मिर्ज़ा क़ादियानी का बहाना

सब पर रोशन है कि मिर्ज़ा क़ादियानी की वो पेशीनगोई कि जिसके पर्दे में आपने अमृतसरी मुबाहिसा में मसीहीयों की फ़त्हयाबी को बज़अम ख़ुद पंद्रह माह के अर्से तक किसी क़द्र पोशीदा कर के अपनी मुहम्मदियत के बचाओ की सूझी थी सो पंद्रह माह पूरे होने पर वो पेशीनगोई 6 सितम्बर The excuse of Mirza […]

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मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद क़ादियानी की बातिल पेशीनगोई

इस क़ौल के मुताबिक़ ही के रस्सी सटर (जल) गई पर वट (बल) ना गया। मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद क़ादियानी की पेशीनगोई, मिस्टर अब्दुल्लाह आथम साहब की बाबत, कि “अगर वो हक़ की तरफ़ रुजू ना करेंगे तो 5 जून 1893 ई॰ से 5 सितम्बर 1894 ई॰ तक मर जाऐंगे। 6 सितम्बर 1894 ई॰ को बातिल […]

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बेटा ख़ुदा है और शख़्स है

चूँकि ये जुम्ला कि “जिसे उस ने अपने ही लहू से मोल लिया” मसीह से निस्बत रखता है और यहां पर उस की शान में लफ़्ज़ ख़ुदा आया है। इस मुक़ाम में बाअज़ नुस्ख़ों में लफ़्ज़ ख़ुदा के एवज़ (बजाय) लफ़्ज़ ख़ुदावंद भी पाया जाता है। इसलिए बाअज़ लोग ये एतराज़ करते हैं कि इस […]

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रात को जब हम सोते थे

रूमी सिपाही बतमाअ ज़र (पैसे का लालच) और वाअदा हिफ़ाज़त अज़ सियासत इस दरोग़ (झूठ) बे फ़रोग़ को, जो उन की, और उन के सिखलाने वालों की हमाक़त (बेवक़ूफ़ी) मह्ज़ को ज़ाहिर करता था। अवाम में मशहूर करने पर रज़ा मंद हो गए। लेकिन चूँकि कोई ज़माना दाना और अक़्लमंद इन्सानों से ख़ाली नहीं होता। […]

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मसीह ने दुख उठाए

अब हम मसीह के मुर्दों में से जी उठने के मुख़ालिफ़ एक तीसरे क़ियास (ज़हन, सोच बिचार) का ज़िक्र करेंगे। जिसको यूरोप के मशहूर मुल्हिदों (बेदीन, काफ़िर) मिस्ल इस्ट्राओस, रेनन वग़ैरह ने पसंद कर के पेश किया है। और वो ये है कि जी उठे मसीह की रुवैय्यतें (रुयते की जमा, सूरत का नज़र आना) […]

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मसीह का जी उठना

क़ब्ल इस के, कि हम मसीह के जी उठने की निस्बत यूरोपियन मुल्हिदों (दीन से फिरे हुए, काफ़िर) और मुनकिरों (इन्कार करने वाले) के क़ियास रुयते ख़्याली (ज़हूर के ख़्याली अंदाज़े लगाना) के तर्दीदी मज़्मून के सिलसिले को ख़त्म करें। ये मुनासिब मालूम होता है, Ressurection of Jesus Christ मसीह का जी उठना By One […]

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ये भी उस के साथ था

फ़िक़्रह मुन्दरिजा उन्वान लूक़ा की इन्जील के बाईस्वीं बाब की छप्पनवीं (22:56) आयत में मज़्कूर है। इस के मतलब पर थोड़ी देर के लिए ग़ौर और फ़िक्र करें। ताकि नाज़रीन नूर-अफ़्शां ख़्वाह हिंदू हों, ख़्वाह मुसलमान इस तारीकी से जो अभी तक ब्रिटिश इंडिया के बाअज़ मख़्फ़ी हिसस (छुपे हिस्सों) में छाई हुई है। निकल […]

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दुआ यानी दो धारी तल्वार

मुझे कामिल (पूरा) यक़ीन है, कि जो लोग अक़्ल और इल्म पर ज़्यादा भरोसा रखते हैं। मेरी इस सरगुज़िश्त (माजरा) को सुनकर हँसेंगे। लेकिन मसीही ईमानदारों के नज़्दीक ये बात ना-मुम्किनात से नहीं होगी। क्योंकि अक्सर कई एक वाक़ियात उन के तजुर्बे से गुज़रे होंगे। Prayer is Two Edge Sword दुआ यानी दो धारी तल्वार […]

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हमारे लिए एक लड़का तवल्लुद हुआ

हमारे लिए एक लड़का तवल्लुद (पैदा) हुआ। और हमको एक बेटा बख़्शा गया। और सल्तनत उस के कांधे पर होगी। और वो इस नाम से कहलाता है। अजीब, मुशीर, ख़ुदा-ए-क़ादिर अबदीयत का बाप। सलामती का शहज़ादा, उस की सल्तनत के इक़बाल (ख़ुश-क़िस्मती) और For to us a child is born हमारे लिए एक लड़का तवल्लुद […]

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दर्स

तब पौलुस अरयुपगस के बीच खड़ा होके बोला, “ऐ अथेने वालो मैं देखता हूँ, कि तुम हर सूरत से द्यूतों (देवतों) के बड़े पूजने वाले हो। 22 क्योंकि मैंने सैर करते और तुम्हारे माबूदों पर नज़र करते हुए एक क़ुर्बान-गाह पाई जिस पर ये लिखा था, कि नामालूम ख़ुदा के लिए पस जिसको तुम बेमालूम […]

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मौत

नसीम-ए-सहरी (सुबह की हवा) के ठंडे ठंडे झोंकों ने ख़फ़तगान ख़्वाब-ए-नाज़ को चौकन्ना (होशियार) किया। मूअज़्ज़न की अज़ान ने नमाज़ सुबह के वास्ते नमाज़ियों को मुतवज्जोह किया। अल-सलात ख़ैर मिनल-नौम की सदा सुनते ही नमाज़ी कुलबुला कर उठ बैठे। Death मौत By One Disciple एक शागिर्द Published in Nur-i-Afshan Dec 21, 1894 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 21 […]

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दूसरी न्यू डाल नहीं सकता

एक ग़ैर-मुक़ल्लिद (तक़्लीद करने वाला, पैरौ) मुहम्मदी ताअलीम याफ्ता ने ये सवाल किया था, कि अगर “हम मसीह और मुहम्मद दोनों पर ईमान रखें तो क्या क़बाहत (बुराई) है?” वो शख़्स इसी एतिक़ाद (यक़ीन) पर मुत्मइन है। और अक्सर ये भी कहता है, कि “मैं मसीह For no other foundation can lay दूसरी न्यू डाल […]

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