क़ुरआन से इंजील की क़दामत

The Reliability of the Gospel from Quran क़ुरआन से इंजील की क़दामत By Kidarnath केदारनाथ Published in Nur-i-Afshan April 25, 1889 मत्बूआ 25, अप्रैल 1889 ई॰ वाज़ेह होकर ईसाई उलमा ने कमाल तहक़ीक़ात कर के बख़ूबी साबित कर दिया है कि इंजील मुरव्वजा हाल वही इंजील है जो (96 ई॰) तक तस्नीफ़ हो कर तमाम […]

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वह तीसरे दिन मुर्दों में से फिर जी उठा

He was raised on the third day वह तीसरे दिन मुर्दों में से फिर जी उठा By Rev,K.C.Chatterji पादरी के॰ सी॰ चटर्जी, Published in Nur-i-Afshan May 30, 1889 मत्बूआ 30, मई 1889 ई॰v बाअज़-बाअज़ मसीह कलीसिया में चंद रोज़ हुए इस्टर की नमाज़ हुई और अब भी इतवार की नमाज़ में इस्टर के ऊपर इशारा […]

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अबू सहल मसीही

Abu Sehal अबू सहल मसीही 3rd Century Christian Scholar By Ihsam-U-Din इह्शाम-उद-दीन Published in Nur-i-Afshan Dec 04, 1890 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 4 दिसंबर, 1890 ई अबू सहल एक निहायत मशहूर मसीही तबीब का लड़का था। हिज्री तीसरी सदी के वस्त में पैदा हुआ। साहब नामा दनशूरान नासरी लिखते हैं कि इस का इल्म व अमल दोनों […]

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एक मुहम्मदी और ईसाई के सवाल व जवाब

Christian and Muslim Dialog एक मुहम्मदी और ईसाई के सवाल व जवाब By M.D एम॰ डी॰ Published in Nur-i-Afshan Dec 16, 1890 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 16 अक्तूबर, 1890 ई॰ मुसलमान : क्यों साहब “आपकी इंजील में लिखा है कि मुबारक वो हैं जो सुलह कराने वाले हैं।” बात तो अच्छी मालूम होती है लेकिन क्या सब […]

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इख्तिलाफ़ात क़ुरआनी

Contradictions in the Quran इख्तिलाफ़ात क़ुरआनी By Alfred अल-फ्रेड Published in Nur-i-Afshan Dec 11, 1890 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 11 दिसंबर, 1890 ई नूर-अफ़्शाँ नंबर 39 मत्बूआ 25, सितंबर 1890 ई॰ के सफ़ा 4 में भाई खैरुल्लाह साहब ने इख्तिलाफ़ क़ुरआनी पर हमला किया मुहम्मदी पसपा हुए पर अफ़्सोस कि आपने फ़क़त तीन ही इख्तिलाफ़ दिखाए चाहीए […]

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अह्दे-जदीद क्योंकर फ़राहम किया गया?

How did we get the Gospel? अह्दे-जदीद क्योंकर फ़राहम किया गया? By One Disciple एक शागिर्द Published in Nur-i-Afshan Dec 18, 1890 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 18 दिसंबर, 1890 ई॰ वो कौन सी बात है जो इस किताब में और दूसरी किताबों में फ़र्क़ व इम्तियाज़ करती है? ये किस की किताब है? किस ने इस को […]

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मज़्हबी पेशावर

Religious Worker मज़्हबी पेशावर By One Disciple एक शागिर्द Published in Nur-i-Afshan Dec 06, 1890 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 6 नवम्बर, 1890 ई॰ हमारे उन्वान से नाज़रीन मुतअज्जिब होंगे और ख़्याल करेंगे कि मज़्हबी पेशावर कौन होते हैं और उन से क्या मुराद है? बेहतर होगा कि हम इस मतलब को एक हंगामें की कैफ़ीयत का मुख़्तसर […]

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ख़ुद इन्कारी

Self-Denying ख़ुद इन्कारी By Kidarnath केदारनाथ Published in Nur-i-Afshan Dec 18, 1890 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 18 दिसंबर, 1890 ई॰ पस जब हम ईमान से रास्तबाज़ ठहरे तो ख़ुदा के साथ अपने ख़ुदावंद यसूअ मसीह के वसीले से सुलह रखें। (रोमीयों 5:1) रोमीयों के ख़त की तफ़्सीर देखने से मालूम होता है कि पौलुस रसूल ने ये […]

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रुहानी ऑक्सीजन

Spiritual Oxygen रुहानी ऑक्सीजन By Nasir नासिर Published in Nur-i-Afshan Oct 09, 1890 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 9 अक्टूबर, 1890 ज़माना-ए-हाल में साईंस का चिराग़ घर-घर रोशन है। इल्म तबीअयात के रिसाले मकतबों में पढ़ाए जाते हैं। इसलिए ज़रूर नहीं कि हम अपने नाज़रीन को ऑक्सीजन की निस्बत इब्तिदाई सबक़ सिखाना शुरू करें। हर-चंद इस गैस से […]

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तबीयत

The Temperament in Christianity and Islam तबीयत By Alfred अल-फ्रेड Published in Nur-i-Afshan Dec 04, 1890 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 4 दिसंबर, 1890 ई॰ मसीही तबीयत और मुहम्मदी तबीयत में बड़ा फ़र्क़ है बल्कि मसीही तबीयत और दीगर कुल मज़ाहिब की तबीयत में आस्मान व ज़मीन का फ़र्क़ पाया जाता है जो हर एक ग़ैर-मुतअस्सिब आदमी बाआसानी […]

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तस्लीस फ़ील-तौहीद व तौहीद व तस्लीस

The Trinity तस्लीस फ़ील-तौहीद व तौहीद व तस्लीस By One Disciple एक शागिर्द Published in Nur-i-Afshan Nov 06, 1890 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 6 नवम्बर, 1890 ई॰ नूर के शआअ़ का एक हिस्सा लैम्प के चिमनी (शीशे का कौर) के जोफ़ (चिमनी के अंदर का हिस्सा) में होता है। दूसरा हिस्सा चिमनी के अंदर और तीसरा हिस्सा […]

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मसीही होना क्या है?

What is the meaning of Christian? मसीही होना क्या है? By Mohan Lal मोहन लाल Published in Nur-i-Afshan Dec 19, 1889 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 11 दिसंबर, 1890 ई॰ 4-5 माह अर्सा गुज़रता है शहर बोस्टन (वाक़ेअ अमरीका) अख़्बार ज़ाइन हरलिड ने एक सर्कुलर छठी यूरोप और अमरीका के मशहूर आलिम फ़ाज़िल मसीहियों की ख़िदमत में भेज […]

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