पैदाइश 28:10-15
अब हम सीढ़ी पर ग़ौर करते हैं। यूहन्ना 1:15 के लिहाज़ से अगरचे इस सीढ़ी से इब्ने आदम मुराद है। पर हमारी राय में यहां सीढ़ी को सलीब से ज़्यादा मुनासबत पाई जाती है। क्योंकि वो मिलाप जो ख़ुदा और इन्सान में अज सर-ए-नौ फिर क़ायम हुआ वो इब्ने आदम के वसीले से है। लेकिन […]
दुश्मने मसीहियत
सब के सब एक ही से हैं । पस शेख़ अहमद कोईलम नव मुस्लिम का ये क़ौल, कि हम मुसलमान लोग मसीह की हद से ज़्यादा ताज़ीम करते हैं। कई वजह से बातिल (झूट) है। और अंग्रेज़ी हुक्काम को धोखा देने के सिवाए मह्ज़ आतल। अव्वलन, क़ुरआन की मुन्दरिजा बाला ताअलीम के ख़िलाफ़ है। The […]
क़ुरआन क्या है?
कहीए जनाब कैसी दलील सुनाई। लाए मुसाफ़ा (हाथ मिलाना) कीजिए। اللّٰہم صَلِّ पानी पी के लौटा रख दो। खटीया (चारपाई) के तले। मन्तिक़ (दलील) ने नातिक़ा (बोलने की ताक़त) बंद किया। अताए तौबा लकाए तो वाला जवाब दिया। क्या सबब कि तौरेत मूसा से रक़म हुई। ज़बूर दाऊद से ज़ेरे क़लम हुई। सहाईफ़ के मुसन्निफ़ […]
गुनेहगारों को क़ुबूल करता है
अगरचे ख़ुदावन्द येसू मसीह जिस्म की निस्बत क़ौम यहूद में से था। जो अपनी क़ौम के सिवा तमाम आदमजा़द को गुनेहगार, नापाक बल्कि मिस्ल सग (कुत्ते की तरह) समझते थे। मगर चूँकि वो तमाम बनी-आदम का नजातदिहंदा और सारे गुनेहगारों का ख्वाह यहूदी हों या ग़ैर क़ौम बचाने वाला था। He Accept the Sinners गुनेहगारों […]
मुझसे सीखो
गुज़श्ता ईशू में हमने एक नमूने की ज़रूरत का ज़िक्र किया। जिसको पेश-ए-नज़र रखकर और जिसके नक़्श-ए-क़दम पर चल कर बिगड़ा और गिरा हुआ इन्सान सुधर सके। और इन्सानियत के दर्जा आला पर सर्फ़राज़ हो कर क़ुर्बते इलाही के लायक़ बन सके। लेकिन ऐसे नमूने की तलाश अगर आदम से ताएं दम जिन्स बशर में […]
मसीह पर ईमान लाने से रास्तबाज़ गिना जाता है
मसीही मज़्हब और दीगर मज़ाहिब दुनिया में ये एक निहायत अज़ीम फ़र्क़ है। कि वो गुनेहगार इन्सान की मख़लिसी व नजात और हुसूल-ए-क़ुर्बत (नज़दिकी) व रजामंदी इलाही को उस के आमाल हसना का अज्र व जज़ा नहीं ठहराता। बल्कि उस को सिर्फ इलाही फ़ज़्ल व बख़्शिश ज़ाहिर करता है। जबकि दीगर मज़ाहिब ताअलीम देते हैं, […]
वो नजात पाएं
नाज़रीन नूर अफ़्शां को मालूम हुआ, कि हम मसीहियों में ये दस्तूर-उल-अमल है। कि नए साल के शुरू में बमाह जनवरी एक हफ़्ता बराबर मुख़्तलिफ़ मक़ासिद व मुतालिब पर ख़ुदा से दुआ मांगें। मसलन अपने गुनाहों का इक़रार।” ख़ुदा की नेअमतों का शुक्रिया, रूहुल-क़ुद्दुस की भर पूरी, उस के कलाम के फैलाए जाने की ख़्वाहिश […]
मसीह गुनेहगारों का कफ़्फ़ारा
मसीह के कफ़्फ़ारा होने का ज़िक्र इन्जील में बहुत जगह है। चुनान्चे मिन-जुम्ला इस की चंद आयतें बयान की जाती हैं इफ़िसियों का ख़त 5 बाब 2, आयत जिसमें पौलूस रसूल यूं लिखता है तुम मुहब्बत से चलो जैसा मसीह ने हमसे मुहब्बत की। और ख़ुशबू के लिए हमारे एवज़ में अपने तईं ख़ुदा के […]
मसीह इब्ने-अल्लाह ख़ुदा, कफ़्फ़ारा, ख़ातिम-उन-नबिय्यीन है
ये चारों बातें ईसाईयों के अक़ीदे का एक जुज़्व हैं। और बड़ी मुश्किल हैं और इसलिए हिंदू व मुसलमान वग़ैरह इस में लग़्ज़िश (ख़ता, लर्ज़िश) खाते हैं। और इस पर मोअतरिज़ (एतराज़ करने वाले) होते हैं। चंद रोज़ हुए कि अख़्बार मंशूर मुहम्मदी में भी एक मज़्मून इसी बिना पर एक शख़्स मुसम्मा मलिक शाह […]
मसीह ख़ातिम-उन्नबीय्यीन नहीं
ये कलाम जो पेशानी (काग़ज़ का बालाई हिस्सा जो इबारत से ऊपर ख़ाली छोड़ दिया जाये) पर लिखी गई। आख़िरी हिस्सा मज़्मून मलिक शाह साहब में दर्ज है। और इस की निस्बत उन्होंने ज़ोर व शोर किया है। अगर इस से उनका ये मतलब है कि मसीह आख़िरी नबी नहीं है। यानी नबुव्वत उस पर […]
मसीह पर ईमान रखने का बयान
ईमान की ख़ासियत और उस की हद पाक कलाम के हर एक वर्क़ में उम्दा अलामात ईमान की बयान की गई हैं। और जो तासीरात उस की गुरु हागर वह ख़ल्क़त ने बयान की हैं वो सब बजा हैं। लेकिन जब बयान बाइबल के मुताबिक़ जब तक मसीह पर ईमान ना हो तब तक फ़िल-हक़ीक़त […]
दीन-ए-ईस्वी सब के लिए है
चंद रोज़ हुए एक तर्बीयत याफ्ताह हिंदू रईस ने हमसे बयान किया। मसीह अख़्लाक़ी मुअल्लिमों में से सबसे अच्छा था और हर एक बात जो उसने फ़रमाई आपके लिए सच्च व रास्त (दुरुस्त, ठीक) है। लेकिन ये ताअलीम हमारे लिए ना थी। बाइबल में कहीं नहीं लिखा कि वो हमारे लिए थी। ख़ैर देखा जाएगा […]