तजस्सुम ख़ुदा

इस मसअले पर मुख़ालिफ़ बहुत एतराज़ करते हैं। और बाअज़ सिरे से इस का इन्कार करते हैं और कहते हैं, कि ख़ुदा का मुजस्सम (जिस्मदार) होना बिल्कुल नामुम्किन और अक़्ल के ख़िलाफ़ है। हम इस मज़्मून में साबित करेंगे कि अक़्ल के नज़्दीक ख़ुदा का मुजस्सम होना बिल्कुल मुम्किन है। अक्सर एतराज़ ये होता है, कि ख़ुदा तो ग़ैर-महदूद है

Incarnation of God

तजस्सुम ख़ुदा

By

Abnash Chandr Ghos
अबनाशन चन्द्र घूस

Published in Nur-i-Afshan August 9, 1895

नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 9 अगस्त 1895 ई॰

मसीही कलीसिया ने मसीह को ख़ुदामुजस्सम माना है

इस मसअले पर मुख़ालिफ़ बहुत एतराज़ करते हैं। और बाअज़ सिरे से इस का इन्कार करते हैं और कहते हैं, कि ख़ुदा का मुजस्सम (जिस्मदार) होना बिल्कुल नामुम्किन और अक़्ल के ख़िलाफ़ है। हम इस मज़्मून में साबित करेंगे कि अक़्ल के नज़्दीक ख़ुदा का मुजस्सम होना बिल्कुल मुम्किन है। अक्सर एतराज़ ये होता है, कि ख़ुदा तो ग़ैर-महदूद है फिर क्योंकर हो सकता है कि ग़ैर-महदूद ख़ुदा महदूद जिस्म में मुक़य्यद (क़ैद) हो जाये।

ये बात तो सब मानते हैं कि ख़ुदा हर जगह हाज़िर व नाज़िर है। अब उस का हाज़िर व नाज़िर होना दो तरह से हो सकता है :-

1. वो एक जगह में साकिन (ठहरा हुआ, क़ायम) है और अपनी क़ुद्रत कामला से सब कुछ देखता और सब जगह हाज़िर है। या

2. ये कि जिस जगह का ख़याल किया जाये वहां ख़ुदा ख़ुद हाज़िर होता है और किसी ख़ास जगह में साकिन नहीं।

अब अगर इन दोनों सूरतों में से पहली को मंज़ूर करें तो साफ़ ज़ाहिर है, कि ख़ुदा का मुजस्सम होना मुम्किन है। क्योंकि अगर वो एक जगह में साकिन हो के सारी दुनिया को देख रहा है तो क्या अक़्ल नहीं कहती कि मुम्किन है कि वो एक जिस्म में साकिन हो कर सब कुछ वैसा ही देखता रहे। क्यों इन्सानी जिस्म उस का मस्कन नहीं हो सकता। कोई दलील (सबूत, गवाही) इस के ख़िलाफ़ नज़र नहीं आती। जिस्म भी और मकानों की तरह एक मकान है।

रही दूसरी सूरत ये कि ख़ुदा किसी ख़ास मकान पर साकिन नहीं बल्कि हर जगह है। इस सूरत में भी हम साबित करेंगे, कि उस का मुजस्सम होना मुम्किन है। दावा ये है कि ख़ुदा हर जगह मौजूद है ज़्यादा सफ़ाई के वास्ते हम एक ख़ास मकान का नाम लेते में यानी दिल्ली की जामा मस्जिद। पस ख़ुदा दिल्ली जामा मस्जिद में मौजूद है। लेकिन वो बंबई की जामा मस्जिद में भी मौजूद है। अब ये तो हो नहीं सकता कि कोई कहे उस का एक हिस्सा दिल्ली में एक हिस्सा बंबई में है। अगर वो दिल्ली में है तो कुल है और अगर बंबई में है तो कुल है। तो गोया साबित हुआ कि इस दूसरी राय के मुताबिक़ ख़ुदा कुल्लिया तौर पर एक मस्जिद में समा सकता है और अगर एक मस्जिद में समा सकता है। तो कौन सी चीज़ उस के एक जिस्म में समाई से मानेअ (रुकावट) होती है। कोई मोअतरिज़ जवाब दे।

पस इस दूसरे राय के मुताबिक़ भी साबित हुआ कि ख़ुदा का तजस्सुम मुम्किन है।