मसीह का जी उठना
क़ब्ल इस के, कि हम मसीह के जी उठने की निस्बत यूरोपियन मुल्हिदों (दीन से फिरे हुए, काफ़िर) और मुनकिरों (इन्कार करने वाले) के क़ियास रुयते ख़्याली (ज़हूर के ख़्याली अंदाज़े लगाना) के तर्दीदी मज़्मून के सिलसिले को ख़त्म करें। ये मुनासिब मालूम होता है, Ressurection of Jesus Christ मसीह का जी उठना By One […]
ये भी उस के साथ था
फ़िक़्रह मुन्दरिजा उन्वान लूक़ा की इन्जील के बाईस्वीं बाब की छप्पनवीं (22:56) आयत में मज़्कूर है। इस के मतलब पर थोड़ी देर के लिए ग़ौर और फ़िक्र करें। ताकि नाज़रीन नूर-अफ़्शां ख़्वाह हिंदू हों, ख़्वाह मुसलमान इस तारीकी से जो अभी तक ब्रिटिश इंडिया के बाअज़ मख़्फ़ी हिसस (छुपे हिस्सों) में छाई हुई है। निकल […]
दुआ यानी दो धारी तल्वार
मुझे कामिल (पूरा) यक़ीन है, कि जो लोग अक़्ल और इल्म पर ज़्यादा भरोसा रखते हैं। मेरी इस सरगुज़िश्त (माजरा) को सुनकर हँसेंगे। लेकिन मसीही ईमानदारों के नज़्दीक ये बात ना-मुम्किनात से नहीं होगी। क्योंकि अक्सर कई एक वाक़ियात उन के तजुर्बे से गुज़रे होंगे। Prayer is Two Edge Sword दुआ यानी दो धारी तल्वार […]
हमारे लिए एक लड़का तवल्लुद हुआ
हमारे लिए एक लड़का तवल्लुद (पैदा) हुआ। और हमको एक बेटा बख़्शा गया। और सल्तनत उस के कांधे पर होगी। और वो इस नाम से कहलाता है। अजीब, मुशीर, ख़ुदा-ए-क़ादिर अबदीयत का बाप। सलामती का शहज़ादा, उस की सल्तनत के इक़बाल (ख़ुश-क़िस्मती) और For to us a child is born हमारे लिए एक लड़का तवल्लुद […]
मौत
नसीम-ए-सहरी (सुबह की हवा) के ठंडे ठंडे झोंकों ने ख़फ़तगान ख़्वाब-ए-नाज़ को चौकन्ना (होशियार) किया। मूअज़्ज़न की अज़ान ने नमाज़ सुबह के वास्ते नमाज़ियों को मुतवज्जोह किया। अल-सलात ख़ैर मिनल-नौम की सदा सुनते ही नमाज़ी कुलबुला कर उठ बैठे। Death मौत By One Disciple एक शागिर्द Published in Nur-i-Afshan Dec 21, 1894 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 21 […]
दूसरी न्यू डाल नहीं सकता
एक ग़ैर-मुक़ल्लिद (तक़्लीद करने वाला, पैरौ) मुहम्मदी ताअलीम याफ्ता ने ये सवाल किया था, कि अगर “हम मसीह और मुहम्मद दोनों पर ईमान रखें तो क्या क़बाहत (बुराई) है?” वो शख़्स इसी एतिक़ाद (यक़ीन) पर मुत्मइन है। और अक्सर ये भी कहता है, कि “मैं मसीह For no other foundation can lay दूसरी न्यू डाल […]
ईसा की इन्जील
अगरचे इस की बाबत और कुछ लिखना ज़रूरी नहीं है। क्योंकि इस के क़ब्ल ही विलायत में राज़ सर बस्ता (छिपा हुआ) खुल गया है। और साथ ही इस के हज़रत नोटोविच की क़लई (हक़ीक़त ज़ाहिर होना) भी खुल गई, कि वो क्या हैं। और हिन्दुस्तान के मशहूर व मारूफ़ अंग्रेज़ी अख़बारों ने भी बड़े […]
इन्सान की तीन बड़ी ज़रूरतें
ब्रहमो मिस्ल दीगर अक़ला के इक़रार करते हैं कि गुनाह आशनान वग़ैरह से दूर नहीं हो सकता। मगर वो कर्म की ताअलीम में कुछ तादाद सज़ा की मुक़र्रर करते हैं जो नज़ा (मौत, जान कनी) के वक़्त होती है। ये जानना तो बहुत ही मुश्किल है। कि क्या सज़ा हो सकती है और कब मसीही […]
उलमा अहले इस्लाम से सवाल
मिर्ज़ा साहब की तहक़ीक़ात और उन के हवारियों (शागिर्दों) के बयानात से ये मालूम होता है। कि साहब ममदूह (जिसकी तारीफ़ की गई हो) मसीह मौऊद (वाअदा किया हुआ) और मुल्हिम-ए-ग़ैब (इल्हाम रखने वाला) हैं। और पंजाब के रिसाला जात और जाहिल आदमीयों की रिवायत से ये ज़ाहिर होता है, Questions to the Muslim Scholars […]