ख़ातिरजमा रखो
ये कौन है जिसके मुँह से ऐसी अजीब बात निकली जो दुनिया के शुरू से हरगिज़ किसी ख़ाक के पुतले से सुनने में ना आई? कौन ऐसा हुआ जिसने आप को दुनिया से बेदाग़ बचा रखा और हरचंद इस दुनिया के सरार ने उस की सारी शानो-शौकत और बादशाहतें उस को दिखलाइं और सिर्फ अपने […]
सलीब का पैग़ाम
इन्जील-ए-मुक़द्दस सलीब का कलाम है, जिसमें गुनाहगार बेकस और लाचार बनी-आदम को सलीब के ज़रीये से नजात की फ़हर्त बख्श (ख़ुशी देने वाला) ख़बर दी गई है। शरीअत की उदूल-हुक्मी के सबब से मौत अबदी हलाकत और दोज़ख़ गुनाहगारों का हिस्सा ठहरी है। लेकिन सलीब के सबब से ज़िंदगी अबदी आराम और बहिश्त का दरवाज़ […]
अब्राहाम के दो बेटे
ये लिखा हुआ कि अब्रहाम के दो बेटे थे। एक लौंडी से दूसरा आज़ाद से पर जो लौंडी से था, जिस्म के तौर पर। और जो आज़ाद से था सौ वाअदे के तौर पर पैदा हुआ। (ग़लतीयों 4:22-23) इन बातों का मुफ़स्सिल बयान तालिब हक़ मूसा की किताब अल-मौसुम बह पैदाइश के 16 बाब से […]
बनी आदम पर निगाह
ख़ुदा-ए-क़ुद्दूस की नज़र में बनी-आदम की गुनाह आलूदा हालत की निस्बत ये एक ऐसे शख़्स की शहादत (गवाही) है। जो मुलहम (इल्हाम रखने वाला) होने के इलावा, बहैसीयत एक बड़ी क़ौम का बादशाह होने के ख़ास व आम के हालात व मुआमलात से बख़ूबी वाक़िफ़। और तजुर्बेकार था। और ये ना सिर्फ उसी की शहादत […]
ख़ुदा से लड़ने वाले
ग़मलीएल फ़रीसी एक मुअज़्ज़िज़ मुअल्लिम शरीअत की उम्दा व मस्लिहत आमेज़ सलाह में जो उसने क़ौमी ख़ैर-ख़्वाही व हम्दर्दी के जोश में अपने अकाबिर (बड़े लोग) क़ौम को दी। आयात मज़्कूर बाला की बातें अठारह सौ बरस से कैसा साफ़ सबूत दिखा रही हैं। और मुवाफ़िक़ व मुख़ालिफ़ तूअन व कराहन (चार व नाचार, जबरन, […]
दुनिया में मज़ाहिब की आमद व रफ़्त की क्या वजह है?
क्योंकि मुशाहिदे से मालूम होता है कि वो ऐसे नहीं बने हैं कि एक आलमगीर मज़्हब होने के क़ाबिल हो सकें और ना उनके बानीयों की ये ग़र्ज़ ही थी। हर एक मज़्हब जो इन्सान की सीरत का बानी नहीं है, वो आलमगीर हो ही नहीं सकता। मज़्हब का अस्ल मंशा (मक़्सद) ना समझने के […]
रूह-उल-क़ुद्दुस तुम पर नाज़िल होगा
“लेकिन जब रूह-उल-क़ुद्दुस तुम पर आएगी तो तुम क़ुव्वत पाओगे। और यरूशलेम और सारे यहूदिया व सामरिया में, बल्कि ज़मीन की हद तक मेरे गवाह होगे।” (आमाल 1:8) The Holy Spirit will come upon you रूह-उल-क़ुद्दुस तुम पर नाज़िल होगा By One Disciple एक शागिर्द Published in Nur-i-Afshan Jan 12, 1891 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 12 जनवरी […]
सारे आदमी नजात पाएं
इस में शक नहीं कि ज़माना-ए-हाल में अक्सर आदमी ना सिर्फ यूरोप व अमरीका में बल्कि हिन्दुस्तान और दीगर ममालिक में ऐसे मुल्हिद व बेदीन (काफ़िर) पाए जाते हैं। जो दुनिया में बे उम्मीद और बे ख़ुदा हो कर अपनी ज़िंदगी बसर करते। और बिल-आख़िर कफ़-ए-अफ़्सोस (पछताना) मलते हुए बिला चारी मौत के क़ब्ज़े में […]
काम की मुहब्बत
पिछले आर्टीकल में हमने जोश का कुछ ज़िक्र किया था। अब हम नाज़रीन की ख़िदमत में एक और बात पेश करते हैं। जो इरादे को फ़ेअल में लाने के लिए हिम्मत और जोश की तरह लाज़िमी है। और वो Love of Work काम की मुहब्बत By Talib तालिब Published in Nur-i-Afshan Dec 17, 1891 ननूर-अफ़्शाँ […]
हमारी ज़िंदगी और अय्यूब की ज़िंदगी
उस के चाल चलन की बाबत लिखा है कि वो ख़ुदा से डरता और बदी से बाज़ रहता था। ख़ुदा ने भी उस को बहुत बढ़ाया। उस के सात बेटे और तीन बेटियां थीं। और उस के माल की बाबत ज़िक्र है कि उस के पास सात हज़ार भेड़ें और तीन हज़ार ऊंट, पाँच सौ […]
ये सब देखो
“ये सब देखो” यानी मसीह के आने की अलामतें। मिनजुम्ला (तमाम) जिनके ये कि “झूठे मसीह और झूठे नबी उठेंगे। और ऐसे बड़े निशान और करामातें (अनोखापन) दिखाएँगे कि अगर हो सकता तो बर्गज़ीदों को भी गुमराह करते।” हम आजकल अपने ही मुल्क में कैसा साफ़ देख रहे हैं कि कोई मह्दी अपने को ज़ाहिर […]