अंजीर की तम्सील
PARABLE OF FIG TREE अंजीर की तम्सील By Editorial ऐडीटर Published in Nur-i-Afshan Jan 29, 1891 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 29 जनवरी 1891 ई॰॰ जनाब-ए-मसीह की ये तम्सील बतौरे ख़ास क़ौम यहूद से और बतौरे आम मसीहीयों और ग़ैर-मसीहीयों जुम्ला आदमजा़द से इलाक़ा रखती है। अगरचे हमारे मसीही नाज़रीन ने इस तम्सील को अक्सर इन्जील मुक़द्दस में […]
ख़ुलासा अल-मसाईब
Summary of Troubles ख़ुलासा अल-मसाईब By G.L.Thakur Dass अल्लामा जी॰ एल॰ ठाकुरदास Published in Nur-i-Afshan Feb 12, 1891 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 12 फरवरी 1891 ई॰ ख़ुलासा अल-मसाईब में रिवायत है कि एक रोज़ मुहम्मद साहब हुसैन के गले के बोसे लेते थे तो उन्हों ने पूछा, ऐ नाना क्या बाइस है आप मेरे गले को चूमते […]
वाक़ियात तौरेत व क़ुरआन में सरीह मुख़ालिफ़त
The Contradictory Events of Torah and Quran वाक़ियात तौरेत व क़ुरआन में सरीह मुख़ालिफ़त By One Disciple एक शागिर्द Published in Nur-i-Afshan Jan 8, 1891 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 8 जनवरी 1891 ई॰ तफ़्सीर क़ादरी तर्जुमा तफ़्सीर हुसैनी में लिखा है, कि हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम के क़िस्से में और उर्याह की औरत के साथ आपके निकाह करने […]
आदम की पैदाइश और क़ुरआन
Creation of Adam and Quran आदम की पैदाइश और क़ुरआन By One Disciple एक शागिर्द Published in Nur-i-Afshan Mar 19, 1891 नूर-अफ्शां मत्बूअ़ 19 मार्च 1891 ई॰ ई॰ सूरह अल-बक़र रुकूअ़ 3 में पैदाइश आदम की बाबत लिखा है, “और जब कहा तुम्हारे रब ने वास्ते सब फ़रिश्तों के कि “बेशक में पैदा करने वाला […]
क़ुरआन कि बाबत एक आलिम अरब की राय
The Opinion of an Arab Scholar about the Quran क़ुरआन कि बाबत एक आलिम अरब की राय By Baajwa बाजवा Published in Nur-i-Afshan Feb 19, 1891 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 19 फरवरी 1891 ई॰ ख़लीफ़ा मामून के अहद में जो जवाब अब्दुल्लाह वल्द इस्माईल हाश्मी को अब्दुल मसीह वल्द इस्हाक़ किन्दी ने दिया, उस में वो लिखता […]
अस्ल ख़ुशी क्या है?
WHAT IS REAL JOY? अस्ल ख़ुशी क्या है? By Nardwalia नारदवालिया Published in Nur-i-Afshan March 5, 1891 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 5 मार्च 1891 ई॰ अगर बनज़र ग़ौर देखा जाये तो ज़ाहिरी ख़ुशीयां जिनकी तरफ़ हर एक इन्सान रग़बत और ख़्वाहिश से देखता है और उस के हासिल होने पर नाज़ाँ व फ़रहां होता है। दौलत, इज़्ज़त, […]
उस के आने का वाअ़दा कहाँ?
WHERE IS THE PROMISE OF HIS COMING? उस के आने का वाअ़दा कहाँ? 2-Peter 3:4 By Jaswant Singh जसवंत सिंह द Published in Nur-i-Afshan Jan 1, 1891 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 1 जनवरी 1891 ई॰ (2 पतरस 3:4) नाजरीन कलीसिया ने चार इतवार मुक़र्रर किए हैं ताकि मसीह की दूसरी आमद की यादगारी व तैयारी हो। सबब […]
क्योंकि तेरी नस्ल इज़्हाक़ से कहलाएगी
Your Descendants Will Be Called Isaac Genesis 21:12 क्योंकि तेरी नस्ल इज़्हाक़ से कहलाएगी पैदायश 21 बाब 12 आयत By One Disciple एक शागिर्द Published in Nur-i-Afshan Jan 1, 1891 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 1 जनवरी 1891 ई॰ मुस्लिम भाई साहिबान मसीहीयों के सामने दीनी गुफ़्तगु में इब्राहिम के बेटे इस्माईल की बड़ी क़द्रो-मंजिलत बयान किया करते […]
और उस औरत से कहा
And He Said To Her By One Disciple एक शागिर्द Published in Nur-i-Afshan April 30, 1891 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 30 अप्रैल 1891 ई॰ और उस औरत से कहा, तेरे गुनाह माफ़ हुए। (लूक़ा 7:48) नूर-अफ़्शां मतबूआ 16 अप्रैल के ऐडीटोरीयल कालम में नाज़रीन ने पढ़ा होगा कि ख़ुदावंद मसीह ने यही बात एक मफ़लूज आदमी के […]
तौरेत व क़ुरआन के सरीह मुख़ालिफ़ वाक़ियात
Contradictory Incidents of Torah and Quran By One Disciple एक शागिर्द Published in Nur-i-Afshan January 8, 1891 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 8 जनवरी 1891 ई॰ तफ़्सीर कादरी तर्जुमा तफ़्सीर हुसैनी में लिखा है कि, हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम के क़िस्से में और ऊरियाह की औरत के साथ आप के निकाह करने में बहुत इख़्तिलाफ़ है। बाअज़ मुफ़स्सिरों ने […]
दुनिया का नूर
Light of the World By One Disciple एक शागिर्द Published in Nur-i-Afshan April 23, 1891 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 23 अप्रैल 1891 ई॰ यसूअ ने फिर उन से मुख़ातिब हो कर कहा “दुनिया का नूर मैं हूँ। जो मेरी पैरवी करेगा वो अंधेरे में ना चलेगा।” (यूहन्ना 8:12) “दुनिया का नूर मैं हूँ।” ये दाअ्वा ऐसा भारी […]
ऐ आदमी ! तेरे गुनाह माफ़ हुए
Men Your Sins Are Forgiven By One Disciple एक शागिर्द Published in Nur-i-Afshan May 16, 1891 नूर-अफ़्शाँ मत्बूआ 16 अप्रैल 1891 ई॰ “ऐ आदमी ! तेरे गुनाह तुझे माफ़ हुए।” (लूक़ा 5:20) ये कौन है जिसके इस कलाम पर फ़क़ीह और फ़रीसी ख़्याल करने लगे कि, “ये कौन है जो कुफ़्र (बेदीनी के अल्फ़ाज़) बकता […]