मसीह इब्ने-अल्लाह ख़ुदा, कफ़्फ़ारा, ख़ातिम-उन-नबिय्यीन है

ये चारों बातें ईसाईयों के अक़ीदे का एक जुज़्व हैं। और बड़ी मुश्किल हैं और इसलिए हिंदू व मुसलमान वग़ैरह इस में लग़्ज़िश (ख़ता, लर्ज़िश) खाते हैं। और इस पर मोअतरिज़ (एतराज़ करने वाले) होते हैं। चंद रोज़ हुए कि अख़्बार मंशूर मुहम्मदी में भी एक मज़्मून इसी बिना पर एक शख़्स मुसम्मा मलिक शाह ने तहरीर फ़रमाया है। जो कि मह्ज़ उन की ना-वाक़िफ़ी और नाफ़हमी का नतीजा है।

The Christ is son of God, God, Atonment and the seal of Prophets

मसीह इब्ने-अल्लाह ख़ुदा, कफ़्फ़ारा, ख़ातिम-उन-नबिय्यीन है

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One Disciple
एक शागिर्द

Published in Nur-i-Afshan July 9-15, 1873

नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 9, 15 जनवरी 1873 ई॰

ये चारों बातें ईसाईयों के अक़ीदे का एक जुज़्व हैं। और बड़ी मुश्किल हैं और इसलिए हिंदू व मुसलमान वग़ैरह इस में लग़्ज़िश (ख़ता, लर्ज़िश) खाते हैं। और इस पर मोअतरिज़ (एतराज़ करने वाले) होते हैं। चंद रोज़ हुए कि अख़्बार मंशूर मुहम्मदी में भी एक मज़्मून इसी बिना पर एक शख़्स मुसम्मा मलिक शाह ने तहरीर फ़रमाया है। जो कि मह्ज़ उन की ना-वाक़िफ़ी और नाफ़हमी का नतीजा है।

इस वास्ते मैं इन उमूर पर अपनी अक़्ल ख़ुदादाद के मुवाफ़िक़ तहरीर करता हूँ ताकि मोअतरिज़ (एतराज़ करने वाला) और नीज़ मुत्ला`श्यान (तलाश करने वाला) दीने ईस्वी को इस के समझने में मदद मिले।

मलिक शाह ने अपने मज़्मून का आग़ाज़ यूं किया है, कि इन्जील का हाल नई तवारीख़ की किताबों से मालूम हुआ है कि ये किताबें मुरवज्जाह (राइज) अहले-किताब बिल्कुल फ़ासिद (ख़राब, नाक़िस) और निकम्मी हैं। चुनान्चे मिस्टर कारलायल कहते हैं कि तर्जुमा अंग्रेज़ी में मतलब बिल्कुल फ़ासिद और बाज़ार रास्ती कासिद (नाक़िस, ग़ैर ख़ालिस, खोटा) है। और नूर को ज़ुल्मत में और सच्च को दरोग़ (झूट, बोहतअन) पर फ़ौक़ियत बख़्शते हैं। और उलमाए लिंकन ने बदरख़्वास्त ख़ुद गुज़ारिश बादशाह को किया था कि तर्जुमा अंग्रेज़ी बाइबल का बहुत ख़राब है, कि बाअज़ जगह बढ़ाया गया और बाअज़ जगह घटाया गया और बाअज़ जगह बदला गया। और मिस्टर बरातन ने दरख़्वास्त की थी कि तर्जुमा अंग्रेज़ी बाइबल का मौजूदा इंग्लिस्तान ग़लतीयों से पुर है। और मिस्टर हरजिन ने कहा था कि मैं कमी व बेशी और इख़्फ़ाए मतलब और तब्दील मुद्दआ की क्योंकर सनद दूँ। ग़र्ज़ कि इन्जील मुरव्वजा तमाम तग़य्युर व तबद्दुल (तब्दीलीयां, फ़र्क़) से पुर और तायर (उड़ने वाला) मतलब से बेपर है। फिर ऐसी इन्जील की रु से ईसा को ख़ुदा का बेटा कहना। और उलूहियत उस की साबित करनी और तमाम दुनिया का पैग़म्बर मबऊस (भेजा गया) कहना बातिल व आतिल (झूट, बेअस्ल) है। बल्कि उस में भी पाया सबूत को नहीं पहुंचता। ईसा ने तम्सिलन कहा होगा कि ऐसा अज़ीज़ो बर्गुज़ीदा दरगाह किबरिया (ख़ुदा का एक सिफ़ाती नाम, फ़ख़्र) हूँ कि जैसा बेटा बाप को महबूब और उस की तबअ (तबीयत, मिज़ाज) को मर्ग़ूब (पसंदीदा) होता है।

मलिक शाह साहब मालूम नहीं कि आपने कौनसी तवारीख़ से साबित किया है कि इन्जील फ़ासिद और निकम्मी है इस का हवाला तो दीजिए। ये सबूत और हवाले जो आपने दिए हैं बिल्कुल फ़ासिद और निकम्मे हैं। ऐ जामेअ इल्म-ए-माक़ूल (अक़्ल में लाया गया) बेहतर होता अगर आप आग़ाज़े मुबाहिसा से पहले और शुरू एतराज़ से पेश्तर इल्म-ए-मन्तिक़ (ठीक तौर से सोचने का इल्म) और मुनाज़रा (बह्स व मुबाहिसा) का मुतालआ कर लेते। ताकि आपको एतराज़ करने और सबूत देने और दलील के पेश करने का ढंग याद हो जाता। और इस क़िस्म की फ़ाश (ज़ाहिर, सरीह) ग़लती में गिरफ़्तार ना होते। छोड़ा कहीं था और जा पड़ा कहीं। आपका दाअवा है कि इन्जील फ़ासिद और निकम्मी है और दलील उस की आप ये देते हैं कि मिस्टर कार्लाइल या किसी और के कहने से ये साबित है कि उस का तर्जुमा अंग्रेज़ी बहुत ख़राब है।

वाह साहब वाह आप ही इन्साफ़ फ़रमाएं कि ये दलील इसी क़िस्म की नहीं जैसा कि हम कहें क़ुरआन बिल्कुल फ़ासिद और निकम्मा है। क्योंकि उस का तर्जुमा उर्दू बहुत ख़राब है। आपको मालूम नहीं कि ईसाईयों का एतिक़ाद (यक़ीन) और उनके अक़ीदे की बुनियाद कुछ तर्जुमा अंग्रेज़ी और उर्दू पर नहीं बल्कि असली किताब पर है। और ना कोई ईसाई तर्जुमे को इल्हामी किताब रूह-उल-क़ुद्दुस की लिखाई हुई मानता है हम जो कुछ दाअवा करते हैं वो अस्ल किताब की निस्बत है ना तर्जुमे की निस्बत और तर्जुमे की ख़राबी कुछ अस्ल किताब पर नुक़्स नहीं डालती। तर्जुमा ग़लत है तो ग़लत से इस की पाबंदी और शहादत (गवाही, सबूत) वहीं तक है जहां तक अस्ल किताब को मोअतबर (दुरुस्त) समझा जाएगा।

और इब्ने-अल्लाह वग़ैरह का लफ़्ज़ येसू की निस्बत तर्जुमे में ही मुस्तअमल (इस्तिमाल) नहीं हुआ बल्कि अस्ल किताब में आया है और हम अस्ल इन्जील की रु से ही उस को ख़ुदा का बेटा कहते हैं और इसी से उस की उलूहियत (ख़ुदाई) वग़ैरह साबित करते हैं।

बेशक मुहम्मदी येसू को इब्ने-अल्लाह कहने से नफ़रत करते हैं और इस पर एतराज़ लाते हैं लेकिन ये उनकी ग़लती है।

हम येसू को जिस्मानी तौर पर ख़ुदा का बेटा नहीं कहते जैसा कि उनका ख़याल है बल्कि हमारा ये अक़ीदा है कि ख़ुदा जोरु (बीवी) से और बेटे से पाक हैं और जो शख़्स जिस्मानी तौर पर उस को ख़ुदा का बेटा क़रार देता है वो गुनेहगार और काफिर जहन्नुमी है।

अब इन्साफ़ को मद्द-ए-नज़र और तास्सुब (बेजा हिमायत, तरफ़-दारी) को दूर फ़र्मा कर मुलाहिज़ा फ़रमाएं ताकि आप कोताह फ़हमी (कम इल्मी) से इस ग़लती और धोके में फंसे ना रहें, कि इब्ने-अल्लाह कुल बाइबल में चार अश्ख़ास की निस्बत मुस्तअमल (इस्तिमाल) हुआ है।

1. फ़रिश्तों की निस्बत देखो अय्यूब की किताब पहला बाब 6 आयत जहां लिखा है एक दिन ऐसा हुआ कि बनी अल-राए आए कि ख़ुदा के हुज़ूर हाज़िर हों। फिर 38 बाब 7 आयत किताब सदर जब सुबह के सितारे मिल के गाते थे। और सारे बनी अल्लाह ख़ुशी के मारे ललकारते थे। और इस लफ़्ज़ का इस्तिमाल फ़रिश्तों की निस्बत इस वास्ते हुआ है, कि वो आदमज़ाद की मानिंद ब-तवस्सुल (मिलाप, ज़रीया) माँ और बाप के पैदा नहीं हुए। बल्कि सारे एक ही दफ़ाअ ख़ुदा के हुक्म से मबऊस (भेजे गए) हुए।

2. आदम की निस्बत देखो लूक़ा की इन्जील तीसरा बाब 38 आयत जिसमें आदम को ख़ुदा का बेटा कहा गया है। और इस का सबब भी यही है कि वो बग़ैर माँ और बाप के सिर्फ ख़ुदा क़ादिर-ए-मुतलक़ के हुक्म से पैदा हुआ।

3. ख़ुदा-परस्त लोगों की निस्बत भी ये लफ़्ज़ बाइबल में आया है। जैसे इस्राईल और एफ्राईम बल्कि उन को पहलौठे बेटे कहा गया है। देखो (यर्मियाह नबी 31 बाब 9) आयत और मसीह पर ईमान लाने वालों के लिए ये लफ़्ज़ मुस्तअमल (इस्तिमाल) हुआ है। देखो इन्जील (यूहन्ना पहला बाब 12 आयत) लेकिन जिन्हों ने मसीह को क़ुबूल किया उस ने उन्हें इक़तिदार (इख़्तियार, मर्तबा) बख़्शा कि ख़ुदा के फ़र्ज़न्द हों। यानी उन्हें जो उस के नाम पर ईमान लाते हैं। फिर यूहन्ना का पहला ख़त तीसरा बाब पहली आयत देखो। कैसी मुहब्बत बाप ने हमसे की कि हम ख़ुदा के फ़र्ज़न्द कहलाए। और रोमीयों का ख़त 8 बाब 14 आयत जितने ख़ुदा की रूह की हिदायत से चलते हैं वही ख़ुदा के बेटे हैं।

इन आयतों से साफ़ मालूम होता है कि ख़ुदा के बंदों को बाइबल में फ़र्ज़ंद-ए-ख़ुदा कहा गया है इस का सबब ये है :-

1. कि उन्होंने ख़ुदा की पाक रूह की तासीर से नया जिस्म हासिल किया है और

2. कि ख़ुदावन्द येसू मसीह पर ईमान लाने से ख़ुदा के ख़ानदान में शामिल हुए जैसा लिखा है, वैसे ना लहू से और ना जिस्म की ख़्वाहिश से ना मर्द की ख़्वाहिश से मगर ख़ुदा से पैदा हुए हैं और फ़रज़न्दों की सी तबीयत और हक़ हासिल किया।

3. ख़ुदावन्द येसू मसीह की निस्बत इब्ने-अल्लाह का लफ़्ज़ बाइबल में आया है। देखो लूक़ा की इन्जील पहला बाब 35 आयत, वो पाक लड़का ख़ुदा का बेटा कहलाएगा। और मर्क़ुस की इन्जील पहला बाब पहली आयत ख़ुदा के बेटे येसू मसीह की इन्जील का शुरू। यूहन्ना की इन्जील पहला बाब 34 आयत, सो मैंने देखा और गवाही दी कि यही ख़ुदा का बेटा है। यूहन्ना की इन्जील 6 बाब 19 आयत, हम तो ईमान लाए और जान गए कि तू ज़िंदा ख़ुदा का बेटा है। और इस तरह कम से कम 45 दफ़ाअ लफ़्ज़ इब्ने-अल्लाह का बाइबल में मसीह की निस्बत आया है लेकिन हम इसी पर इक्तिफ़ा करते हैं। अब ये सवाल है कि ख़ुदावन्द येसू मसीह को इब्ने-अल्लाह क्यों कहा गया है सो इस का जवाब हम इन्जील से ही तहरीर करते हैं।

वाज़ेह हो कि इन्जील मुक़द्दस में येसू मसीह को इब्ने-अल्लाह कहने के दो सबब बयान हुए हैं :-

1. लूक़ा की इन्जील पहला बाब 25 आयत, फ़रिश्ते ने जवाब में उसे यानी मर्यम को कहा कि रूह-उल-क़ुद्दुस तुझ पर उतरेगी और ख़ुदा तआला की क़ुद्रत का साया तुझ पर होगा इस सबब से वो पाक लड़का ख़ुदा का बेटा कहलाएगा।

इस आयत से साफ़ मालूम होता है, कि हमारा ख़ुदावन्द येसू मसीह इब्ने आदम इब्ने मर्यम ख़ुदा का बेटा कहलाया इस वास्ते कि उस की पैदाइश रूह-उल-क़ुद्दुस से और ख़ुदा की क़ुद्रत के साये से बग़ैर बाप के हुई।

यानी वो ख़ुदा की ख़ास क़ुद्रत से पैदा हुआ इस वास्ते ख़ुदा का बेटा कहलाया। दूसरी वजह येसू को इब्ने-अल्लाह कहने की यूहन्ना की इन्जील में मुन्दरज है देखो पहला बाब 14 आयत, और कलाम मुजस्सम हुआ और वो फ़ज़्ल और रास्ती से भरपूर हो के हमारे दर्मियान रहा और हमने उस का ऐसा जलाल देखा, जैसा बाप के इकलौते का जलाल। इस आयत का बयान यूं है कि कलिमतुल्लाह जो इब्तिदा में था। और ख़ुदा के साथ था और ख़ुदा था। यानी इब्ने-अल्लाह जो ज़ाते उलूहियत का दूसरा शख़्स है मुजस्सम हुआ यानी जिस्म इख़्तियार कर के येसू मसीह में रहा और उस का जलाल उस में ऐसा ज़ाहिर हुआ जैसा बाप के इकलौते का जलाल। इस सबब से ख़ुदा के बेटे कहलाए। ये ख़ास सबब इब्नियत (फ़र्ज़ंदी, बेटा होना) का सिर्फ ख़ुदावन्द येसू मसीह में मौजूद था। और वही अकेला इन्सान था। जिसमें उलूहियत (ख़ुदाई) मुजस्सम हुई यानी इब्ने-अल्लाह जो इब्तिदा में था ख़ुदा के साथ ख़ुदा था अकेला उस में रहा। इस वास्ते ख़ुदावन्द येसू मसीह ख़ुदा का इकलौता बेटा कहलाया है।

ना इसलिए जैसा कि मलक शाह साहब ने ये कुफ़्र का कलमा कहा कि ख़ुदा की तीन जोरुएँ थीं और मसीह तीसरी जोरू का इकलौता बेटा था।

ये सारी बातें इल्हामी हैं तक़रीर में नहीं आ सकतीं। इस की सच्चाई उन मोअजज़ात से साबित होती है। जो कि उस से ज़ाहिर हुए और नीज़ इस का समझना मुताल्लिक़ मसअला तस्लीस के ही इन्सान को पूरी समझ इस की जब ही आ सकती उस की सच्चाई इन मोअजज़ात से साबित होती है जो कि उस से ज़ाहिर हुए और नीज़ उस का समझना मुताल्लिक़ मसअला तस्लीस के है इन्सान को पूरी समझ उस की जब ही आ सकती है जब कि बयान तस्लीस को वो बख़ूबी समझ ले।

लेकिन इस जगह इस का बयान मुवाफ़िक़ इन्जील के हुआ कि किस वास्ते येसू को इब्ने-अल्लाह कहा गया है ताकि लोग इस को बख़ूबी समझ लें। झूठी तोहमत ईसाईयों पर ना रखें कि वो जिस्मानी तौर पर ख़ुदा का बेटा है। बाक़ी ये हफ़्ता आइंदा।

मसीह की उलूहियत का बयान

मज़्मून साबिक़ा में ख़ुदावन्द येसू मसीह के इब्ने-अल्लाह होने का ज़िक्र था। इस में उस की उलूहियत (ख़ुदाई) का बयान और उस की दलाईल (सबूत) मुन्दरज हैं। ख़ुदावन्द येसू मसीह ख़ुदा है इस कलाम के समझने के लिए याद रखना चाहिए, कि ख़ुदावन्द येसू मसीह एक शख़्स था जिसमें दो ज़ात मौजूद थीं।

1. इन्सानियत

2. उलूहियत

वो पूरा इन्सान था ऐन इस तरह जैसे और इन्सान हैं जिस्म और रूह से बना हुआ। इस वास्ते वो पैदा हुआ। लड़कपन से परवरिश पाई। और इन्सान के मुवाफ़िक़ खाता पीता रहा और काम व काज करता रहा। और इल्म में भी उसने तरक़्क़ी की और आख़िर मर गया सिर्फ एक बात में वो और इन्सानों से फ़र्क़ रखता था, कि वो बिल्कुल बेगुनाह था और बे-नुक़्स और कामिल इन्सान था और उस में उलूहियत मौजूद थी। ये उलूहियत इन्सानियत से मिलकर यक ज़ात और मुत्तहिद नहीं थी बल्कि अलेहदा (अलग) और हदी थी और मसीह को नजात का काम पूरा करने में हमेशा मदद देती रही। ये उलूहियत उस में इस तरह मौजूद ना थी, जैसा इस मुल्क के वेदाँती लोग ख़याल करते हैं कि हर एक जीव (ज़िंदगी, रूह) में ख़ुदा की ज़ात मौजूद है। जैसा ख़ुदा हर जा (जगह) मौजूद होने के सबब सब जगह और सब जीव में है मसीह में उलूहियत इस तौर पर थी कि उस की उलूहियत और इन्सानियत दोनों मिलकर वो एक शख़्स बना और उस के काम व काज में और ख़याल व गुफ़्तगु में उलूहियत की सिफ़ात ज़ाहिर हुईं जिसका सबूत दिया जाएगा।

मसीह ख़ुदावन्द ख़ुदा मुजस्सम था यानी ख़ुदा इन्सान के पैराया में आया। और इसलिए उस का एक नाम इन्जील में इम्मानुएल है। जिसके मअनी हैं हमारे साथ वो परमेश्वर का अवतार था। यानी इस में पूरा मनुष्य (मर्द, आदमी) का और परमेश्वर का अंस (तवानाई) मौजूद था।

मलिक शाह साहब फ़र्माते हैं कि इन्जील से ये बात साबित नहीं होती, कि ख़ुदा की ज़ात उस में मौजूद थी ये बात ग़लत है। इस का सबूत इन्जील में बेशुमार है कोई शख़्स जो इन्जील से वाक़िफ़ हो इस बात से इन्कार नहीं कर सकता। चुनान्चे इस अम्र का सबूत और दलाईल चार हिस्सों में बयान करता हूँ।

1. इन्जील में ख़ुदा का लफ़्ज़ मसीह की निस्बत इस्तिमाल हुआ है देखो यूहन्ना की इन्जील पहला बाब पहली आयत, “इब्तिदा में कलाम था और कलाम ख़ुदा के साथ था। और कलाम ख़ुदा था। (रोमीयों का ख़त 9 बाब 5 आयत) जिस्म की निस्बत मसीह भी बाप दादों से हुआ जो सब का ख़ुदा हमेशा मुबारक है। (1 तीमुथियुस का 3 आयत) और बिला-इत्तिफाक़ दीनदारी का भेद बड़ा है यानी ख़ुदा जिस्म में ज़ाहिर किया गया। और रूह से रास्त (दुरुस्त, मुवाफ़िक़) ठहराया गया ये कलाम येसू मसीह की निस्बत है। तितुस दूसरा बाब 13 आयत, और बुज़ुर्ग ख़ुदा और अपने बचाने वाले येसू मसीह के ज़हूर (ज़ाहिर होना) जलील (आला) की राह तके। इब्रानियों का ख़त पहला बाब 8 आयत बेटे की बाबत कहता है कि, ऐ ख़ुदा तेरा तख़्त अबद तक है रास्ती का असातीरी बादशाहत का असा है। (यूहन्ना का पहला ख़त 5 बाब 20 आयत) हम उस में जो हक़ ही रहते हैं यानी येसू मसीह में जो उस का बेटा है ख़ुदा-ए-बरहक़ और हमेशा की ज़िंदगी। और यसअयाह नबी की किताब 9 बाब 6 आयत, कि मसीह इस नाम से कहलाता है अजीब मुशीर और ख़ुदा-ए-क़ादिर।

1. अज़लियत दलील उस की उलूहियत (ख़ुदाई) की ये है कि ख़ुदा की सिफ़ात उस की निस्बत बयान हुईं। अव़्वल अज़लियत (यूहन्ना की इन्जील 1 बाब 2 आयत) कलाम इब्तिदा में ख़ुदा के साथ (8 बाब 8 आयत) येसू ने लोगों को कहा कि पेश्तर इस के कि इब्राहिम हो मैं हूँ (मैं ही हूँ) (17 बाब 5 आयत) और ऐ बाप तू मुझे अपने साथ उस जलाल से जो मैं तेरे साथ दुनिया की पैदाइश से पेश्तर रखता था जलाल दे। (मुकाशफ़ा पहला बाब 17, 18 आयत) ख़ुदावन्द यूं फ़रमाता है कि मैं अल्फ़ा और ओमेगा अव़्वल और आख़िर हूँ मैं मुवा (मरा) था और ज़िंदा हूँ मैं अबद तक ज़िंदा हूँ।

2. बेतब्दीली। इब्रानियों का ख़त पहला बाब 11-12 आयत वो नेस्त हो जाऐंगे पर तू बाक़ी है और वो सब पोशाक (लिबास, कपड़े) की मानिंद पुराने होंगे और वो जल जाऐंगे पर तू वही है और तेरे बरस जाते ना रहेंगे पिछ्ला कलाम मसीह की निस्बत,

13 बाब 8 आयत येसू मसीह कल और आज अबद तक यकसाँ है।

3. हर जा (जगह) मौजूद (हाजिर नाज़िर) होना (यूहन्ना की इन्जील 3 बाब 13 आयत) और कोई आस्मान पर नहीं गया सिवाए उस शख़्स के जो आस्मान से उतरा यानी इब्ने आदम जो आस्मान पर है। (मत्ती की इन्जील 28 बाब 20 आयत) मसीह ने अपने रसूलों को कहा देखो मैं ज़माने के तमाम होने तक हर रोज़ तुम्हारे साथ हूँ। (18 बाब 20 आयत) जहां दो या तीन मेरे नाम पर इकट्ठे हों वहां मैं उनके बीच हूँ।

4. सब कुछ जानना (यूहन्ना की इन्जील 2 बाब 23 से 25 आयत) लेकिन येसू ने अपने तईं लोगों पर छोड़ा इसलिए कि वो सबको जानता था और मुहताज (हाजतमंद, ज़रूरतमंद) ना था कि कोई इन्सान के हक़ में गवाही दे क्योंकि वो आप जो कुछ इंसान में है जानता है। (मुकाशफ़ा 2 बाब 23 आयत) सारी कलीसियाओं को मालूम होगा कि मैं वही हूँ जो दिलों और गुर्दों का जांचने वाला है। और मैं तुम हर एक को तुम्हारे कामों के मुवाफ़िक़ बदला दूंगाई

5. क़ादिर-ए-मुतलक़ होना (मुकाशफ़ा पहला बाब 8 आयत) ख़ुदावन्द यूं फ़रमाता है कि मैं क़ादिर-ए-मुतलक़ हूँ। (इब्रानियों का ख़त 1 बाब 12 आयत) और वो यानी येसू मसीह ख़ुदा के जलाल की रौनक और उस की माहीयत (अस्ल, हक़ीक़त) का नक़्श हो के सब कुछ अपनी ही क़ुद्रत के कलाम से संभालता है।

(3) (तीसरी) क़िस्म की दलीलों से ये ज़ाहिर है कि उलूहियत (शान-ए-ख़ुदावंदी) के काम मसीह में और मसीह के वसीले से ज़ाहिर हुए।

1. पैदाइश (यूहन्ना की इन्जील 1 बाब 2 आयत) सब चीज़ें उस से मौजूद हुईं। और कोई चीज़ मौजूद ना थी जो बग़ैर उस के हुई (10 आयत और 17 आयत) क्योंकि उस से सारी चीज़ें जो आस्मान और ज़मीन पर हैं देखी और अनदेखी। क्या तख़्त क्या हुकूमतें किया रियासतें क्या मुख्तारीयाँ पैदा की गईं। और सारी चीज़ें उस से और उस के लिए पैदा हुईं। और वो सबसे आगे है और उस से सारी चीज़ें बहाल रहती हैं।

2. परवर्दिगारी का काम मसीह की निस्बत बयान हुआ। (इब्रानियों का ख़त पहला बाब 12 आयत) वो यानी मसीह उस के जलाल की रौनक और उस की माहीयत (अस्ल, जोहर) का नक़्श हो के सब कुछ अपनी ही क़ुद्रत से संभालता है। (क़ुलिस्सियों का ख़त पहला बाब 17 आयत) और वो यानी मसीह सबसे आगे है और उस से सारी चीज़ें बहाल हैं। (मत्ती की इन्जील 28 बाब 18 आयत) और येसू ने उन से कहा कि आस्मान और ज़मीन का सारा इख़्तियार मुझे दिया गया।

3. मौत व ज़िंदगी पर इख़्तियार। (यूहन्ना की इन्जील 5 बाब 2 आयत) जिस तरह बाप मुर्दों को उठाता है और जिलाता है बेटा भी जिन्हें चाहता है जलाता है।

4. इख़्तियार क़ियामत। (दूसरा कुरिन्थियों का ख़त 5 बाब 10 आयत) हम सबको ज़रूर है कि मसीह की मस्नद (तख़्त) अदालत के आगे हाज़िर हों ताकि हर एक जो कुछ हमने किया है क्या भला या बुरा मुवाफ़िक़ उस के पाएं। (मत्ती की इंजील 25:31-32 आयत) जब इब्ने आदम अपने जलाल से आएगा। और सब पाक फ़रिश्ते उस के साथ तब वो अपने जलाल के तख़्त पर बैठेगा। और सब कौमें उस के आगे हाज़िर की जाएँगी। और जिस तरह गडरिया भेड़ों को बकरीयों से जुदा करता है वो एक को दूसरे से जुदा करेगा वग़ैरह।

4. चोथी दलील (गवाही, सबूत) मसीह की उलूहियत की वो है जिससे ये ज़ाहिर है, कि ख़ुदा की बंदगी और इबादत मसीह को देनी वाजिब है और वही की गई है।

(यूहन्ना की इन्जील 8 बाब 23 आयत) सब बेटे की इज़्ज़त करें जिस तरह से बाप की इज़्ज़त करते हैं जो बेटे की इज़्ज़त नहीं करता बाप की जिसे उस ने भेजा है इज़्ज़त नहीं करता। (फिलिप्पियों का ख़त 2 बाब 9 आयत) इस वास्ते ख़ुदा ही ने उसे बहुत सर्फ़राज़ (सर-बुलंद, मुअज़्ज़िज़) किया और उस को ऐसा नाम जो सब नामों से बुज़ुर्ग है बख़्शा ताकि येसू का नाम ले, आस्मानी क्या, ज़मीनी क्या। वो जो ज़मीन के तले हैं घुटने टैकें। (इब्रानियों का ख़त पहला बाब 6 आयत) और जब पहलौठे को यानी येसू मसीह को दुनिया में फिर लाया तो कहा कि ख़ुदा के सब फ़रिश्ते उस को सज्दा करें।

(मत्ती की इन्जील 28 बाब 19 आयत) तुम सब क़ौमों को शागिर्द करो और उन्हें बाप और बेटे और रूहुल-क़ुदुस के नाम से बपतिस्मा दो। और इस हुक्म से मालूम होता है कि बाप बेटा रूह-उल-क़ुद्दुस बराबर हैं। (आमाल की किताब 7 बाब 59 और 60 आयत) स्तिफ़नुस ये कह के दुआ मांगता था कि ऐ ख़ुदावन्द येसू (मेरी रूह को) क़ुबूल कर ऐ ख़ुदावन्द ये गुनाह उनके हिसाब में मत रख। (दूसरा कुरिन्थियों का 12 बाब 14 आयत) ख़ुदावन्द येसू मसीह का फ़ज़्ल और ख़ुदा की मुहब्बत और रूह-उल-क़ुद्दुस की रिफ़ाक़त तुम सभों के साथ हो। इस जगह येसू और रूह-उल-क़ुद्दुस और ख़ुदा से बराबर दुआ मांगी गई।

इन चार किस्मों की दलीलों से साफ़ मालूम होता है कि ख़ुदावन्द येसू मसीह को इन्जील में ख़ुदा कहा गया है। और ख़ुदा की सिफ़तें उस में मौजूद थीं और उलूहियत का काम व काज उस से ज़ाहिर है। कि ख़ुदा की इबादत उस को दी गई अलबत्ता पहली क़िस्म की दलील क़तई नहीं। क्योंकि ख़ुदा का लफ़्ज़ सिवाए येसू के और नबियों और नीज़ हुक्काम और बाअज़ दीगर इन्सानों की निस्बत भी बाइबल में मुस्तअमल हुआ है। देखो (यूहन्ना की इन्जील 10 बाब 35 आयत) जब कि उस ने उन्हें जिनके पास ख़ुदा का कलाम आया ख़ुदा कहा और मुम्किन नहीं कि किताब बातिल (झूट) हो। (ख़ुरूज की किताब 7 बाब 1 आयत) ख़ुदा ने मूसा से कहा कि देख मैंने तुझे फ़िरऔन का सा बनाया। (82 ज़बूर 6 आयत) मैंने तो कहा कि तुम इलाही हो और तुम सब हक़ तआला के फ़र्ज़न्द हो। ये कलाम शैतान की निस्बत भी मुस्तअमल हुआ है। (दूसरा कुरिन्थियों का ख़त 4 बाब 4 आयत) इस जहां के ख़ुदा ने उन की अक़्लों को जो बेईमान हैं तारीक कर दिया। अगर सिर्फ यही दलील मसीह की उलूहियत की बाइबल में होती, तो हम कभी उस को ख़ुदा ना कहते बल्कि हम समझते कि जैसा अगले ज़माने में उन लोगों को ख़ुदा कहा गया जिनके पास ख़ुदा का कलाम आया इसी तरह ख़ुदावन्द येसू मसीह को रसूल-ए-ख़ुदा होने के सबब ख़ुदा कहा गया। लेकिन मसीह की उलूहियत सिर्फ इसी एक के ऊपर मुन्हसिर (इन्हिसार) नहीं। और ना उस की उलूहियत की यही ख़ास दलील है बल्कि ये एक चौथा हिस्सा उस की उलूहियत की दलीलों का है। और उनके साथ मिलकर क़तई हो जाता है हमने बयान किया कि बाइबल में ख़ुदावन्द येसू मसीह को ना सिर्फ ख़ुदा कहा गया है। बल्कि ख़ुदा की सिफ़ात उस में ज़ाहिर हुईं। ये किसी इन्सान में किसी पैग़म्बर में कभी ज़ाहिर नहीं हुईं। और ये भी बयान हुआ कि ख़ुदा के काम यानी वो काम सिर्फ ख़ुदा कर सकता है, जैसा पैदाइश और परवरदिगारी मौत व ज़िंदगी पर इख़्तियार और क़ियामत पर इक़तिदार उसे हासिल था। और सबसे पीछे ये बयान हुआ कि वो बंदगी और इबादत जो सिर्फ ख़ुदा को दी गई और जो उसी को देनी वाजिब थी मसीह को दी गई। और उस की निस्बत वाजिब बयान हुई अब इस हाल में हम क्या कह सकते हैं सिवाए इस के कि बाइबल में जगह जगह उस की उलूहियत का बयान है। और इसलिए हर एक शख़्स पर जो इन्जील को इल्हामी किताब जानता है। उस की उलूहियत का इक़रार करना वाजिब है।

इसलिए मुनासिब है कि मलिक शाह साहब या और कोई हमारा मुहम्मदी दोस्त जो इन्जील के इल्हामी होने का क़ाइल है। पेश्तर इस के कि मसीह की उलूहियत से इन्कार करे इन आयतों को मुलाहिज़ा फ़रमाए या इस के ऊपर सबूत दे कि ये आयतें जो पेश हुईं अस्ल इन्जील में मुन्दरज नहीं हैं। अगर ऐसा ना कर सके तो उनका इल्ज़ाम झूटा और बातिल है और उनको ये कहना मुनासिब नहीं कि मसीह की उलूहियत इन्जील से साबित नहीं होती।

अब मैं मसीह की उलूहियत की गवाही पेश करता हूँ, जो कि उन लोगों पर भी असर करती है जो कि इन्जील के इल्हामी होने के क़ाइल नहीं और सिर्फ इस को तवारीख़ी किताबों के मुवाफ़िक़ समझते हैं। वो ये है कि मसीह ख़ुदावन्द ने उलूहियत का दाअवा किया और अपने कलाम के सबूत में मोअजिज़ा दिखाया। उलूहियत का बयान पेश्तर मुतफ़सिल हो चुका अब सिर्फ बतौर यादाशत के एक दो आयतें बयान की जाती हैं। (मर्क़ुस की इन्जील 2 बाब 5 आयत) येसू ने कहा ऐ बेटे तेरे गुनाह माफ़ हुए ये बात सुनकर लोग कुड़कुड़ाए (ज़ोर से बड़बड़ाए) और बोले कि ख़ुदा के सिवा कौन गुनाह माफ़ कर सकता है?

मसीह ने कहा (10 आयत से 12) तक ताकि तुम जानो कि इब्ने आदम ज़मीन पर गुनाहों के माफ़ करने का इख़्तियार रखता है। मैं तुझे कहता हूँ ऐ मफ़लूज (फ़ालिज का मरीज़) कि उठ और खटोला उठा के अपने घर को जा और फ़ील-फ़ौर (फ़ौरन) वो उठा और अपना खटोला उठा के सब के सामने चला गया सब देखकर दंग (हैरान) हो गए। (मत्ती की इन्जील 18 बाब 20 आयत) क्योंकि जहां दो या तीन मेरे नाम पर इकट्ठे हों वहां मैं उनके बीच में हूँ। (यूहन्ना की इन्जील 18 बाब 5, 8 आयत) पेश्तर इस के कि इब्राहिम हो मैं हूँ। (मैं वही हूँ) (17 बाब 5 आयत) ऐ बाप अब तू मुझे अपने साथ उस जलाल से जो मैं दुनिया की पैदाइश से पेश्तर रखता था बुजु़र्गी दे। (तीसरा बाब 13 आयत) कोई शख़्स आस्मान पर नहीं गया सिवाए उस के जो आस्मान पर से उतरा यानी इब्ने आदम जो आस्मान पर है। (यूहन्ना की इन्जील 10 बाब 25 आयत) मैंने तो तुम्हें कहा और तुमने यक़ीन ना किया। जो काम यानी मोअजिज़ा मैं अपने बाप के नाम से करता हूँ ये मेरे गवाह हैं। (5 बाब 26 आयत) ये काम जो मैं करता हूँ ये मेरे गवाह हैं कि बाप ने मुझे भेजा है। (यूहन्ना की इन्जील 10 बाब 20 आयत) मैं और बाप एक हैं ये सुनके यहूदीयों ने कहा कि तो कुफ्र (ख़ुदा को ना मानना, बेदीनी) कहता है। और इन्सान हो के अपने तईं ख़ुदा बनाता है। (33 आयत) इन आयतों से साफ़ मालूम होता है, कि मसीह ने उलूहियत और उस की सिफ़ात का दाअवा किया। और इस के सबूत में मोअजिज़ा दिखाया अब हम जानते हैं, कि ख़ुदा किसी झूटे या फ़रेबी आदमी को मोअजिज़ा करने की ताक़त नहीं देता। इसलिए ज़रूर ख़ुदावन्द येसू मसीह के मोअजिज़े साफ़ इस अम्र को ज़ाहिर करते हैं, कि उस में उलूहियत मौजूद थी और वो उलूहियत (ख़ुदाई, शान-ए-ख़ुदावंदी) की सिफ़ात रखता था। अगर कोई कहे कि वो मोअजिज़ा शैतान की मदद से करता था तो ये निहायत उनकी समझ की ग़लती है क्योंकि शैतान कभी किसी को अपनी बादशाहत दूर करने के लिए मदद नहीं देता। और मसीह के मोअजिज़े इस क़िस्म के थे कि शैतान की बादशाहत को नेस्त व नाबूद (फ़ना कर देना) करते थे। इसलिए हर सूरत से ख़्वाह इन्जील को इल्हामी मानो या उस को तवारीख़ी किताब समझो। साबित है कि ख़ुदावन्द येसू मसीह में ज़ात व सिफ़ात ख़ुदा की मौजूद थीं अब अगर ज़िंदगी बाक़ी है तो आइंदा अख़्बार में उन आयतों का मुलाहिज़ा किया जाएगा जो बाइबल में ज़ाहिरन मसीह की उलूहियत के ख़िलाफ़ मालूम होती हैं।