ईसा की इन्जील

अगरचे इस की बाबत और कुछ लिखना ज़रूरी नहीं है। क्योंकि इस के क़ब्ल ही विलायत में राज़ सर बस्ता (छिपा हुआ) खुल गया है। और साथ ही इस के हज़रत नोटोविच की क़लई (हक़ीक़त ज़ाहिर होना) भी खुल गई, कि वो क्या हैं। और हिन्दुस्तान के मशहूर व मारूफ़ अंग्रेज़ी अख़बारों ने भी बड़े […]

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इन्सान की तीन बड़ी ज़रूरतें

ब्रहमो मिस्ल दीगर अक़ला के इक़रार करते हैं कि गुनाह आशनान वग़ैरह से दूर नहीं हो सकता। मगर वो कर्म की ताअलीम में कुछ तादाद सज़ा की मुक़र्रर करते हैं जो नज़ा (मौत, जान कनी) के वक़्त होती है। ये जानना तो बहुत ही मुश्किल है। कि क्या सज़ा हो सकती है और कब मसीही […]

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उलमा अहले इस्लाम से सवाल

मिर्ज़ा साहब की तहक़ीक़ात और उन के हवारियों (शागिर्दों) के बयानात से ये मालूम होता है। कि साहब ममदूह (जिसकी तारीफ़ की गई हो) मसीह मौऊद (वाअदा किया हुआ) और मुल्हिम-ए-ग़ैब (इल्हाम रखने वाला) हैं। और पंजाब के रिसाला जात और जाहिल आदमीयों की रिवायत से ये ज़ाहिर होता है, Questions to the Muslim Scholars […]

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अय्यूब 42

इन आयतों में एक ही मज़्मून है। यानी अपना इन्कार करना। अय्यूब की इब्तिदाई हालत और शैतान के एतराज़ से ज़ाहिर होता है कि बसा औक़ात ख़ुदा से हर क़िस्म की दुनियावी बरकतों को हासिल करते हुए दीनदार की दीन-दारी वो दर्जा नहीं रखती, जो तक्लीफ़ और मुसीबत में वक़अत (क़द्र, हैसियत) पाती है। हाँ […]

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पैदाइश 28:10-15

अब हम सीढ़ी पर ग़ौर करते हैं। यूहन्ना 1:15 के लिहाज़ से अगरचे इस सीढ़ी से इब्ने आदम मुराद है। पर हमारी राय में यहां सीढ़ी को सलीब से ज़्यादा मुनासबत पाई जाती है। क्योंकि वो मिलाप जो ख़ुदा और इन्सान में अज सर-ए-नौ फिर क़ायम हुआ वो इब्ने आदम के वसीले से है। लेकिन […]

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दुश्मने मसीहियत

सब के सब एक ही से हैं । पस शेख़ अहमद कोईलम नव मुस्लिम का ये क़ौल, कि हम मुसलमान लोग मसीह की हद से ज़्यादा ताज़ीम करते हैं। कई वजह से बातिल (झूट) है। और अंग्रेज़ी हुक्काम को धोखा देने के सिवाए मह्ज़ आतल। अव्वलन, क़ुरआन की मुन्दरिजा बाला ताअलीम के ख़िलाफ़ है। The […]

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क़ुरआन क्या है?

कहीए जनाब कैसी दलील सुनाई। लाए मुसाफ़ा (हाथ मिलाना) कीजिए। اللّٰہم صَلِّ पानी पी के लौटा रख दो। खटीया (चारपाई) के तले। मन्तिक़ (दलील) ने नातिक़ा (बोलने की ताक़त) बंद किया। अताए तौबा लकाए तो वाला जवाब दिया। क्या सबब कि तौरेत मूसा से रक़म हुई। ज़बूर दाऊद से ज़ेरे क़लम हुई। सहाईफ़ के मुसन्निफ़ […]

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गुनेहगारों को क़ुबूल करता है

अगरचे ख़ुदावन्द येसू मसीह जिस्म की निस्बत क़ौम यहूद में से था। जो अपनी क़ौम के सिवा तमाम आदमजा़द को गुनेहगार, नापाक बल्कि मिस्ल सग (कुत्ते की तरह) समझते थे। मगर चूँकि वो तमाम बनी-आदम का नजातदिहंदा और सारे गुनेहगारों का ख्वाह यहूदी हों या ग़ैर क़ौम बचाने वाला था। He Accept the Sinners गुनेहगारों […]

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मुझसे सीखो

गुज़श्ता ईशू में हमने एक नमूने की ज़रूरत का ज़िक्र किया। जिसको पेश-ए-नज़र रखकर और जिसके नक़्श-ए-क़दम पर चल कर बिगड़ा और गिरा हुआ इन्सान सुधर सके। और इन्सानियत के दर्जा आला पर सर्फ़राज़ हो कर क़ुर्बते इलाही के लायक़ बन सके। लेकिन ऐसे नमूने की तलाश अगर आदम से ताएं दम जिन्स बशर में […]

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मसीह पर ईमान लाने से रास्तबाज़ गिना जाता है

मसीही मज़्हब और दीगर मज़ाहिब दुनिया में ये एक निहायत अज़ीम फ़र्क़ है। कि वो गुनेहगार इन्सान की मख़लिसी व नजात और हुसूल-ए-क़ुर्बत (नज़दिकी) व रजामंदी इलाही को उस के आमाल हसना का अज्र व जज़ा नहीं ठहराता। बल्कि उस को सिर्फ इलाही फ़ज़्ल व बख़्शिश ज़ाहिर करता है। जबकि दीगर मज़ाहिब ताअलीम देते हैं, […]

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वो नजात पाएं

नाज़रीन नूर अफ़्शां को मालूम हुआ, कि हम मसीहियों में ये दस्तूर-उल-अमल है। कि नए साल के शुरू में बमाह जनवरी एक हफ़्ता बराबर मुख़्तलिफ़ मक़ासिद व मुतालिब पर ख़ुदा से दुआ मांगें। मसलन अपने गुनाहों का इक़रार।” ख़ुदा की नेअमतों का शुक्रिया, रूहुल-क़ुद्दुस की भर पूरी, उस के कलाम के फैलाए जाने की ख़्वाहिश […]

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मसीह गुनेहगारों का कफ़्फ़ारा

मसीह के कफ़्फ़ारा होने का ज़िक्र इन्जील में बहुत जगह है। चुनान्चे मिन-जुम्ला इस की चंद आयतें बयान की जाती हैं इफ़िसियों का ख़त 5 बाब 2, आयत जिसमें पौलूस रसूल यूं लिखता है तुम मुहब्बत से चलो जैसा मसीह ने हमसे मुहब्बत की। और ख़ुशबू के लिए हमारे एवज़ में अपने तईं ख़ुदा के […]

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