मसीही होना क्या है?
What is the meaning of Christian? मसीही होना क्या है? By Mohan Lal मोहन लाल Published in Nur-i-Afshan Dec 19, 1889 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 11 दिसंबर, 1890 ई॰ 4-5 माह अर्सा गुज़रता है शहर बोस्टन (वाक़ेअ अमरीका) अख़्बार ज़ाइन हरलिड ने एक सर्कुलर छठी यूरोप और अमरीका के मशहूर आलिम फ़ाज़िल मसीहियों की ख़िदमत में भेज […]
मुहम्मद साहब या जनाब-ए-मसीह
Jesus or Muhammad मुहम्मद साहब या जनाब-ए-मसीह By One Disciple एक शागिर्द Published in Nur-i-Afshan June 05, 1884 नूर-अफ़शाँ मत्बुआ 5 जून 1884 ई॰ हवाला मतन (इस्तिस्ना 18:15) “ख़ुदावंद तेरा ख़ुदा तेरे लिए तेरे ही दर्मियान से तेरे ही भाईयों में से मेरी मानिंद एक नबी क़ायम करेगा तुम उसकी तरफ़ कान धरो।” इसके अलावा […]
मुसलमान और उनके बाज़ारी वाअ्ज़
Muslim’s and their Sermons मुसलमान और उनके बाज़ारी वाअ्ज़ By Hanif Masih हनीफ़ मसीह Published in Nur-i-Afshan June 19, 1884 नूर-अफ़शाँ मत्बुआ 19 जून 1884 ई॰ नाज़रीन को याद होगा कि हम कई एक मर्तबा ये कह चुके हैं कि सदाक़त का एक नेचुरल उसूल है कि ख़ुद को सात पर्दों में से ज़ाहिर कर […]
जिहाद क़ुरआनी और अदालती इन्साफ़
Quranic Jihad and Judicial Justice जिहाद क़ुरआनी और अदालती इन्साफ़ By One Disciple एक शागिर्द Published in Nur-i-Afshan Feb 14, 1884 नूर-अफ़शाँ नत्बुआ 14 फरवरी 1884 ई॰ ज़माना तरक़्क़ी करता है और जो लोग इसकी रफ़्तार तरक्क़ी को ब-नज़र-ग़ौर मुआइना करते हैं वो ज़माना के साथ चलते हैं। जिस क़िस्म का ज़माना होता जाता है […]
मसीह के कयामती और जलाल वाले जिस्म
Resurrected body of Jesus मसीह के कयामती और जलाल वाले जिस्म By One Disciple एक शागिर्द Published in Nur-i-Afshan May 15, 1884 नूर-अफ़शाँ मत्बुआ 15 मई 1884 ई॰ वो बदन जिसके साथ जनाब-ए-मसीह मुर्दों में से जी उठा दर-हक़ीक़त वही बदन था जो सलीब पर खींचा गया। ये बात सलीब की मेख़ों और निशानों से […]
तास्सुब ! तास्सुब ! ! तास्सुब !!!
The Bigotry तास्सुब ! तास्सुब ! ! तास्सुब !!! By Jameel Singh जमील सिंह Published in Nur-i-Afshan May 28, 1884 नूर-अफ़शाँ मत्बुआ 28 मई 1884 ई॰ चंद रोज़ हुए कि मैं बाज़ार में मुत्तसिल (मिला हुआ, नज़दीक, क़रीब) मंडी वाज़ कर रहा था इत्तिफ़ाक़न मौलवी महमूद शाह साहब जो हज़ारा वाले के नाम से मशहूर […]
सिकंदरीया के कुतुबख़ाना की तबाही और इस्लाम
The Destruction of Alexandria Library and Islam सिकंदरीया के कुतुबख़ाना की तबाही और इस्लाम By One Disciple एक शागिर्द Published in Nur-i-Afshan May 21, 1884 नूर-अफ़शाँ मत्बुआ 21 मई 1884 ई॰ जब सिकंदरीया पर अहले इस्लाम का तसल्लुत हो गया और अमरो सिपहसालार उस जगह का नाज़िम मुक़र्रर हुआ तो उसने फ़ैलफ़ोनस सिकंदरीया के नामी […]
आईना मुस्हफ़
The Mirror आईना मुस्हफ़ By One Disciple एक शागिर्द Published in Nur-i-Afshan May 08, 1884 नूर-अफ़शाँ मत्बुआ 8 मई 1884 ई॰ लूदियाना के विलायतों (बैरून-ए-मुल्क के बाशिंदे) में ब्याह की रात एक रस्म मुक़र्रर है जिसको आईना मुस्हफ़ कहते हैं और वो यूं है कि जब दुल्हा पहली दफ़ाअ ससुराल में बुलाया जाता है तो […]
मसीह का जी उठना
The Resurrection of Jesus मसीह का जी उठना By One Disciple एक शागिर्द Published in Nur-i-Afshan May 01, 1884 नूर-अफ़शाँ मत्बुआ यक्म मई 1884 ई॰ पिछले महीने में यानी माह अप्रैल की तेरहवीं (13) तारीख़ में मसीही जमाअत के बहुत लोगों ने ख़ुदावंद यसूअ़-मसीह के जी उठने की यादगारी का त्यौहार मनाया इस त्यौहार का […]
रफ़ीक़ मुहाजरत
I will send him to you रफ़ीक़ मुहाजरत John 16:7-8 By Kidarnath केदार नाथ Published in Nur-i-Afshan Dec 19, 1889 नूर-अफ़शाँ मत्बुआ यक्म दिसम्बर 19 ,1889 “लेकिन मैं तुम से सच कहता हूँ कि मेरा जाना तुम्हारे लिए फ़ाइदेमंद है क्योंकि अगर मैं ना जाऊं तो वो मददगार तुम्हारे पास ना आएगा लेकिन अगर जाऊंगा […]
मेरी चार आने वाली इन्जील
Gospel I Have Bought For Four Cents मेरी चार आने वाली इन्जील By Kadarnath कीदारनाथ Published in Nur-i-Afshan Feb 19, 1891 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 19 फरवरी 1891 ई॰ अज़ीज़ो दोस्तो ! ये मेरी चार आने वाली इन्जील वही इन्जील है जिसको मैंने उस हालत में मोल लिया जब कि मैं शरारत और बेईमानी से इन्जील का […]
मज़ाहिरे हक़
Mazahr-e-Haq मज़ाहिरे हक़ By One Disciple एक शागिर्द Published in Nur-i-Afshan March 5, 1891 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 5 मार्च 1891 ई॰ जिल्द सोम, किताब-उल-जिहाद सफ़ा 345 में लिखा है कि उन लोगों की निस्बत जो जिहाद में मारे जाते हैं। “हज़रत ने फ़रमाया, कि उनकी रूहें सब्ज़ परिंदे जानवरों के शिकम में रहती हैं और उनके […]