैदा हुआ। और जिस्म के लिहाज़ से बड़ा है। लूक़ा की इन्जील के पहले और दूसरे बाब में यूहन्ना की पैदाइश और सय्यदना मसीह के मुजस्सम होने की हालत कुँवारी मर्यम से साफ़ तौर पर दी हुई है।

       यूहन्ना बावजूद जिस्म में सय्यदना मसीह के बड़ा होने के (पैदाइश के लिहाज़ से) सय्यदना मसीह के हक़ में कहता है, कि “मसीह मुझसे मुक़द्दम ठहरा। क्योंकि वो मुझसे पहले था।” जिस तरह यूहन्ना ने जिस्म की हालत का ख़याल ना रखते हुए रूह-उल-क़ुद्स की मार्फ़त ये दर्याफ़्त की और गवाही दी। क्योंकि वो मुझसे पहले था। इसी तरह हम भी मसीह को “जिस्म की हैसियत से ना पहचानेंगे।” (1 कुरिन्थियों 1:16, इन्जील)

       यसअयाह नबी की पेशीनगोई मसीह के हक़ में पूरी हुई। जिसमें लिखा है। (1) ख़ुदावंद की राह (2) हमारे ख़ुदा के लिए।

       और दोनों हालतें मसीह के हक़ में पूरी हुईं। क्योंकि यूहन्ना ने सय्यदना मसीह ही के लिए राह तैयार किया। जिसे पैशन गोई में ख़ुदा कहा गया है।

मसीह सभों के ऊपर ख़ुदा है
       ज़बूर का नविश्ता :-

       “क्योंकि ऐ ख़ुदावंद तू सारी ज़मीन पर बाला है। और सारे माबूदों से सर-बुलंद है।” (ज़बूर 9:9)

       मसीह के हक़ में पूरा हुआ।

       “जो ऊपर से आता है। वो सब से ऊपर है। और वो जो ज़मीन से है। वो ज़मीन ही की कहता है। जो (सय्यदना मसीह) आस्मान से आता है। वो सबसे ऊपर है।” (यूहन्ना 3 31, इन्जील)

       और फिर लिखा है :-

       “क़ौम के बुज़ुर्ग उन्हीं (यहूदियों) के हुए हैं। और जिस्म की रु से मसीह भी उन्हीं में से हुआ। सब के ऊपर अबद तक ख़ुदा ए महमूद है।” (रोमियों 9:5, इन्जील)

       वही पौलूस रसूल जिसने कहा “हाँ अगरचे मसीह को भी जिस्म की हैसियत से जाना था। मगर अब नहीं जानेंगे।” यहां पर ख़ुद भी इस बात पर अमल करता है। और गो जिस्म की रु से मसीह यहूदियों में से है। तो भी पौलूस रसूल उस के जिस्म की हैसियत में आने से ठोकर नहीं खाता और कहता है :-

“जो सब के ऊपर ख़ुदा-ए-महमूद है।”

       अगर आप मसीह के मुजस्सम होने की वजह से इस भेद को समझने से ठोकर खाते हैं। और उस की उलूहियत का भेद नहीं समझ सकते तो पौलूस रसूल का अमली नमूना लेकर इस आयत को याद करो। कि “हम मसीह को अब से जिस्म की हैसियत से नहीं पहचानेंगे।” अगर आप सच्चे दिल से ईमान लाएं। तो रूह-उल-क़ुद्स ख़ुद आपके दिल को खोल देगा। काश कि आप भी ये दिल से कह सकें :-

       “जो सब के ऊपर अबद तक ख़ुदा-ए-महमूद है।”

मसीह चौपान या चरवाहे की हैसियत में ख़ुदा

       चौपान, गडरिया, शहबान, गल्लाबान, चरवाहा

       (जिस्म में) मसीह से तक़रीबन 711 साल पेश्तर की पेशीनगोई “देखो ख़ुदावंद ख़ुदा ज़बरदस्ती के साथ आएगा। और उस का बाज़ू अपने लिए सल्तनत करेगा इस का सिला उस के साथ है और इस का अज्र उस के आगे वो (ख़ुदावंद ख़ुदा) चौपान की मानिंद गल्ला चराएगा।” (यसअयाह 40:10 ता 11, अम्बिया के सहीफ़े)

       सय्यदना मसीह के हक़ में पूरी हुई।

       सय्यदना मसीह ने उन से फिर कहा (यूहन्ना 10:7, इन्जील)

       (1) “अच्छा चरवाहा मैं हूँ, अच्छा चरवाहा अपनी भेड़ों के लिए अपनी जान देता है।” (यूहन्ना 10:11 इन्जील)

       (2) “भेड़ों के बड़े चरवाहे यानी हमारे सय्यदना मसीह।” (इब्रानियों 13:20, इन्जील)

       (3) “और जब सरदार गल्लाबान (सय्यदना मसीह) ज़ाहिर होगा तो तुमको जलाल का ऐसा सेहरा मिलेगा। जो मुर्झाने का नहीं।” (1 पतरस 5:4 इन्जील)

       यसअयाह नबी की पेशीनगोई में लिखा है। “देखो ख़ुदावंद ख़ुदा आएगा। वो चौपान की तरह गल्ला चराएगा।”

       तो ऊपर वाली हर सह हालतें मसीह को चौपान साबित करती हैं।

       इसलिए सय्यदना मसीह चौपान की हैसियत में पेशीनगोई के मुताबिक़ ख़ुदावंद ख़ुदा है।

सय्यदना मसीह बादशाहों का बादशाह और ख़ुदावंदों का ख़ुदावंद
       ज़बूर का नविश्ता :-

       “उस का जो इलाहों का ख़ुदा है। शुक्र करो। उस की रहमत अबदी है। उसी का शुक्र करो। जो ख़ुदावन्दों का ख़ुदावंद है, कि उस की रहमत अबदी है।” (ज़बूर 136:2 ता 3)

       (2) (जिस्म में) मसीह से 1451 साल पेश्तर का नविश्ता (तौरेत मूसा की पांचवीं किताब) कि “ख़ुदावंद तुम्हारा ख़ुदा वही ख़ुदाओं का ख़ुदा है। और ख़ुदावन्दों का ख़ुदावंद।” (इस्तशना 10:17, तौरेत)

       (3) (जिस्म में) मसीह से 603 साल पेश्तर का नविश्ता “बादशाह ने दानीएल नबी से कहा, कि “हक़ीक़त में तेरा ख़ुदा इलाहों का इलाह और बादशाहों का ख़ुदावंद है।” (दानीएल 2:47, अम्बिया के सहीफ़े)

       तीनों नविश्ते सय्यदना मसीह के हक़ में पूरे हुए।

       “उस का नाम कलाम-ए-ख़ुदा कहलाता है। ............. उस की पोशाक और रान पर ये नाम लिखा हुआ है :-

       “बादशाहों का बादशाह और ख़ुदावन्दों का ख़ुदावंद।” (मुकाशफ़ा 19:13, 16 इन्जील)

       फिर लिखा है “और बर्रा उन पर ग़ालिब आएगा। क्योंकि वो ख़ुदावन्दों का ख़ुदावंद और बादशाहों का बादशाह है।” (मुकाशफ़ा 17:14, इन्जील) और वो बर्रा सय्यदना मिसी है। चुनान्चे लिखा है :-

       (यूहन्ना नबी) उसने सय्यदना मसीह पर, जो जा रहा था। निगाह करके कहा, ये ख़ुदा का बर्रा है।” (यूहन्ना 1:26 इन्जील)

       तो मालूम हुआ कि बर्रा सय्यदना मसीह का नाम है। अब यूं पढ़ें और सय्यदना मसीह उन पर ग़ालिब आएगा। क्योंकि वो ख़ुदावन्दों का ख़ुदावंद और बादशाहों का बादशाह है। पस तमाम नविश्तों से मालूम हुआ कि मसीह इलाहों का ख़ुदा और ख़ुदावन्दों का ख़ुदावंद है।

बाब पंजुम
सय्यदना मसीह की शान और जलाल

       यसअयाह नबी का नविश्ता (अम्बिया के सहीफ़े) (जिस्म में) मसीह से 712 साल पेश्तर :-

       “ख़ुदावंद इस्राईल का बादशाह और उस का नजात देने वाला रब-उल-अफ़्वाज फ़रमाता है कि मैं अव्वल व आखिर हूँ और मेरे सिवा कोई ख़ुदा नहीं।” (यसअयाह 44:6, अम्बिया के सहीफ़े)

       हमने मालूम किया कि इसी एक आयत में ख़ुदा के लिए छः (6) मुख़्तलिफ़ नाम आए हैं। क्योंकि सब नाम सिर्फ एक ही ख़ुदा के लिए इस्तिमाल हुए हैं। और बावजूद छः (6) मुख़्तलिफ़ नामों के लिए ख़ुदा एक ही रहा। इसी आयत में ये भी साफ़ ज़ाहिर है, कि अगर हम इन छः नामों में से कोई सा नाम पुकारें तो इस का मतलब ख़ुदा है।”

       (1) ख़ुदावंद....... ख़ुदा है। (2) इस्राईल का बादशाह ख़ुदा है। (3) नजात देने वाला ख़ुदा है। (4) रब-उल-अफ़्वाज ख़ुदा है। (5) अव्वल व आख़िर ख़ुदा है।

       हर एक नाम सय्यदना मसीह के हक़ में पूरा हुआ।

       (1) ख़ुदावंद “अगर तू अपनी ज़बान से सय्यदना मसीह के ख़ुदावंद होने का इक़रार करे और अपने दिल से ईमान लाए। कि ख़ुदा ने उसे मुर्दों में से जिलाया। तो नजात पाएगा।” (रोमियों 10:9, इन्जील) ख़ुदावंद येसू मसीह। (2 कुरिन्थियों 1:2, 2 कुरिन्थियों 1:3, इन्जील)

       (तमाम कलाम ही मसीह के ख़ुदावंद होने को साबित करता है। और ये चंद हवाले पेश किए गए हैं।)

       (2) इस्राईल का बादशाह। और पिलातूस ने एक किताबा लिख कर सलीब पर लगा दिया। उस में ये लिखा हुआ था। येसू नासरी यहूदियों (इस्राईल) का बादशाह।”

       इस किताबा को बहुत से यहूदियों ने पढ़ा। इसलिए कि वो मुक़ाम जहां सय्यदना मसीह सलीब दीए गए थे। शहर के नज़्दीक था। और वो इब्रानी और यूनानी और लातीनी में लिखा हुआ था। पस यहूदियों के सरदार काहिनों ने पिलातूस से कहा। कि यहूदियों का बादशाह ना लिख बल्कि ये लिख कि उसने कहा (येसू ने) :-

“मैं यहूदियों (इस्राईल) का बादशाह हूँ।”


       पिलातूस ने जवाब दिया कि “मैंने जो लिख दिया वो लिख दिया।” पूरा हुआ (यूहन्ना 11:19 ता 22, इन्जील)

       (3) मुंजी याने नजात देने वाला। “मगर फ़रिश्ते ने उनसे कहा। डरो नहीं। क्योंकि मैं तुम्हें बड़ी ख़ुशी की बशारत देता हूँ। जो सारी उम्मत के वास्ते होगी। कि आज दाऊद के शहर में तुम्हारे लिए एक मुंजी पैदा हुआ यानी मसीह ख़ुदावंद।” (लूक़ा 2:11, इन्जील)

       येसू का मतलब, नजात देने वाला।

जिब्राईल फ़रिश्ते की गवाही

       “वो बेटा जनेगी। तू उस का नाम येसू रखना। क्योंकि वही अपने लोगों को उनके गुनाहों से नजात देगा।” (मत्ती 1:21, इन्जील) मुक़ाबला करो। “ऐ इस्राईल ख़ुदावंद पर तवक्कुल कर। कि रहमत ख़ुदावंद के पास है। उस के पास कस्रत से मख़लिसी है। और वही इस्राईल को उस की सारी बदकारी से रिहाई देगा।” (ज़बूर 130:7 ता 8)

सय्यदना मसीह के सिवा किसी दूसरे से नजात (मुक्ती) नहीं।

       “और किसी दूसरे के वसीले से नजात नहीं। क्योंकि आस्मान के तले आदमियों को कोई दूसरा नाम नहीं बख़्शा गया। कि जिसके वसीले से हम नजात पा सकें।” (आमाल 4:12, इन्जील)

       (4) रब-उल-अफ़्वाज। (जिस्म में) मसीह से 758 साल पेश्तर का नविश्ता (यसअयाह नबी) “जिस बरस कि उज़्ज़ियाह बादशाह मर गया। जिस (यसअयाह नबी) ने ख़ुदावंद को बड़ी बुलंदी पर ऊंचे तख़्त के ऊपर बैठे देखा।........ और उस के पास सराफ़ीम खड़े थे।...... और एक ने दूसरे को पुकारा। और कहा, क़ुद्दूस क़ुद्दूस रब-उल-अफ़्वाज है।” (यसअयाह 6:1 ता 3, अम्बिया के सहीफ़े)

       सय्यदना मसीह के हक़ में पूरा हुआ।

       “येसू ये बातें कह कर चला गया। और अपने आपको छुपाया और अगरचे उसने उनके सामने बहुत से मोअजिज़े दिखाए। तो भी वह उस पर ईमान ना लाए। ताकि यसअयाह नबी का कलाम पूरा हुआ।....... यसअयाह ने ये बातें इसलिए कहीं कि उस का (सय्यदना मसीह) का जलाल देखा। और उसने उस के बारे में कलाम किया।” (यूहन्ना 12:36 ता 41, इन्जील) तो यसअयाह ने ख़ुदावंद को बड़ी बुलंदी पर ऊंचे तख़्त पर बैठे देखा और यूहन्ना की गवाही और इस हवाले का इशारा सय्यदना मसीह की तारिफ़ है। तो साफ़ मालूम हुआ। कि यसअयाह नबी ने सय्यदना मसीह ही का जलाल देखा। और सराफ़ीम से पुकारा और कहा :-

“क़ुद्दूस, क़ुद्दूस, क़ुद्दूस रब-उल-अफ़्वाज है।”

पतरस की गवाही

       सय्यदना मसीह का नाम क़ुद्दूस। “तुमने उस क़ुद्दूस और रास्तबाज़ का इन्कार किया। और दरख़्वास्त की कि एक ख़ूनी तुम्हारी ख़ातिर छोड़ा जाये।” (आमाल 3:14, इन्जील)

       ये ख़ूनी एक डाकू था। जिसका नाम बरअबा था। और यहूदी ईद के वक़्त चोर या डाकू को छोड़ देते थे। जब पिलातूस ने येसू में कोई जुर्म ना पाया। तो चाहा कि उसे छोड़ दिया जाये। इसलिए उसने यहूदियों को कहा। जैसा तुम्हारी रस्म है येसू को छोड़ दिया जाये। इसलिए उसने छोड़ देना चाहा क्योंकि वो जानता था कि इस में कोई ऐब नहीं है और किसी ना किसी तरह उसे बरी किया जाये। लेकिन यहूदियों ने कहा बरअबा डाकू को छोड़ दिया जाये। और येसू मसीह को सलीब दिया जाये। हाँ ये इसलिए हुआ कि तमाम नविश्ते पूरे हों।

       और यहां पतरस ने अपनी गवाही में सय्यदना मसीह को क़ुद्दूस कहा। और यसअयाह नबी की किताब में लफ़्ज़ क़ुद्दूस, रब-उल-अफ़्वाज के लिए आया है। पस मसीह रब-उल-अफ़्वाज है।

       “एक घोड़ा है और उस पर एक सवार है। जो सच्चा और बरहक़ कहलाता है।.... उस का नाम कलाम-ए-ख़ुदा है।” (येसू मसीह) (मुकाशफ़ा 19:11 ता 13 इन्जील)

       “फिर मैंने उस हैवान और ज़मीन के बादशाहों और उनकी फ़ौजों को शैतान की फ़ौजें उस घोड़े के सवार और उस की फ़ौज से जंग करने के लिए इकट्ठा देखा।” (मुकाशफ़ा 19:19, इन्जील)

       कलाम-ए-ख़ुदा सय्यदना मसीह का नाम है। जो सफ़ैद घोड़े पर सवार है। और उस की फ़ौज को यानी येसू की फ़ौज को शैतान की फ़ौजों से जंग करने के लिए इकट्ठा देखा तो मालूम हुआ कि येसू मसीह रब-उल-अफ़्वाज है।

       लश्करों का ख़ुदावंद। (ज़बूर 24:10) ख़ुदावंद येसू मसीह “जो जंग में ज़ोर-आवर है।” (ज़बूर 24:8)

       अव़्वल व आख़िर। “मैं अव्वल व आख़िर और ज़िंदा हूँ। मैं मर गया था (ख़ुदावंद येसू मसीह) और देख अबद-उल-आबाद ज़िंदा रहूँगा। और मौत और आलम-ए-अर्वाह की कुंजियाँ मेरे पास हैं।” (मुकाशफ़ा 1:17 ता 18, इन्जील) हाँ जो सलीब पर मर गया। और तीसरे दिन ज़िंदा हुआ। वो ख़ुदावंद येसू मसीह है। और ख़ुदावंद येसू मसीह का नाम अव्वल व आख़िर है।

       “देख में जल्द आने वाला हूँ।..... मैं अल्फ़ा और ओमेगा अव्वल व आख़िर इब्तिदा और इंतिहा हूँ।” (मुकाशफ़ा 22:12 ता 13, इन्जील)

       आने वाला ख़ुदावंद येसू मसीह है। और उस की दूसरी आमद को ज़ाहिर करता है। और आने वाले ख़ुदावंद येसू का नाम अव्वल व आख़िर है।

       तो मालूम और साबित हुआ। कि (1) ख़ुदावंद, (2) इस्राईल का बादशाह (3) नजात देने वाला। (4) रब-उल-अफ़्वाज। (5) अव्वल व आख़िर इन्जील में येसू मसीह के हक़ में साफ़ तौर पर पूरे हुए। और इन तमाम नामों की वजह से येसू मसीह यसअयाह नबी के नविश्ते के मुताबिक़ ख़ुदा है।

       क्या आप ख़ुदावंद येसू मसीह को अपना नजातदिहंदा दिल से मानते हैं?

       चुनान्चे लिखा है। “पस उन्होंने शौक़ से कलाम क़ुबूल किया। और उनमें से बहुतेरे ईमान लाए।” (इन्जील, आमाल 17:11 ता 12)

क़ादिर-ए-मुतलक़

       (जिस्म में) मसीह से तक़रीबन 1898 साल पेश्तर का नविश्ता

       “जब अब्राम (जिसको ख़ुदावंद ने बाद में इब्राहिम कहा) निनान्वें बरस का हुआ। तब ख़ुदावंद अब्राम को नज़र आया। और उसने कहा कि मैं ख़ुदा-ए-क़ादिर हूँ।” (पैदाइश 17:1, तौरेत, मूसा की पहली किताब)

       येसू मसीह के हक़ में पूरा।

       (येसू के अल्फ़ाज़) “तुम्हारा बाप अब्राहाम मेरे दिन देखने की उम्मीद पर था। उसने देखा और ख़ुश हुआ।”

       (अंधे यहूदी) यहूदियों ने उस से कहा। कि तेरी उम्र तो अभी पचास (50) बरस की नहीं। फिर तू ने अब्रहाम को देखा? येसू ने उनसे कहा। “मैं तुमसे सच्च कहता हूँ। पेश्तर इस से कि अब्राहाम पैदा हुआ मैं हूँ।” (यूहन्ना 8:56 ता 58, इन्जील)

       मुजस्सम होने की हालत में ख़ुदावंद येसू मसीह की उम्र 33 बरस की हुई। तो मैंने पहले भी लिखा। कि जो जिस्म का ख़याल करते रहे और करते रहते हैं ज़रूर ठोकर खाएँगे।

       क्या “पेश्तर इस के कि इब्राहिम पैदा हुआ मैं हूँ।” मसीह की उम्र 33 साल बताता है?

       इस के ताल्लुक़ में चंद और हवालेजात पेश करता हूँ :-

       (1) जिस्म की हालत में दुआ “और अब ऐ बाप! तू इस जलाल से जो मैं दुनिया से पेश्तर तेरे साथ रखता था।....” (यूहन्ना 17:15, इन्जील)

       (2) वही दुआ। “क्योंकि तूने बनाए आलम के पेश्तर मुझसे मुहब्बत रखी।” (यूहन्ना 17:24, इन्जील)

       (3) “जिनके नाम इस बर्रे (ख़ुदावंद येसू मसीह का नाम) की किताब में लिखे नहीं गए। “जो बनाए आलम के वक़्त से ज़ब्ह हुआ है।” (मुकाशफ़ा 13:18, इन्जील) क्या ये हवाले मसीह की 33 साल की उम्र बताते हैं?

       इसलिए अज़ीज़ो मसीह को जिस्म की हैसियत में ना पहचानें। पौलूस रसूल कहता है, कि मसीह की जिस्म की हालत को “अब से नहीं जानेंगे।” (2 कुरिन्थियों 5:16, इन्जील)

       इस बयान में येसू मसीह ने यहूदियों पर ज़ाहिर किया। कि वह इब्राहिम से भी पहले है। ख़ासकर लफ़्ज़ हूँ इस मतलब को बिल्कुल साफ़ कर देता है। अब ख़ुदावंद येसू मसीह के मुजस्सम होने से 1899 साल पेश्तर लिखा हुआ नविश्ता पढ़ा और यह कह इब्राहिम की उम्र उस वक़्त (*) बरस की थी। मगर ख़ुदावंद येसू मसीह इतने लंबे अर्से के बाद भी अपने मुताल्लिक़ यूं कहता है, कि पेश्तर इस के कि अब्रहाम पैदा हुआ मैं हूँ और इतनी उम्र एक मिट्टी के इन्सान की नहीं हो सकती बल्कि सिर्फ़ ख़ुदा ही की हो सकती है। पस येसू बनाए आलम से पेश्तर जलाली ख़ुदा है।

       (जिस्म में) मसीह से क़रीबन 740 साल पेश्तर का नविश्ता (अम्बिया के सहीफ़े) “कि हमारे लिए एक लड़का तवल्लुद हुआ और हमको एक बेटा बख्शा गया। और सल्तनत उस के कांधे पर होगी। और वो इस नाम से कहलाता है। अजीब, मुशीर ख़ुदा-ए-क़ादिर, अबदियत का बाप, सलामती का शहज़ादा।” (यसअयाह 9:6, अम्बिया के सहीफ़े)

       ये ख़ुदावंद येसू मसीह के मुजस्सम होने की पेशीनगोई है। लेकिन वाज़ेह हो। कि मुजस्सम होने से पेश्तर भी ख़ुदावंद येसू मसीह इस नाम से कहलाता है। यानी जब यसअयाह नबी को इल्हाम हुआ तो उस वक़्त भी वो मुजस्सम होने वाला इस नाम से कहलाता है यानी ख़ुदा-ए-क़ादिर।

       इस लिए अंधे यहूदियों की तरह आप भी ऐसी ग़लती ना करें कि तेरी उम्र तो अभी पचास (50) बरस की नहीं।

       पेशीनगोई में ख़ुदावंद येसू मसीह के हक़ में कहा गया। कि एक लड़का तवल्लुद हुआ। और हम को एक बेटा बख्शा गया। जो ख़ुदा-ए-क़ादिर के नाम से कहलाता है। 1898 साल मसीह के मुजस्सम होने से पहले के नविश्ते में ख़ुदावंद अब्रहाम पर ज़ाहिर हुआ। और कहा। कि मैं ख़ुदा-ए-क़ादिर हूँ। जो यसअयाह नबी की पेशीनगोई में साफ़ तौर से येसू मसीह के हक़ में पूरा हुआ। यानी वो लड़का येसू जो मुजस्सम हुआ ख़ुदा-ए-क़ादिर है।

आने वाला येसू मसीह जिसे उन्होंने छेदा क़ादिर-ए-मुतलक़ है

       “देखो वो (मसीह येसू) बादलों के साथ आने वाला है। और हर एक आँख उसे देखेगी। और जिन्हों ने उसे (येसू मसीह) को छेदा था। वो भी उसे देखेंगे।” (मुकाशफ़ा 1:7, इन्जील)

       “ख़ुदावंद ख़ुदा जो है और जो था और जो आने वाला है।” यानी क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है, कि “मैं अल्फ़ा और ओमेगा हूँ।” (मुकाशफ़ा 1:8 इन्जील)

       मुकाशफ़ा 1:7 में बादलों के साथ कौन आने वाला है?

       “बादलों पर येसू मसीह राजा जल्दी आता है।”

       यानी वो जल्द आने वाला है। जिसे उन्होंने छेदा था।

       (जिस्म में) मसीह से 487 साल पेश्तर की पेशीनगोई। (अम्बिया के सहीफ़े)

       “और वो मुझ पर जिसे उन्होंने छेदा है। नज़र करेंगे।” (ज़करिया 12:10 अम्बिया के सहीफ़े)

       पूरी हुई।

       “मगर उनमें से एक सिपाही ने भाले से उस (येसू मसीह) की पिसली छेदी।” (यूहन्ना 19:34, इन्जील)

       मालूम हुआ और साबित हुआ कि जिसे उन्होंने छेदा वो मसीह येसू है। और वही आने वाला है।” (मुकाशफ़ा 1:8, इन्जील)

       फिर पढ़ें :-

       ख़ुदावंद ख़ुदा जो है और जो था और “जो आने वाला है।” यानी क़ादिर-ए-मुतलक़

       पस साफ़ तौर से मालूम हुआ। कि आने वाले ख़ुदावंद येसू मसीह का नाम क़ादिर-ए-मुतलक़ है।

       ऐ ख़ुदावंद येसू आ (मुकाशफ़ा 22:20, इन्जील)

मसीह (कलाम) अबदी ख़ुदा और ख़ालिक़

       जब हम लफ़्ज़ “ख़ालिक़” इस्तिमाल करते हैं। तो समझते हैं, कि हम उसे ख़ुदा ही के लिए इस्तिमाल करते हैं। क्योंकि उस में सारी चीज़ें पैदा की गईं। आस्मान की हों या ज़मीन की। देखी हों या अनदेखी तख़्त हों या रियासतें या इख्तियारात सारी चीज़ें उसी के वसीले से और उसी के वास्ते पैदा हुई हैं। वो सब चीज़ों से पहले है। और उसी में सब चीज़ें क़ायम रहती हैं।” (कुलस्सियों 1:16 ता 17, इन्जील)

       “सारी चीज़ें उसी के वसीले से (पहली आयत में कलाम यानी कलमा) पैदा हुईं। और जो पैदा हुआ। कोई भी उस के बग़ैर पैदा ना हुआ।” (यूहन्ना 1:3, इन्जील)

       यूहन्ना पहला बाब पढ़ने से मालूम होगा। कि सारा ही बाब ख़ुदावंद येसू मसीह के मुताल्लिक़ है। दुनिया को पैदा करने वाला ख़ुदा है। जो यहां कलाम यानी ख़ुदावंद येसू मसीह को साबित करता है पस ख़ुदावंद येसू मसीह कलाम या कलमा है। कलाम की हैसियत में मुन्दरिजा बाला आयत के बमूजब ख़ालिक़ और ख़ालिक़ की हैसियत से ख़ुदा है।

ज़बूर का नविश्ता :-

       (ज़बूर नवीस) “मैंने कहा “ऐ मेरे ख़ुदा आधी उम्र में मुझे ना उठाले। तेरे बरस पुश्त दर पुश्त हैं। तूने क़दीम से ज़मीन की बिना डाली। आस्मान भी तेरे हाथ की सनअतें हैं। वो नेस्त हो जाएंगे। पर तू बाकी रहेगा। हाँ वो सब पोशाक की मानिंद पुराने हो जाएंगे। तू उन्हें लिबास की मानिंद बदलेगा। और वो मुबद्दल होंगे पर तू वही है। और तेरे बरसों की इंतिहा ना होगी।” (ज़बूर 102:23 ता 27)

       यहां पर ज़बूर नवीस ख़ुदा से मुख़ातिब है और कहता है :-

       “ऐ मेरे ख़ुदा। तू ही ने आस्मान और ज़मीन को पैदा किया।” और आस्मान और ज़मीन और उनकी तमाम चीज़ों को पैदा करने की वजह से हम ख़ुदा को ख़ालिक़ कहते हैं।

येसू मसीह का नाम “बेटा”

       पुराने और नए अहदनामे में येसू मसीह का नाम बेटा भी है और वाज़ेह हो कि बेटा जिस्मानी तौर पर नहीं कहा गया। बल्कि रुहानी मअनी में ख़ुदा की मुहब्बत का सबूत है।

ख़ुदा की गवाही :-

       “और येसू बपतिस्मा लेकर फ़ील-फ़ौर पानी के पास से ऊपर गया। और देखो उस के लिए आस्मान खुल गया। और उस ने ख़ुदा के रूह को कबूतर की मानिंद उतरते और अपने ऊपर आते देखा। और आस्मान से आवाज़ आई। कि ये मेरा प्यारा बेटा है।” (मत्ती 3:16 ता 17, इन्जील)

जिब्राईल फ़रिश्ते की गवाही, बेटा कहलाने की वजह :-

       “और फ़रिश्ते ने जवाब में उस से कहा। कि रूह-उल-क़ुद्स तुझ पर नाज़िल होगा और ख़ुदा तआला की क़ुद्रत तुझ पर साया करेगी। और इस सबब से वो पाकीज़ा जो पैदा होने वाला है। ख़ुदा का बेटा कहलाएगा।” (लूक़ा 1:25, इन्जील)

दाऊद का इल्हाम :-

       “ख़ुदावंद ने मेरे हक़ में फ़रमाया। कि तू मेरा बेटा है।” (ज़बूर 2 7) “बेटे को चूमो।” (ज़बूर 2:12)

याफ़ा के बेटे अजूर का इल्हामी कलाम :-

       (जिस्म में) मसीह से 700 साल पेश्तर “कौन आस्मान पर चढ़ता और उस पर से उतरता, किस ने हवा को अपनी मुट्ठी में जमा कर लिया? किस ने पानियों को चादर में बाँधा? किस ने ज़मीन की सारी हदें ठहराईं? अगर तू बता सकता है। तो बतला। कि उस का क्या नाम है और उस के बेटे का नाम क्या है?” (अम्साल 30:4 अम्बिया के सहीफ़े)

       (जिस्म में) मसीह से 580 साल पेश्तर का नविश्ता (अम्बिया के सहीफ़े) नबूकदनज़र बादशाह ने एक अजीब नज़ारा देखा। आग की भट्टी में तीन शख़्स डाले गए और चार हो गए। “और चौथे की सूरत ख़ुदा के बेटे की सी है।” (दानीएल 3:25)

ख़ुदावंद येसू की अपनी गवाही :-

       “येसू ने सुना। कि उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया। और जब उस से मिला। तो कहा। क्या तू ख़ुदा के बेटे पर ईमान लाता है।” (यूहन्ना 9:35, इन्जील)

शमऊन पतरस रसूल की गवाही :-

       “शमऊन पतरस रसूल ने जवाब में कहा। तू ज़िंदा ख़ुदा का बेटा मसीह है।” (मत्ती 16:16, इन्जील)

       पुराने और नए अहद नामे में और भी बहुत से हवालेजात हैं। जो येसू को बेटे के नाम से पुकारते हैं।

       येसू के “बेटे” होने को इसलिए बताया गया है, कि ज़बूर का ऊपर बयान किया हुआ नविश्ता बेटे के हक़ में पूरा हुआ है।

       पूरा हुआ।

       “मगर बेटे की बाबत कहता है। ऐ ख़ुदा तेरा तख़्त अबद-उल-आबाद रहेगा।” (इब्रानियों 1:8, इन्जील)

       हमने मालूम किया। कि बेटा येसू के हक़ में कहा गया है और यहां बेटे को कहा जाता है :-

ऐ ख़ुदा

       फिर इब्रानियों पहला बाब इन्जील पढ़ने से मालूम होगा। कि तमाम बाब ख़ुदावंद येसू मसीह की उलूहियत के बारे में है।

       आगे चल कर बेटे की बाबत यूं कहता है। “और यह कि ऐ ख़ुदावंद (बेटे की बाबत) तूने इब्तिदा में ज़मीन की न्यू डाली और आस्मान तेरे हाथ की कारीगरियाँ हैं। वो नेस्त हो जाएंगे। मगर तू बाक़ी रहेगा। और वो पोशाक की मानिंद पुराने हो जाएंगे। तू उन्हें चादर की तरह लिपटेगा। और वो पोशाक की तरह बदल जाऐंगे। मगर तू वही है। और तेरे बरस ख़त्म ना होंगे।” (इब्रानियों 1:10 ता 12 इन्जील)

       तो मालूम हुआ। कि ज़बूर 102 का नविश्ता जो ख़ुदावंद येसू मसीह के मुजस्सम होने से कई साल पेश्तर लिखा गया। बेटे यानी ख़ुदावंद येसू मसीह के हक़ में पूरा हुआ।

       ज़बूर और इन्जील के दोनों जगहों के हवालों के पढ़ने से मालूम हुआ। कि वो बेटे को साबित करता है। और आस्मान और ज़मीन को पैदा करने के सबब से ख़ालिक़। और ख़ालिक़ की हैसियत से इन्जील और ज़बूर के नविश्ते के मुताबिक़ ख़ुदा है।

       “मगर जिसने सब चीज़ें बनाईं वो ख़ुदा है।” (इब्रानियों 3:4, इन्जील)

इम्मानुएल

       (जिस्म में) मसीह से 742 साल पेश्तर की पेशीनगोई :-

       “बावजूद इस के ख़ुदावंद आप तुमको (बनी-इस्राईल) एक निशान देगा। देखो एक कुँवारी हामिला होगी। और बेटा जनेगी। और उस का नाम इम्मानुएल रखेंगे।” (यसअयाह 7:14, अम्बिया के सहीफ़े)

       (जिब्राईल फ़रिश्ते ने कहा) “वो बेटा जनेगी और तू उस का नाम येसू रखना। क्योंकि वही अपने लोगों को उनके गुनाहों से नजात देगा। ये सब कुछ इसलिए हुआ। कि जो ख़ुदावंद ने नबी की मार्फ़त कहा था। वो पूरा हुआ। देखो एक कुँवारी हामिला होगी। और बेटा जनेगी। और उसका नाम इम्मानुएल रखेंगे। जिसका तर्जुमा ये है। ख़ुदा हमारे साथ।” (मत्ती 1:21 ता 23 इन्जील)

       पैशनगोई आख़िरी आयत में पूरी हुई। जब तक आप येसू का भेद ना समझें। इम्मानुएल नाम की बाबत भी कुछ समझ नहीं सकते। इम्मानुएल येसू का नाम है। जिसका तर्जुमा ख़ुदा हमारे साथ है। मगर ख़ुदा गुनाहगारों के साथ नहीं हो सकता।

ख़ुदा “हमारे” साथ

       इस “हमारे” से दुनिया के सब लोग मुराद नहीं। बल्कि ईमानदार लोग मुराद हैं। जिन्हों ने पहले ईमान के ज़रीये येसू का मतलब समझा। जो यूं है। नजात देने वाला। और फिर ख़ुद इम्मानुएल का मतलब भी समझ आ गया। अब ख़ुदा हमारे साथ है। गुनेहगार इन्सान को इम्मानुएल समझने के लिए पहले येसू के समझने की ज़रूरत है।

چہ نسبت خاک رابہ عالم پاک

       गुनाह आलूदा इन्सान का पाक ख़ुदा के साथ क्या ताल्लुक़ हो सकता है। क्योंकि लिखा है। कि “पाक हो। इसलिए कि मैं पाक हूँ।” (1 पतरस 1:16, इन्जील)

       और फिर लिखा है। “देखो ख़ुदावंद का हाथ छोटा नहीं कि बचा ना सके। और उस का कान भारी नहीं कि सुन ना सके। बल्कि तुम्हारी बदकारियाँ तुम्हारे और तुम्हारे ख़ुदा के दर्मियान जुदाई करती हैं।” (यसअयाह 59:1, अम्बिया के सहीफ़े) “ख़ुदा गुनेहगारों की नहीं सुनता।” (यूहन्ना 9:31, इन्जील) ख़ुदा के कान दुआ सुनने के लिए भारी नहीं। बल्कि गुनाह और बदकारी की वजह से से गुनेहगार इन्सान की ख़ुदा से जुदाई है।

       अज़ीज़ो क्या आप गुनाह की हालत में रहते हुए नाम इम्मानुएल को समझ सकते हैं? हरगिज़ नहीं। और लफ़्ज़ इम्मानुएल का मतलब आपके हक़ में पूरा नहीं हो सकता। जब तक आप येसू को अपना नजातदिहंदा दिली ईमान से ना मानें। और जब तक गुनाहों से नजात नहीं। ख़ुदा आपके साथ नहीं हो सकता। और आपके और ख़ुदा के दर्मियान येसू पर ईमान ना लाने की वजह से जुदाई है।

       क्या जुदाई की हालत में कोई इन्सान कह सकता है। ख़ुदा हमारे साथ है। हरगिज़ नहीं।

ईमान से नजात और पाक तरीन हालत

       “मगर तुम अपने पाक तरीन ईमान में........ हमेशा की ज़िंदगी के लिए हमारे ख़ुदावंद येसू मसीह की रहमत के मुंतज़िर रहो।” (यहूदा 20 आयत, इन्जील)

       मतलब ये कि येसू जिसका तर्जुमा नजातदिहंदा है। ईमान से हमेशा की ज़िंदगी में पहुंचा देता है।

       येसू पर ईमान लाने ही से गुनाह की हालत दूर हो सकती है। और ईमान ही की हालत को पाक-तरीन कहा गया है। ईमान की पाकीज़ा हालत में पाक ख़ुदा के साथ रिश्ता क़ायम हो सकता है।

کنند ہم جنس بہ ہم جنس پرواز

       यानी पाक चीज़ का पाक चीज़ के साथ मेल। यानी ख़ुदा पाक और पाक तरीन ईमान।

       गो येसू और इम्मानुएल दोनो नाम ख़ुदावंद येसू के लिए इस्तिमाल किए गए हैं। लेकिन दोनो नामों में एक ताल्लुक़ है। जब ईमान से येसू के पास इन्सान आए तो ख़ुदा के नज़्दीक उस ईमान की वजह से पाक हो जाता है। फिर येसू ने दूसरे नाम इम्मानुएल का मतलब भी समझ आ जाएगा। कि अब ख़ुदा हमारे साथ है।

       इम्मानुएल उसी को कहा गया है। जो कुँवारी मर्यम से पैदा हुआ यानी येसू।

       और येसू पर ईमान रखते हुए। आप उसे सिर्फ इन्सान और नबी ही नहीं जानेंगे। बल्कि उस के साथ-साथ चलते हुए। आप ख़ुद दर्याफ़्त कर लेंगे। कि आप नबी से भी बड़े यानी ख़ुदा के साथ चल रहे हैं। क्योंकि लफ़्ज़ इम्मानुएल ही येसू के ख़ुदा होने को साबित करता है। जब आपके साथ येसू हुआ। तो उस के दूसरे नाम इम्मानुएल से समझ लें। सिर्फ आदमी नहीं बल्कि ख़ुदा हमारे साथ। बढ़ई का बेटा (शरीअत की रु से) ही नहीं। बल्कि ख़ुदा हमारे साथ।

       मिसाल के तौर पर मेरा दोस्त अलिफ़ है। जब मैं उस के साथ चलता हूँ। और कोई मुझसे पूछे तो मैं कहूंगा। अलिफ़ मेरे साथ। इसी तरह ख़ुदावंद येसू ने ईमानदार शागिर्दों को दोस्त कहा। इब्राहिम को ख़ुदा ने दोस्त कहा। क्योंकि मैं ख़ुदावंद येसू पर सच्चे दिल से ईमान ला चुका हूँ। और उस का शागिर्द हूँ। इसलिए शागिर्द होने से उस का दोस्त हूँ।

       जब कोई मुझे ख़ुदावंद येसू के साथ चलता हुए देखे। जैसे कि ईमान के ज़रीये मैं उस के साथ चल रहा हूँ और लोगों के पूछने पर मैं बता सकता हूँ। मेरे साथ कौन है। इम्मानुएल “ख़ुदा हमारे साथ।”

       इस ख़ुदावंद येसू के नाम में तसल्ली है, कि सिर्फ इन्सान नहीं। बल्कि ख़ुदा हमारे साथ है। होशाना जो ख़ुदावंद के नाम पर आता है।

       ख़ुदावंद येसू हाथ फैला कर खड़ा है। और कहता है, कि गुनाह से दबे हुए लोगो मैं तुम्हें आराम यानी नजात दूंगा। क्या आप

       आज ही उस पर ईमान लाते हैं? और यहूदियों और यूनानियों की एक बड़ी जमाअत ईमान ले आई। (आमाल 14:1, इन्जील)

कलाम-ए-ख़ुदा यानी कलिमतुल्लाह (کلمتہ اللہ)

       (जिस्म में) मसीह से 4004 साल का पेश्तर का नविश्ता :-

       “इब्तिदा में ख़ुदा ने आस्मान और ज़मीन को पैदा किया।” (पैदाइश 1:1, तौरेत)

       पूरा हुआ।

       “इब्तिदा में कलाम था। कलाम ख़ुदा के साथ था। और कलाम ख़ुदा था।” (यूहन्ना 1:1, इन्जील)

कलाम या कलमे की तारीफ़

       जो कुछ हम मुँह से बोलते हैं। उस को लफ़्ज़ कहते हैं। बामाअनी और मुफ़रद लफ़्ज़ को कलमा, (फ़ारसी ग्रामर पंजाब टेक्स्ट बुक सफ़ा 6)

       मिसाल के तौर पर ख़ुदा के मुँह से निकला हुआ कलाम आपके सामने पेश करता हूँ।

       कि “मैं ख़ुदा हूँ और मेरे सिवा कोई नहीं।......... कलाम सिदक़ मेरे मुँह से निकला है।” (यसअयाह 45:22 ता 23, अम्बिया के सहीफ़े)

       “और ख़ुदावंद का कलाम मुझे पहुंचा और उस ने कहा” (हिज़्क़ीएल 13:1, अम्बिया के सहीफ़े)

ख़ुदा का कलाम यानी कलिमतुल्लाह (کلمتہ اللہ)

       मुकाशफ़ा 19:13 में हम पढ़ते हैं कि उस (येसू) का नाम कलाम-ए-ख़ुदा कहलाता है।

       बाइबल ख़ुदा का लिखा हुआ कलाम है। और मसीह ख़ुदा का ज़िंदा कलाम है।

       मुन्दरिजा ज़ैल मुक़ाबले से ज़ाहिर है, कि कलाम-ए-ख़ुदा, जिसमें लिखा हुआ और ज़िंदा कलाम दोनों शामिल हैं दोनो ख़ुदा की अक़्ल का इज़्हार में।

मसीह और बाइबल कलाम-ए-ख़ुदा यानी कलिमतुल्लाह बाइबल यानी लिखा हुआ कलाम मसीह यानी ज़िंदा कलाम

(1)

दोनो ख़ुदा का जलाल हैं।

(1)

मैंने अपनी शरीअत के अहकाम…. लिखे।” (होसेअ 8:12 (अम्बिया के सहीफ़े)

(1)

उस के जलाल का पर्तो और उस की ज़ात का नक़्श (इब्रानियों 1:3, इन्जील)

(2)

दोनो अबदी हैं

(2)

ख़ुदा का कलाम जो ज़िंदा और क़ायम है ख़ुदा का कलाम अबद तक क़ायम रहेगा। (1 पतरस 1:23 ता 24, इन्जील)

(2)

येसू मसीह आज और कल बल्कि अबद तक यकसाँ हैं। (इब्रानियों 13:8, इन्जील)

(3)

दोनो बेऐब है।

(3)

ख़ुदा का हर सुख़न (कलाम, बात) पाक है। (अम्साल 30:5)

(3)

उस की ज़ात में गुनाह नहीं। (1 यूहन्ना 3:5)

(4)

दोनो ज़िंदगी के चश्मे हैं।

(4)

ख़ुदा का कलाम ज़िंदा और मोअस्सर है। (इब्रानियों 4:12)

(4)

ज़िंदगी मैं हूँ (यूहन्ना 14 6)

(5)

दोनो हक़ हैं।

(5)

तेरा कलाम सच्चाई है। (यूहन्ना 17:17)

(5)

हक़ मैं हूँ। (यूहन्ना 1:6)

(6)

दोनो नूर हैं।

(6)

फ़र्मान चिराग़ है और तालीम नूर (अम्साल 6:23)

(6)

दुनिया का नूर मैं हूँ। (यूहन्ना 8:12, इन्जील)

(7)

दोनो रूह की ख़ुराक हैं।

(7)

इन्सान सिर्फ रोटी ही से ज़िंदा नहीं रहता। बल्कि हर एक बात से जो ख़ुदा के मुँह से निकलती है। (इस्तसना 8:3)

(7)

ज़िंदगी की रोटी मैं हूँ (यूहन्ना 6:35)

(8)

दोनो को क़ुबूल करना पड़ता है ताकि नजात हासिल करें।

(8)

उस के कलाम को क़ुबूल करो। जो दिल में बोया गया और तुम्हारी रूहों को नजात दे सकता है। (याक़ूब 1:21)

(8)

जिन्हों ने उसे क़ुबूल किया उसने उन्हें ख़ुदा के फ़र्ज़न्द बनने का हक़ बख़्शा। (यूहन्ना 1:12)

(9)

मसीह या बाइबल को रद्द करने से अज़ली नुक़्सान है।

(9)

जब वो मूसा और नबियों की नहीं सुनते अगर मुर्दों में से कोई जी उठे तो उस की भी ना मानेंगे। (लूक़ा 16:31)

(9)

अगर तुम ईमान ना लाओगे तो अपने गुनाहों में मरोगे। (यूहन्ना 8:24)

(10)

दोनो क़ियामत के रोज़ इन्साफ़ करेंगे।

(10)

जिस तरह उन किताबों में लिखा हुआ था। मुर्दों का इन्साफ़ किया गया। (मुकाशफ़ा 20:12)

(10)

दुनिया की अदालत उस आदमी की मार्फ़त करेगा। जिसे उसने मुक़र्रर किया है। (आमाल 17:31)

(मिस्टर सिडनी कोलेस्ट के अंग्रेज़ी मज़्मून से तर्जुमा किया गया)


       मुन्दरिजा बाला मुक़ाबला हमें कलाम की निस्बत काफ़ी इत्तिला देता है।

       जो कुछ बा-मअनी अल्फ़ाज़ मुँह से बोले जाएं कलमा या कलाम कहलाते हैं और कलमा या कलाम का ताल्लुक़ मुँह के साथ है।

       अज़ीज़ो क्या आप का कलाम और आप दो आदमी हैं? या आपका मुँह जहां से आपका कलाम निकलता है। क्या आपसे जुदा है? आप और आपका कलाम एक हैं। हाँ नामों की हालत में दो दिखाई देते हैं। (1) आप (2) आपका कलाम।

       आप का कलाम आपसे निकला है। आप कलाम से जुदा नहीं और ना आपका कलाम आपसे जुदा है। बल्कि जब आप बोलेंगे तो आपका कलाम आपके साथ ही रहेगा। दूसरे अल्फ़ाज़ में ये कि आपका कलाम और आप एक हैं। अब हम यूं पढ़ें :-

       “इब्तिदा में कलाम था। कलाम ख़ुदा के साथ था। और कलाम ख़ुदा था।” (यूहन्ना 1:1)

       ख़ुदा ने कहा, “कलाम सिदक़ मेरे मुँह से निकला है।” (यसअयाह 45:23)

       जिस तरह हमने मालूम किया। कि जो कुछ हम मुँह से बोलते हैं। वो हमारा कलाम है। और हमारा कलाम और हम एक ही चीज़ को ज़ाहिर करते हैं इसी तरह ख़ुदावंद येसू मसीह ने कहा, “मैं ख़ुदा में से निकला हूँ।” (यूहन्ना 8:42)

       तो क्या ख़ुदा और उस का कलाम दो चीज़ें हैं। या दो ख़ुदा हैं?

       हमारे मुँह का कलाम हमारे साथ साथ है। और हमें दो आदमी नहीं बना देता। इसी तरह ख़ुदा और कलाम यानी कलमा एक ही ख़ुदा को ज़ाहिर करते हैं।

       “उस (येसू) का नाम कलाम-ए-ख़ुदा कलिमतुल्लाह (کلمتہ اللہ) कहलाता है।” (मुकाशफ़ा 19:13)

       उस ज़िंदगी के कलाम की बाबत जो इब्तिदा से था।

       “इब्तिदा में कलाम था।” (यूहन्ना 1:1) “और जिसे हमने सुना और अपनी आँखों से देखा। बल्कि ग़ौर से देखा। और अपने हाथों से छुआ।” (1 यूहन्ना 1:1)

       तो मालूम हुआ। कि कलाम या कलमा येसू है। अब यूं पढ़ें :-

       “इब्तिदा में कलमा यानी येसू था। येसू ख़ुदा के साथ था और येसू ख़ुदा था। और कलाम मुजस्सम हुआ।” (यूहन्ना 1:14) (यूहन्ना 1:1) में लिखा है, “कलाम ख़ुदा था।” तो अब कलाम मुजस्सम हुआ। का मतलब साफ़ हो गया। क्योंकि कलाम ख़ुदा था। इसलिए कलाम यानी ख़ुदा मुजस्सम हुआ। पस साबित हुआ कि मसीह का नाम कलाम है और कलाम का नाम ख़ुदा है।

       क्या आप इस कलाम पर ईमान लाते हैं?

       “मगर कलाम के सुनने वालों में से बहुतेरे ईमान लाए और यहां तक कि मर्दों की तादाद पाँच हज़ार के क़रीब हो गई।” (आमाल 4:4)

हाज़िर व नाज़िर

       ज़बूर का नविश्ता : “ख़ुदावंद तो मुझे जाँचता और पहचानता है।” (ज़बूर 139:1)

       “तेरी रूह से मैं किधर जाऊं। और तेरे हुज़ूर में से कहाँ भागूं। अगर मैं पाताल में अपना बिस्तर बिछाऊं। तो देख तू वहां भी है।” (ज़बूर 139:7 ता 8)

       येसू के हक़ में पूरा।

       (येसू ने कहा) “क्योंकि जहां दो या तीन मेरे नाम पर इखट्ठे हैं। वहां मैं उनके बीच में हूँ।” (मत्ती 18:20, इन्जील)

       दुनिया के हर एक हिस्से में जहां सच्चे मसीही पाए जाते हैं और वो इकट्ठे होते हैं। तो ख़ुदावंद येसू मसीह के अल्फ़ाज़ से महसूस करते हैं। कि ख़ुदावंद येसू अपने क़ौल के मुताबिक़ हाज़िर है अगर लाहौर शहर के बहुत से हिस्सों में जगह ब जगह सच्चे मसीही इकट्ठे हैं। और ख़ुदावंद येसू के नाम में इकट्ठे हैं। तो ख़ुदावंद येसू अलैहदा अलैहदा अपने क़ौल के मुताबिक़ हर ऐसी जगह में मसीहियों के बीच में है। फिर दूसरा हिस्सा शहर है। वहां पर भी इसी तरह सच्चे मसीही दो या तीन या इस से ज़्यादा हो कर उस के नाम में इकट्ठे होते हैं। और बहुत सी अलैहदा अलैहदा जगहों में इकट्ठे होते हैं। और वो भी ख़ुदावंद येसू के क़ौल को याद करते हैं। और ख़ुदावंद येसू की हुज़ूरी को वहां पर महसूस करते हैं। इसी तरह दुनिया के हर एक गांव, क़स्बे और शहर में जहां सच्चे मसीही ख़ुदावंद येसू के नाम में इकट्ठे हैं। तो ख़ुदावंद येसू मसीह हर ऐसी जगह और सच्चे मसीहियों में इसी एक वक़्त अपने क़ौल के मुताबिक़ हाज़िर है।

       ज़बूर में हमने यूं पढ़ा है, कि ज़मीन और आस्मान और समुंद्र यानी हर जगह ख़ुदा की हुज़ूरी काम करती है। इसी तरह हमने देखा। ख़ुदावंद येसू भी अपने ईमानदार लोगों में हर जगह इसी एक वक़्त अपने क़ौल के मुताबिक़ हाज़िर है।

       क्योंकि ख़ुदावंद येसू मसीह हर जगह हाज़िर व नाज़िर है। तो ज़बूर का नविश्ता जो ख़ुदा के रूह को हर जगह हाज़िर व नाज़िर होने के लिए इस्तिमाल किया गया है। वही ख़ुदावंद येसू मसीह के हर जगह हाज़िर व नाज़िर होने को साबित करता है। क्योंकि ख़ुदावंद येसू हर जगह हाज़िर व नाज़िर है। इसलिए दाऊद के नविश्ते (ज़बूर) के मुताबिक़ ख़ुदा है।

       ज़मीन पर ख़ुदावंद येसू की नेकोदीमस से गुफ़्तगु

       “और आस्मान पर कोई नहीं चढ़ा। सिवा उस के जो आस्मान से उतरा (येसू) यानी इब्ने-आदम (येसू) जो आस्मान में है।”

       इस हवाले में साफ़ ज़ाहिर है। कि ख़ुदावंद येसू ज़मीन पर निकोदीमस से गुफ़्तगु कर रहे हैं। और उसी वक़्त आस्मान में भी हैं। येसू एक ही वक़्त आस्मान व ज़मीन में हाज़िर होने की हक़ीक़त ख़ुद उसे ख़ुदा साबित करती है।

       येसू ने बातें कीं। (मत्ती 28:18)

       “और देखो मैं दुनिया के आख़िर तक हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।”

       (मत्ती 28:20, इन्जील)

       येसू मसीह ने कहा, कि जहां कहीं दुनिया एक सिरे से दूसरे सिरे तक उस के शागिर्द जाऐंगे। हर जगाह अलैहदा अलैहदा येसू हर हिस्से में अपने शागिर्दों के साथ हमेशा है।

       सिर्फ इन्सान कभी इन्सान के साथ हमेशा और हर जगाह नहीं रह सकता। सिवाए ख़ुदा के। ख़ुदावंद येसू का दुनिया के हर हिस्से में और हमेशा अपने शागिर्दों के साथ होना ख़ुद उस के हर जगाह हाज़िर व नाज़िर होने के सबब से ख़ुदा होना है।

       “जो कोई ज़िंदा है। और उस पर ईमान लाता है। वो अबद तक कभी ना मरेगा। क्या तू उस पर ईमान रखती है?” (यूहन्ना 11:26) “और ईमान लाने वाले मर्द और औरत ख़ुदावंद की कलीसिया में और भी कस्रत से आ मिले।” (आमाल 5:14 इन्जील)

अदालत करने वाला यानी मुंसिफ़

       शाह यरूशलेम दाऊद के बेटे वाइज़ (सुलेमान) की बातें

       (जिस्म में) मसीह से 917 साल पेश्तर का नविश्ता :-

       “क्योंकि ख़ुदा हर एक फ़ेअल को हर एक पोशीदा चीज़ के साथ ख़्वाह भली ख़्वाह बुरी अदालत में लाएगा।” (वाइज़ 12:14, अम्बिया के सहीफ़े)

       येसू मसीह के हक़ में पूरी हुई।

       “क्योंकि ज़रूर है कि मसीह के तख़्त अदालत के सामने जाकर हम सब का हाल ज़ाहिर किया जाये। ताकि हर एक शख़्स अपने कामों का बदला पाए। जो उसने बदन के वसीले किए हों ख़्वाह भले हों ख़्वाह बुरे।” (2 कुरिन्थियों 5:10, इन्जील)

       जब हम इबादत में आदिल या मुंसिफ़ बोलते हैं। तो इस नाम से ख़ुदा ही को याद करते हैं।

       इन्जील में लिखा है, “मसीह के तख़्त अदालत के सामने जाकर।” तो मालूम हुआ कि वो ख़ुदावंद येसू मसीह है। जिसने हर शख़्स का इन्साफ़ करना है। और वाइज़ मसीह के मुजस्सम होने से 917 साल पेश्तर साफ़ अल्फ़ाज़ में अदालत करने वाला है और अदालत करने की वजह से से वाइज़ के नविश्ते के मुताबिक़ ख़ुदा है।

       “ख़ुदावंद येसू मसीह को जो ज़िंदों और मुर्दों की अदालत करेगा। गवाह करके और उस के ज़हूर और बादशाहत को याद दिला कर मैं तुझे ताकीद करता हूँ।” (2 तिमथियुस 4:1, इन्जील)

       यहां पर भी मालूम हुआ। कि ज़िंदों और मुर्दों की अदालत करने वाला ख़ुदावंद येसू मसीह है। और अदालत करने की वजह से वाइज़ के नविश्ते के मुताबिक़ ख़ुदा है।

       “क्योंकि उसने एक दिन ठहराया है। जिसमें वो रास्ती से दुनिया की अदालत उस आदमी (येसू जो मुजस्सम हो कर आदमी की शक्ल में आया) की मार्फ़त करेगा। जिसे उसने मुक़र्रर किया। और उसे मुर्दों से जिला कर (ज़िंदा करके) ये बात सब पर साबित कर दी है।” (आमाल 17:31)

       अभी हमने देखा। कि ख़ुदावंद येसू मसीह ज़िंदों और मुर्दों का इन्साफ़ करेगा। मतलब ये कि ख़ुदावंद येसू मसीह की दूसरी आदम के वक़्त वो लोग होंगे। जो जिस्म में ज़िंदा होंगे। और उन मरे हुओं और उस वक़्त के ज़िंदा लोगों दोनो का इन्साफ़ किया जाएगा। ख़ुदा ने अपने मुँह की कही हुई बातों को हमेशा करके दिखाया। और लोग उस पर ईमान लाए।

       ख़ुदा ने नूह को कश्ती बनाने के लिए कहा। और यह भी कहा कि क्योंकि गुनाह दुनिया में बहुत बढ़ गया है। इसलिए मैं तमाम सांस लेने वाली चीज़ों को हलाक करूंगा। इसी तरह हुआ। सिवाए हर जानदार जोड़े के और नूह के ख़ानदान के तमाम जानदार चीज़ें, क्या इन्सान और क्या जानवर सब हलाक हो गए। और इस तरह ख़ुदा ने अपनी बातों को अमली हालत में साबित किया।

       इस तरह ख़ुदा ने मूसा को कहा। कि मैं बनी-इस्राईल को फ़िरऔन की गु़लामी में से निकाल लाऊँगा। चुनान्चे लिखा है :-

       “और उसने अब्राम (जिसे ख़ुदा ने इब्राहिम कहा) से कहा, कि यक़ीन जान। कि तेरी औलाद (बनी-इस्राईल) एक मुल्क में जो उनका नहीं परदेसी होगी। और वहां के लोगों की ग़ुलाम बनेगी। और वो चार सौ बरस तक उन्हें दुख देंगे। लेकिन मैं उस क़ौम की भी जिसकी वो ग़ुलाम होगी अदालत करूंगा। और वो (बनी-इस्राईल) बाद इस के बड़ी दौलत ले के निकलेगी।” (पैदाइश 1:5-13 ता 14) बनी-इस्राईल मुल्क मिस्र में फ़िरऔन की गु़लामी में रही। और ख़ुदा ने अपने क़ौल के मुताबिक़ उनको गु़लामी में से निकाला।

       पूरा किया।

       “और यूं हुआ। कि ठीक उसी दिन ख़ुदावंद ने बनी-इस्राईल को उनके लश्करों के साथ ज़मीन मिस्र से बाहर निकाला।” (ख़ुरूज 12:51)

       यहां पर मालूम हुआ कि ख़ुदावंद ने जो कुछ इब्राहिम को कहा उसे साबित किया। और इसी तरह अगली पेशीनगोइयों को भी ख़ुदा-परस्त बनी-इस्राईल मानती रही। इसी तरह लिखा है :-

       “उसे यानी येसू को मुर्दों में से जिला कर ये बात सब पर साबित कर दी है।” यानी मुर्दों की क़ियामत।

       अगर ख़ुदा मौत से ज़िंदा होने की हालत को हम पर साबित ना करता तो मुर्दों की क़ियामत का भेद और मतलब हम ना समझ सके।

       मसीह के मुर्दों में से जी उठने की हालत ही ने मुर्दों की क़ियामत का भेद हम पर खोल दिया है। यानी कि अदालत के दिन मुर्दों और ज़िंदों का इन्साफ़ किया जाएगा। अगर मसीह मर कर ज़िंदा ना होता। तो हम कैसे समझ सकते कि जो मर चुके हैं। वो ज़िंदा किए जाऐंगे। और ईमान से हमेशा की ज़िंदगी के वारिस होंगे। और बेईमान हमेशा की हलाकत और तक्लीफ़ के वारिस होंगे और सिवाए ख़ुदावंद येसू मसीह के। लफ़्ज़ क़ियामत का मतलब हम नहीं समझ सकते। क्योंकि कोई नबी भी ख़ुद मर कर ज़िंदा ना हुआ।

       अभी हम ने पढ़ा। कि अदालत वो करेगा। जो मर कर ज़िंदा हुआ जो ख़ुदावंद येसू मसीह के ज़िंदा होने की तरफ़ इशारा करता है। पस साबित हुआ कि वो ख़ुदावंद येसू मसीह है। जो अदालत करेगा। वाइज़ उसे ख़ुदा कहता है। जिसने भली और बुरी चीज़ों की अदालत करनी है।

       पौलूस रसूल कुरिन्थियों के ख़त में इस की मसीह के हक़ में तस्दीक़ करता है। कि मसीह के तख़्त अदालत के सामने भली और बुरी चीज़ें अदालत में लाई जाएँगी। और फिर हमने मालूम किया। मसीह जो मुर्दों में जी उठा। अदालत करेगा।

       सबूत पर सबूत से मालूम हुआ। कि अदालत करने वाला मसीह है। जिसे वाइज़ ख़ुदा कहता है।

       दीगर सबूत

       यसअयाह नबी की पेशीनगोई में लिखा है “येस्सी के तने से एक कोन्पल निकलेगा।........... वो रास्ती से मिस्कीनों का इन्साफ़ करेगा। और इन्साफ़ से ज़मीन के ख़ाकसारों के लिए इन्साफ़ करेगा। और शरीरों को फ़ना कर डालेगा।” (यसअयाह 11:1, 4, अम्बिया के सहीफ़े)

       “येस्सी से दाऊद नबी पैदा हुआ।” (1 शमुएल 17:12, अम्बिया के सहीफ़े) और दाऊद की नस्ल से येसू मसीह। क्योंकि लिखा है, “येसू मसीह इब्ने दाऊद।” (मत्ती 1:1)

       तो मालूम हुआ। कि जो येस्सी के तने से जो कोन्पल निकली वो येसू मसीह है। वो कोन्पल यसअयाह नबी की पेशीनगोई के मुताबिक़ इन्साफ़ करेगी क्योंकि वो कोन्पल येसू मसीह है। इसलिए यसअयाह नबी की पेशीनगोई के मुताबिक़ येसू मसीह अदालत करेगा। और अदालत करने की वजह से वाइज़ के नविश्ते के बमूजब ख़ुदा है।

       ज़बूर के नविश्ते :-

       (1) “ऐ ख़ुदा लोग तेरी सताईश करें। सब लोग तेरी मद्हख्वानी करें। उम्मतें ख़ुश हों। और ख़ुशी के मारे गाएँ। कि तू (ख़ुदा) रास्ती से लोगों की अदालत करेगा।” (ज़बूर 67:3 ता 4)

       (2) “ख़ुदावंद के आगे कि वो ज़मीन की अदालत करने आता है। वो सदाक़त से दुनिया की और रास्ती से उम्मतों की अदालत करेगा।” (ज़बूर 98:9)

       (3) “ख़ुदावंद.......... सदाक़त से लोगों का इन्साफ़ करेगा।” (ज़बूर 96:10)

       ज़बूर के नविश्ते येसू मसीह के हक़ में पूरे हुए।

       “फिर मैंने आस्मान को खुला हुआ देखा। और क्या देखता हूँ। कि एक सफ़ैद घोड़ा है। उस पर एक सवार है। जो सच्चा और बरहक़ कहलाता है। और वो रास्ती के साथ इन्साफ़ और लड़ाई करता है।........... और उस का नाम कलाम-ए-ख़ुदा कहलाता है।” (मुकाशफ़ा 19:11 ता 13)

       सवार का नाम कलाम-ए-ख़ुदा है। और वो इन्साफ़ करता है। ज़बूर 67 में इन्साफ़ करने वाले को साफ़ तौर से ख़ुदा कहा गया है। और ज़बूर 96, 98 में इस अदालत करने वाले येसू को ख़ुदावंद कहा गया है। पस फिर साबित हुआ। कि येसू ही ख़ुदावंद ख़ुदा है। जो रास्ती से लोगों की अदालत करेगा।

       इस अदालत की सज़ा से बचने का सिर्फ एक ही वाहिद ईलाज है। ख़ुदावंद येसू मसीह पर सच्चे दिल से ईमान लाना। “पस अब जो मसीह येसू हैं उन पर सज़ा का हुक्म नहीं।” (रोमियों 8:1)

गुनाह माफ़ करने वाला ख़ुदावंद यहोवा

       मैं ही “यहोवा” हूँ आगे यूं लिखा है, “मैं ही वो (यहोवा) हूँ जो अपने नाम की ख़ातिर तेरी ख़ताओं को याद नहीं रखूंगा।” (यसअयाह 43:11, 25)

       “मैंने तुझ पास अपने गुनाहों का इक़रार किया। और मैंने अपनी बदकारी नहीं छुपाई। मैंने कहा, मैं ख़ुदावंद के आगे अपने गुनाहों का इक़रार करूंगा। सो तूने मेरी बदज़ाती के गुनाह को बख़्श दिया।” (ज़बूर 32:5)

       येसू मसीह के हक़ में पूरा हुआ।

       “येसू ने उनका ईमान देखकर मफ़लूज से कहा कि बेटा तेरे गुनाह माफ़ हुए।” (मर्क़ुस 3 5)

       पहली बात तो ये है। कि दुनिया में कोई इन्सान ऐसा नहीं हुआ जिसने गुनाह ना किया हो। सिवाए येसू के। चुनान्चे लिखा है कि, (येसू ने कहा) “तुम में कौन मुझ पर गुनाह साबित कर सकता है।” (यूहन्ना 8:46) “ना उसने गुनाह किया।” (1 पतरस 2:22)

       और गुनाह से पाक सिर्फ़ ख़ुदा की ज़ात है। जो येसू के हक़ में पूरी हुई।

       सच्चे मसीही लोग इसलिए मुक़द्दस कहलाते हैं, कि वो ख़ुदावंद येसू मसीह पर सच्चे दिल से ईमान लाए और येसू मसीह में उनके गुनाह माफ़ हुए। दूसरे अल्फ़ाज़ में ये कि सिर्फ ख़ुदावंद येसू मसीह के नाम ही में गुनाहों की माफ़ी हासिल हो सकती है। और दाऊद अपने गुनाह का इक़रार करते हुए उसे ख़ुदावंद कहता है और यसअयाह गुनाहों के माफ़ करने वाले येसू मसीह को यहोवा कहता है।

       “पतरस ने उनसे कहा तौबा करो और तुम में से हर एक अपने गुनाहों की माफ़ी के लिए येसू मसीह के नाम पर बपतिस्मा ले तो तुम रूह-उल-क़ुद्स इनाम में पाओगे।” (आमाल 2:37) “इसी रोज़ तीन हज़ार आदमियों के क़रीब उनमें आ मिले।” (आमाल 4:41)

       क्या आप ख़ुदावंद येसू मसीह पर ईमान लाते हैं? उस के नाम में गुनाहों की माफ़ी है। जैसे ईमान से मफ़लूज के गुनाह माफ़ हुए। जैसे गुनाह के इक़रार से दाऊद के गुनाह माफ़ हुए। उसी तरह सिर्फ येसू मसीह जो ख़ुदावंद है। आपके गुनाहों को भी माफ़ कर सकता है।



बाब शश्म
वाहिदनियत

       “मैं और बाप एक हूँ।” (यूहन्ना 10:30)

       “हमारी तरह एक हों” (यूहन्ना 17:11)

       “हम एक हैं।” (यूहन्ना 17:22)

       सबसे ऊपर की आयत में लफ़्ज़ में कलाम है। और लफ़्ज़ बाप ख़ुदा है। आप और आप का कलाम एक ही हैं। इसी तरह येसू यानी कलाम या कलमा और बाप यानी ख़ुदा एक ही हैं।

       जिस तरह गर्मी और रोशनी एक ही चीज़ सूरज को ज़ाहिर करती हैं भाप और बर्फ़ एक ही चीज़ पानी को ज़ाहिर करती हैं। आपका नक़्श फ़ोटो में, और आप का लिखा हुआ कलाम आपको ज़ाहिर करते हैं। इसी तरह येसू और रूह-उल-क़ुद्स भी ख़ुदा ही को ज़ाहिर करते हैं।

       जिस तरह (1) सूरज। (2) सूरज की गर्मी (3) और सूरज की रोशनी एक ही सूरज को ज़ाहिर करते हैं। और पानी, भाप, बर्फ़ पानी ही को ज़ाहिर करते हैं। आपका फ़ोटो। आप का कलाम और आप एक हैं इसी तरह येसू ने कहा मैं और बाप एक हैं। ना सिर्फ बाप और बेटा। बल्कि बाप और बेटा और रूह-उल-क़ुद्स एक ख़ुदा को ज़ाहिर करते हैं। “और जो मुझे देखता है मेरे भेजने वाले को देखता है।” (यूहन्ना 12:45)

       मिसाल :-

       एक आदमी लाहौर में रहता है। उसने अमरीका कभी नहीं देखा। कारोबार की वजह से इस आदमी की वाक़फ़ियत अमरीका में रहने वाले आदमी के साथ कारोबार में ख़त व किताबत के ज़रीये हो गई। इस तरह मुहब्बत बढ़ गई। और लाहौर वाले आदमी ने अपने अनदेखे दोस्त को अमरीका में अपनी फ़ोटो भेज दी।

       ख़त आदमी के अल्फ़ाज़ का लिखी हुई हालत में इज़्हार है। यानी वो लिखा हुआ कलाम और उस का फ़ोटो उस का अपना नक़्श है।

       तर्तीब यूं है। (1) आदमी (2) उस का लिखा हुआ कलाम (3) उस का फ़ोटो। क्या तीन आदमी हैं या एक? एक।

       जैसे इस मिसाल में लाहौर वाले आदमी ने अमरीका वाले आदमी को नहीं देखा। इसी तरह लिखा है, “ख़ुदा को कभी किसी नहीं देखा।” (1 यूहन्ना 4:12)

       दूसरी हालत हमने ये देखी। कि ख़त व किताबत के ज़रीये इन दोनों आदमियों की वाक़फ़ियत हो गई। और एक दूसरे से मुहब्बत पैदा हो गई। इसी तरह ख़ुदा ने ख़त व किताबत के ज़रीये यानी अपने लिखे हुए कलाम के ज़रीये अपनी वाक़फ़ियत दिला कर हम में अपनी मुहब्बत पैदा की।

       “ख़ुदा का कलाम जो ज़िंदा और क़ायम है। ख़ुदा का कलाम जो अबद तक क़ायम रहेगा।”

       (1 पतरस 1:23 ता 24) “तेरा कलाम सच्चाई है।” (यूहन्ना 17:17)

       जिस तरह अनदेखी हालत में अमरीका और लाहौर वाले दोस्त में ख़त व किताबत की वजह से मुहब्बत पैदा हो गई उसी तरह अनदेखे ख़ुदा ने अपने लिखे हुए कलाम यानी बाइबल से अपनी मुहब्बत को हम पर ज़ाहिर किया और उसे पढ़ने और सुनने से हमारी ख़ुदा के साथ मुहब्बत पैदा हो गई क्योंकि “ख़ुदा मुहब्बत है।” (1 यूहन्ना 4:8)

       जब लाहौर और अमरीका में रहने वाले आदमी में ख़त व किताबत की वजह से मुहब्बत पैदा हो गई। और एक दूसरे के मुताल्लिक़ बहुत सी बातें मालूम हो गईं। तो लाहौर वाले आदमी ने अमरीका में रहने वाले दोस्त को अपनी फ़ोटो भेजी। अमरीका में रहने वाले दोस्त को अनदेखी हालत में भी उस का पूरा नक़्श और फ़ोटो मिल गया। और उसे देखने से मालूम हो गया। कि वो आदमी इस तरह का नक़्श रखता है। इसी तरह ख़ुदा ने जब अपने आपको मुहब्बत की हालत में अपने कलाम से हम पर ज़ाहिर किया और हमारी ख़ुदा से मुहब्बत पैदा हो गई। तो अपना असली नक़्श येसू की हालत में हम पर ज़ाहिर किया।

       लिखा है “ख़ुदा को कभी किसी ने नहीं देखा। इकलौता बेटा (येसू) जो बाप की गोद में है। उसने ज़ाहिर किया।” (यूहन्ना 1:18)

       “वो (ख़ुदावंद येसू मसीह) अनदेखे ख़ुदा की सूरत है।” (कुलस्सियों 1:15) और येसू की बाबत लिखा है :-

       “वो (येसू) उस के (ख़ुदा के) जलाल का परतू और उस की ज़ात का नक़्श हो कर सब चीज़ों को अपनी क़ुद्रत के कलाम से सँभालता है।” (इब्रानियों 1:3)

       ख़त व किताबत की वजह से अनदेखी हालत में भी लाहौर वाले आदमी की मुहब्बत अमरीका वाले आदमी से हो गई। और इस फ़ोटो से वही नक़्श उस की आँखों में आ गया। तर्तीब यूं है :-

       (1) आदमी (2) आदमी का ख़त (3) आदमी का फ़ोटो। क्या ये तीन आदमी हैं? हरगिज़ नहीं सिर्फ एक। मगर मुख़्तलिफ़ हालतों में हैं। इसी तरह अज़ीज़ो :

       (1) ख़ुदा (2) ख़ुदा का कलाम (3) ख़ुदा का नक़्श यानी येसू मसीह भी एक यानी वाहिद ख़ुदा होने को साबित करते हैं।

       जिस तरह वो आदमी फ़ोटो को देखने से अपने अनदेखे दोस्त को देखता है। उसी तरह येसू ने कहा :-

“जो मुझे देखता है। ख़ुदा को देखता है।”

       अज़ीज़ो! जो ख़ुदावंद येसू मसीह को देखता है। वो ख़ुदा को देखता है। ख़ुदावंद येसू को देखना क्या है? उस पर सच्चे दिल से ईमान लाना। “क्या तू उस पर ईमान रखती है?।” (यूहन्ना 11:27 इन्जील)

       येसू ने कहा, “अगर तुमने मुझे जाना होता। तो मेरे बाप (ख़ुदा) को भी जाना होता। अब उसे जानते हो। और देख लिया है। फिलिप्पुस ने उस से कहा, ऐ ख़ुदावंद बाप को हमें दिखा। यही हमें काफ़ी है। येसू ने उस से कहा, “ऐ फिलिप्पुस में इतनी मुद्दत से तुम्हारे साथ हूँ। क्या तू मुझे नहीं जानता। जिसने मुझे देखा। उसने बाप को देखा।” (यूहन्ना 14:7 ता 9)

       ख़ुदावंद येसू मसीह ने कहा, अगर तुमने मुझे जाना होता। तो ख़ुदा को भी जाना होता। अब ख़ुदा को जानते हो। और उसे देख लिया है। शागिर्द ख़ुदावंद येसू ही से गुफ़्तगु कर रहे थे। और उसे ही देख रहे थे और ख़ुदावंद येसू ने कहा, कि तुमने ख़ुदा को देख लिया है। फिलिप्पुस ख़ुदावंद येसू का शागिर्द इतना कहने पर भी ना समझा और कहने लगा कि बाप यानी ख़ुदा को हमें दिखा। तो ख़ुदावंद येसू ने साफ़ तौर पर उस पर उलूहियत ज़ाहिर कर दी और कहा :-

“जिसने मुझे देखा उसने बाप को देखा।”


       ख़ुदावंद येसू पर ईमान लाना ही ख़ुदा को देखना है। ईमान के ज़रीये अब हम भी कह सकते हैं। अब ख़ुदा को जानते हैं। अब ख़ुदा को देख लिया है।

       अज़ीज़ो! और किसी जगह से आप ख़ुदा के घर में दाख़िल नहीं हो सकते। येसू ने कहा “दरवाज़ा मैं हूँ।” (यूहन्ना 10:9) आप दूसरे घर की अंदर की चीज़ें नहीं देख सकते। जब तक आप घर के अंदर दाख़िल ना हो जाएं। और घर में दाख़िल होने का दुरुस्त रास्ता दरवाज़ा है। क्या आप ख़ुदा को देखना चाहते हैं? ख़ुदा का तख़्त आस्मान पर है और ख़ुदा तक पहुंचने का रास्ता ख़ुदावंद येसू है। चुनान्चे लिखा है :-

“राह मैं हूँ।” (यूहन्ना 14:6)

       इस रास्ते पर चलने से आप इस जगह पहुंच सकते हैं और दरवाज़े के ज़रीये आप इस मकान में दाख़िल हो सकते हैं और वो दरवाज़ा ख़ुदावंद येसू है।

       अगर आप ख़ुदा को देखना और जानना चाहते हैं। तो दरवाज़े से दाख़िल हो जाएं। और दरवाज़े के अंदर जाने ही से ख़ुदा को आप देख सकते हैं। और इस जिस्म की हालत में रहते हुए। ख़ुदावंद येसू पर ईमान लाना ही ख़ुदा को जानना है।

       अज़ीज़ो! दुनिया में कोई भी आपको मुक्ती या नजात नहीं दे सकता। सिवाए ख़ुदावंद येसू के। हाँ ये ज़रूर कहते हैं। ऐसा करो। वैसा करो। मगर ना कहने वाला और ना सुनने वाला बग़ैर ईमान के नजात पा सकते हैं। तमाम अम्बिया ने अपने आमाल से नजात हासिल नहीं की। बल्कि वो सब ईमानदार ही कहलाते हैं। (इब्रानियों 11 बाब) चुनान्चे इब्राहिम को ईमानदारों का बाप कहा गया। अज़ीज़ो ख़ुदा ने बहुत से मज़्हब नहीं बनाए। ये दुनिया ने ख़ुदा की मर्ज़ी को काट कर अपनी मर्ज़ी से बहुत से ग़लत रास्ते बनाए हैं। चुनान्चे लिखा है :-

       “एक ही ख़ुदावंद है। एक ही ईमान एक ही बपतिस्मा।” (इफ़िसियों 4:5) येसू ने जवाब में उनसे कहा, ख़ुदा का काम ये है कि जिसे उसने भेजा है। उस पर ईमान लाओ।” (यूहन्ना 6:29)

मसीह का लहू ख़ुदा का लहू कहलाता है

       “पस अपने सारे गल्ले की ख़बरदारी करो। जिसका रूह-उल-क़ुद्स ने तुम्हें निगहबान ठहराया। ताकि ख़ुदा की कलीसिया की गल्लाबानी करो जिसे उसने (यानी ख़ुदा ने) ख़ास अपने ख़ून से मोल लिया।” (आमाल 20:28)

       “तुम्हारी ख़लासी फ़ानी चीज़ों यानी सोने चांदी के ज़रीये से नहीं हुई। बल्कि एक बेदाग़ बर्रे यानी मसीह के ख़ून के बेशक़ीमत ख़ून से।” (1 पतरस 1:18 ता 19)

       यहां पर लिखा है, ख़ुदा की कलीसिया की गल्लाबानी करो। जिसे उसने यानी ख़ुदा ने ख़ास अपने ख़ून से मोल लिया। जब ख़ुदावंद येसू सलीब पर था तो उस के सर, पांव, हाथ पसली और पीठ से ख़ून बह रहा था। और ख़ुदावंद येसू मसीह ने हमें अपने ख़ून से मोल लिया। यही ख़ुदावंद येसू मसीह का ख़ून मुन्दरिजा बाला आयत में ख़ुदा का ख़ून कहलाता है। “जिसे ख़ुदा ने ख़ास अपने ख़ून से मोल लिया।”

       जब मसीह का ख़ून ख़ुदा का ख़ून कहलाता है। तो साफ़ ज़ाहिर है। कि मसीह ख़ुदा है।

       चुनान्चे लिखा है “उस के बेटे येसू का ख़ून हमें तमाम गुनाहों से पाक करता है।” (1 यूहन्ना 1:7)

बाब हफ़्तुम

  ख़ुदा के साथ मसीह रूह-उल-क़ुद्स भेजने में बराबर

       ख़ुदा रूह-उल-क़ुद्स को भेजने वाला। “और मैं बाप से दरख़्वास्त करूंगा कि वो तुम्हें दूसरा मददगार बख़्शेगा।” (यूहन्ना 14:16)

  मसीह रूह-उल-क़ुद्स को भेजने वाला

       “लेकिन जब वो मददगार आएगा। (रूह-उल-क़ुद्स) जिसको मैं.... भेजूँगा। यानी सच्चाई का रूह।” (यूहन्ना 15:26)

  ख़ुदा के साथ येसू मसीह इज़्ज़त में बराबर

       “ताकि सब लोग बेटे की इज़्ज़त करें। जिस तरह बाप की इज़्ज़त करते हैं। जो बेटे की इज़्ज़त नहीं करता। वो बाप की जिसने उसे भेजा इज़्ज़त नहीं करता।” (यूहन्ना 5:23)

       “इसी तरह बाप ने अदालत का सारा काम बेटे के सपुर्द किया।” (यूहन्ना 5:22)

       बादशाह के ज़िंदा और लिखे हुए कलाम को रद्द करना और बेइज़्ज़त करना बादशाह को बेइज़्ज़त करना है। क्योंकि बादशाह और बादशाह का कलाम एक बराबर हैं। और बादशाह के कलाम की इज़्ज़त करना बादशाह ही की इज़्ज़त करना है। इसी तरह बेटे यानी कलाम की इज़्ज़त करना ख़ुदा ही की इज़्ज़त करना है।

  ख़ुदावंद येसू मसीह ख़ुदा के बराबर सब चीज़ों का मालिक है


       (येसू ने कहा) “जो कुछ बाप का है। वो मेरा है।” (यूहन्ना 16:15)

       हाँ जिस तरह हमारा ख़ुदा पर ईमान है। उसी तरह हमारा येसू पर ईमान है। येसू ने कहा “तुम ख़ुदा पर ईमान रखते हो मुझ पर भी ईमान रखो।” (यूहन्ना 14:1)

       “उसने अगरचे ख़ुदा की सूरत पर था। ख़ुदा के बराबर होने को क़ब्ज़े में रखने की चीज़ ना समझा” (फिलिप्पियों 2:6)

मुंजी (नजात देने वाला) ख़ुदा और मुंजी येसू मसीह

       जिस तरह ख़ुदा मुंजी (नजात देने वाला) है। उसी तरह येसू मसीह भी मुंजी (नजात देने वाला) है। चुनान्चे लिखा है :-

       मुंजी ख़ुदा

       “मगर जब हमारे मुंजी (नजात देने वाले) ख़ुदा की मेहरबानी।” (तितुस 3:4)

       मुंजी येसू मसीह

       जिसे उसने हमारे मुंजी (नजात देने वाले) येसू मसीह की मार्फ़त.......।” (तितुस 3:6)

ख़ुदा शरीअत का बेक़ैद है ख़ुदावंद येसू मसीह भी ख़ुदा के बराबर ही शरीअत का बेक़ैद है

       “येसू ने कहा. “मेरा बाप अब तक काम करता है और मैं भी करता हूँ।” (यूहन्ना 5:17)

दोनों नामों की एक ही ताअरीफ़ मसीह ख़ुदा
चरवाहा
या
गल्लाबान

(1)

मेरी भेड़ें मेरी आवाज़ पहचानती हैं। (यूहन्ना 10:27 इन्जील)

(1)

क्योंकि ख़ुदावंद यहोवा फ़रमाता है, कि मैं अपनी भेड़ों की तलाश करूंगा। और उन्हें ढूंढ निकालूँगा। (हिज़्क़ीएल 34:11 अम्बिया के सहीफ़े)
क़ुद्दूस

(2)

तुमने उस क़ुद्दूस और रास्तबाज़ (येसू) का इन्कार किया और दरख़्वास्त की कि एक ख़ूनी तुम्हारी ख़ातिर छोड़ा जाये। (आमाल 3:14, इन्जील)

(2)

क़ुद्दूस क़ुद्दूस क़ुद्दूस ख़ुदावंद ख़ुदा क़ादिर-ए-मुतलक़। (मुकाशफ़ा 4:8 इन्जील)
बरहक़

(3)

येसू ने उस से कहा “राह हक़ और ज़िंदगी मैं हूँ।” (यूहन्ना 14:6)

जो क़ुद्दूस और बरहक़ है और दाऊद की कुंजी रखता है। (येसू) (मुकाशफ़ा 3:17)

(3)

मगर जिसने (यानी ख़ुदा ने) मुझे भेजा है वो “सच्चा” है। (यूहन्ना 17:28)

और “बरहक़” को।... जानें। (यूहन्ना 17:3)
हमेशा की ज़िंदगी देने वाले

(4)

(येसू ने यहूदियों को जवाब दिया) और मैं उन्हें हमेशा की ज़िंदगी बख़्शता हूँ और वो अबद तक कभी हलाक ना होंगी।” (यूहन्ना 10:28)

(4)

क्योंकि गुनाह की मज़दूरी मौत है मगर ख़ुदा की बख्शिश.... हमेशा की ज़िंदगी है। (रोमियों 6:23)
ख़ादिम-ए-दीन मुक़र्रर करने वाले

(5)

और हम में से हर एक पर मसीह की बख़्शिश अंदाज़े के मुवाफ़िक़ फ़ज़्ल हुआ और उसी ने बाअज़ को रसूल और बाअज़ को नबी और बाअज़ को मुबश्शिर और बाअज़ को चरवाहा और उस्ताद बनाकर दे दिया।” (इफ़िसियों 4:11)

(5)

ख़ुदावंद फ़रमाता है और मैं तुमको अपनी ख़ातिर ख़्वाह चरवाहे दूंगा और वो तुम्हें दानाई समझदारी से चराएंगे। (यर्मियाह 3:15)
तालीम देने वाले

(6)

पौलूस रसूल की गवाही क्योंकि वो मुझे इन्सान की तरफ़ से नहीं पहुंची ना मुझे सिखाई गई बल्कि येसू मसीह की तरफ़ से मुझे उस का मुकाशफ़ा हुआ।” (ग़लतियों 1:12)

(6)

ख़ुदावंद तेरा नजात देने वाला इस्राईल का क़ुद्दूस यूं फ़रमाता है मैं ही ख़ुदावंद तेरा ख़ुदा हूँ जो तुझे फ़ायदे की बातें सिखाता हूँ।” (यसअयाह 48:17)
मुंजी (नजात देने वाला)

(7)

जिसे उसने हमारे “मुंजी” (नजात-दहिंदा) येसू मसीह की मार्फ़त हम पर इफ़रात से नाज़िल किया।

(7)

उस ख़ुदा-ए-वाहिद का जो हमारा “मुंजी” (नजात-दहिंदा) है।” (यहूदाह 1:25)
रूह-उल्लाह (ख़ुदा की रूह)

(8)

चुनान्चे लिखा है कि पहला आदमी यानी आदम ज़िंदा नफ़्स बना। पिछला आदम (मसीह) ज़िंदगी बख्शने वाली “रूह” बना। (1 कुरिन्थियों 15:45)

(8)

ख़ुदा “रूह” है। (यूहन्ना 4:24)
मुहब्बत

(9)

इस से ज़्यादा मुहब्बत कोई शख़्स नहीं करता। कि अपनी जान अपने दोस्तों के लिए दे दे। (मसीह) (यूहन्ना 15:13)

(9)

ख़ुदा “मुहब्बत” है। (यूहन्ना 4:24)
नूर

(10)

येसू ने उनसे कहा,…. जब तक “नूर” तुम्हारे साथ है नूर पर ईमान लाओ (यूहन्ना 12:35 ता 36)

(10)

ख़ुदा “नूर” है। (1 यूहन्ना 1:5)
लातब्दील

(11)

येसू मसीह कल और आज और अबद तक यकसाँ है। (इब्रानियों 13:8)

(11)

और हर अच्छी बख्शिश और हर कामिल इनाम ऊपर से है और नूरों के बाप की तरफ़ से मिलता है जिसमें ना कोई तब्दीली हो सकती है और ना गर्दिश के सबब उस पर साया पड़ता है। (याक़ूब 1:17)
रहीम व करीम

(12)

पस उस को (मसीह को) सब बातों में अपने भाईयों की मानिंद बनना लाज़िम हुआ। कि उम्मत के गुनाहों का कफ़्फ़ारा देने के वास्ते उन बातों में जो ख़ुदा से इलाक़ा रखती हैं एक रहम दिल और दीनदार सरदार काहिन बने। (इब्रानियों 2:17)

(12)

ख़ुदावंद ख़ुदा रहीम और मेहरबान क़हर में धीमा और रब-उल-फ़ैज़ व वफ़ा (ख़ुरूज 34:6)
हकीम

(13)

मसीह ख़ुदा की क़ुद्रत और हिक्मत है। (1 कुरिन्थियों 1:24)

(13)

हम ख़ुदा की पोशीदा हिक्मत भेद के तौर पर बयान करते हैं। (1 कुरिन्थियों 2:5)
ख़ालिक़

(14)

क्योंकि उसी में (मसीह में) सारी चीज़ें पैदा की गईं आस्मान की हो या ज़मीन की।.... (कुलस्सियों 1:16)

(14)

इब्तिदा में ख़ुदा ने आस्मान व ज़मीन को पैदा किया। (पैदाइश 1:1)
हाज़िर व नाज़िर

(15)

(ज़मीन पर बातें करते वक़्त आस्मान में भी हाज़िर) और आस्मान पर कोई नहीं चढ़ा सो उस के जो आस्मान से उतरा। (मसीह) यानी इब्ने-आदम जो आस्मान में है। (यूहन्ना 1:13)

(15)

क्या कोई आदमी छिपी जगहों में अपने को छुपा सकता है कि मैं उसे ना देख सकूँ। ख़ुदावंद कहता है क्या आस्मान व ज़मीन मुझसे भरे नहीं हैं। (यर्मियाह 23:24)
आलिमुल-गैब (गैब का जानने वाला)

(16)

पतरस ने दिल-गीर हो कर उस (मसीह से) कहा ऐ ख़ुदावंद तू तो सब कुछ जानता है। (यूहन्ना 21:17)

(16)

ये वही ख़ुदावंद है जो दुनिया के शुरू से इन बातों की ख़बर देता आया है। (आमाल 15:18)
क़ादिर

(17)

और हमारे लिए एक लड़का पैदा हुआ।.... और वो इस नाम से कहलाता है…….. ख़ुदा-ए-क़ादिर। (यसअयाह 9:6)

(17)

तब ख़ुदावंद अब्राम (इब्राहिम) को नज़र आया और उस से कहा कि मैं ख़ुदा-ए-क़ादिर हूँ। (पैदाइश 17:1)
अव्वल व आख़िर

(18)

मैं अव्वल व आख़िर और ज़िंदा हूँ मैं मर गया था और देख अबद-उल-आबाद ज़िंदा रहूँगा। (मुकाशफ़ा 1:17 ता 18)

(18)

मैं ही अव्वल और मैं ही आख़िर भी हूँ। (यसअयाह 48:12)
जलील या ज़ूलजलाल (जलाली)

(19)

ऐ मेरे भाइयो हमारे ख़ुदावंद ज़ूलजलाल (जलाली) येसू मसीह का ईमान तुम में तरफ़-दारी के साथ ना हो। (याक़ूब 2:1)

(19)

लश्करों का ख़ुदावंद वही जलाल का बादशाह है। (ज़बूर 24:10)
आदिल या मुंसिफ़

(20)

मसीह के तख्त-ए-अदालत के सामने जाकर हम सब का हाल ज़ाहिर किया जाएगा। (2 कुरिन्थियों 5:10)

(20)

ख़ुदावंद के आगे कि वो ज़मीन की अदालत करने आता है। (ज़बूर 98:9)

       क्योंकि येसू मसीह की वही सिफ़ात हैं। जो ख़ुदा की हैं। इसलिए येसू मसीह ख़ुदा है।

       “मैंने तेरा कलाम उन्हें पहुंचा दिया।” (यूहन्ना 17:14)

       यहां मालूम हुआ कि ख़ुदा के जलाल को ख़ुदावंद येसू ही ने अपने में हर तरह ज़ाहिर किया। चुनान्चे ख़ुदावंद येसू मसीह की बाबत लिखा है, “क्योंकि उलूहियत की सारी मामूरी उसी में (येसू में) मुजस्सम हो कर सुकूनत करती है।” (कुलस्सियों 2:9) पानी और हवा को डाँटा और उन्हों ने ख़ुदावंद येसू का हुक्म माना। मुर्दे ज़िंदा किए गए। कौड़ी पाक साफ़ हुए। अँधों ने बीनाई पाई। बद-रूहें हुक्म से निकाली गईं। 38 साल के बीमार और तरह-तरह के बीमारों को शिफ़ा दी। पानी पर चल कर दिखाया। बेगुनाह रहा। कुँवारी मर्यम से पैदा हुआ। मुहब्बत की तालीम का बेहतरीन दर्जा सिखाया। बारह साल की उम्र में भी बड़े-बड़े आलिमों के मुँह बंद कर दिए। उस की मौत के वक़्त दोपहर के वक़्त सूरज की रोशनी जाती रही और तमाम दुनिया में अंधेरा छा गया। ज़मीन काँप उठी। चट्टानें तड़क गईं। मुर्दे यानी बहुत से मुक़द्दस लोग क़ब्रों में से बाहर को निकल पड़े।

       वाक़ई ही उलूहियत की सारी मामूरी ख़ुदावंद येसू मसीह में मुजस्सम हो कर सुकूनत करती है। सुनने वालो! एक बड़ा भेद, होशाना। मुबारक है मसीह जो ख़ुदावंद के नाम से आता है। (यूहन्ना 12:13) आलम-ए-बाला पर ख़ुदा की तम्जीद हो। (लूक़ा 2:14)

       “जिन्हों ने येसू का ये काम देखा था। उस पर ईमान ले आए।” (यूहन्ना 11:45)



ख़ुदा की बादशाहत और बहिश्त में दाख़िल होने
की दावत तमाम दुनिया को

       “मेरी तरफ़ रुजू लाओ। ताकि नजात पाओ। ऐ ज़मीन के सब रहने वालो। कि मैं ख़ुदावंद हूँ। और मेरे सिवा कोई नहीं।” (यसअयाह 45:22)

       “ऐ मेहनत उठाने वालो और बोझ से (गुनाह के बोझ से) दबे हुए लोगो सब मेरे पास आओ। मैं तुम्हें आराम दूंगा।” (मत्ती 11:28)

       अज़ीज़ो! “पर वो हमारे गुनाहों के सबब घायल किया गया। और हमारी बदकारी के बाइस कुचला गया। हमारी ही सलामती के लिए उस पर सियासत हुई। ताकि उस के मार खाने से हम चंगे हों” (यसअयाह 53:5)

       क्या आप ख़ुदावंद येसू मसीह को आज ही अपना नजातदिहंदा दिल से मानते हैं? क्या आप अपनी नफ़्सानी और जिस्मानी ख़्वाहिशों को छोड़ने के लिए तैयार हैं? ख़ुदावंद येसू मसीह गुनेहगारों को बचाने के लिए इस दुनिया में आया। और पौलूस रसूल अपने गुनाहों का इक़रार करते हुए यूं कहता है “जिसमें सबसे बड़ा मैं हूँ।” (1 तीमुथियुस 1:15)

       अगर आप गुनाहों की वजह से मुर्दा हैं तो ख़ुदावंद येसू मसीह पर दिल से ईमान लाने से आप ज़िंदा हो सकते हैं। लाज़र को क़ब्र में पड़े हुए चार दिन हो गए। लाज़र की बहन मार्था ग़मी की हालत में ख़ुदावंद येसू मसीह के पास आई। ख़ुदावंद येसू मसीह ने उनसे कहा क्या तू ईमान रखती है? मार्था ने येसू से कहा हाँ ख़ुदावंद मैं ईमान ला चुकी हूँ कि ख़ुदा का बेटा जो दुनिया में आने को था। वो तू ही है।” (यूहन्ना 11:27) इस ईमान से क्या हुआ?

       “और ये कह कर उसने (येसू ने) बुलंद आवाज़ से पुकार के कहा ऐ लाज़र निकल आ। जो मर गया था वो कफ़न से हाथ पांव बंधे हुए निकल आया। और उस का चेहरा रूमाल से लिपटा हुआ था। येसू ने उन से कहा। उसे खोल कर जाने दो।” (यूहन्ना 11:43 ता 44)

       अगर आप गुनाह की हालत में मुर्दा हैं। तो अज़ीज़ो ख़ुदावंद येसू पर ईमान ले आओ। ईमान ही की वजह से मुर्दे को कहा गया, ऐ लाज़र निकल आ। इसलिए वो कहता है। “ऐ सोने वाले जाग और मुर्दों में से जी उठ तो मसीह का नूर तुझ पर चमकेगा।” “इफ़िसियों 5 14)

       आपका सिर्फ इतना काम है। कि आप अपने गुनाहों से पशेमान (शर्मिंदा) हो कर ख़ुदावंद येसू पर ईमान ले आएं। क्योंकि लिखा है, कि “अगर तू अपनी ज़बान से येसू के ख़ुदावंद होने का इक़रार करे और अपने दिल से ईमान लाए तो नजात पाएगा।” (रोमियों 10:9)

       अज़ीज़ो शैतान आपके दिल में यूं ना कहे। फिर देखा जाएगा। आप दुनिया के रिश्तेदारों, भाई, बहन, माँ, बाप और दोस्त किसी का ख़याल ना रखें। दुनिया की रिश्तेदारी, और दुनिया की मुहब्बत इस फ़ानी दुनिया से कूच करने के बाद मिट्टी में मिल जाएगी बड़े-बड़े मकान ज़लज़लों से तबाह हो चुके हैं। आग और गंधक ने बड़े-बड़े महलों को ख़ाक का ढेर कर दिया है। हज़ारों और लाखों हर रोज़ मरते चले जाते हैं आप अपनी दौलत और जायदाद पर फ़ख़्र ना करें। ख़ुदावंद येसू मसीह ने एक तम्सील में यूं कहा, कि “एक दौलतमंद की बड़ी फ़स्ल हुई और वो कहने लगा। कि मैं अपनी कोठियाँ बड़ी बनाऊंगा। और अपनी जान से कहूंगा। ऐ जान खा पी और चैन कर।

       ख़ुदा ने उस से कहा, ऐ नादान इसी रात तेरी जान तुझसे तलब करली जाएगी। पस जो तूने तैयार किया है। किस का होगा?” (लूक़ा 12:16 ता 20)

       इन्सान की ज़िंदगी इस जिस्म में पानी के बुलबुले की तरह है।

       प्यारे दुनिया के हम-सफर लोगो। अदालत का वक़्त क़रीब आ गया है। आग के अज़ाब से बच जाओ।

       इस दुनिया की चीज़ें ख़ुदावंद येसू मसीह की दूसरी आमद के वक़्त तबाह व बर्बाद कर दी जाएँगी।

       “बुतलान के बुतलान वाइज़ कहता है। बुतलान के बुतलान सब कुछ बातिल है।” (वाइज़ 1:2 अम्बिया के सहीफ़े)

       इसलिए दुनिया के हमसफर अज़ीज़ो फिर पछताए क्या। जब चिड़ियां चुग गईं खेत। इस दुनिया को छोड़ने से पहले फ़ैसला करना है। “क्योंकि एक बार मरना और उस के बाद अदालत का होना मुक़र्रर है।” (इब्रानियों 9:27)

       एक अमीर ने कलाम सुनकर रद्द कर दिया और कहने लगा, फिर देखा जाएगा। और इसके बाद फ़ौरन गाड़ी के नीचे आकर हलाक हो गया।

       “देखो आज क़बूलियत का वक़्त है। ये नजात का दिन है।” (2 कुरिन्थियों 6:2)

       अगर आप दिल से ईमान लाएं तो लिखा है :-

“आज ही तू मेरे साथ फ़िर्दोस (बहिश्त) में होगा।”