अच्छा गडरिया
कलाम-उल्लाह के अक्सर मुक़ामात में ख़ुदा तआला को गडरीए या चौपान से और उस के ईमानदार बंदों को भेड़ों से तश्बीह दी गई है और जमाअत-ए-मोमिनीन (ईमानदारों की जमाअत) को गल्ला कहा गया है, चुनांचे दाऊद नबी ने फ़रमाया कि “ख़ुदावंद मेरा चौपान है मुझको कुछ कमी नहीं” और अपने आपको भेड़ से तश्बीह देकर […]
अहले फ़िक्र पर बाइबिल का इस्तक़ाक़
बाइबल एक यूनानी लफ़्ज़ है जिसके मअनी हैं (दी बुक) अल-किताब। स्कॉटलैंड के मशहूर नावेलिस्ट और शायर सर वाल्टर स्कॉट साहब ने जब हालत-ए-नज़ा (मरने की हालत) में थे अपने रिश्तेदार लॉकहर्ट से कहा कि मेरे पास (दी बिक) अल-किताब ले आओ, लाकहर्ट हैरान था कि मैं कौनसी किताब ले जाऊं और इधर-उधर झांक रहा […]
बाप किसी शख़्स की अदालत नहीं करता
मालूम नहीं कि उलूहियत व इब्नियत (शान-ए-ख़ुदावंदी और ख़ुदा का बेटा) मसीह के मुन्किरों (इन्कार करने वाले) ने इन्जील यूहन्ना की आयात मुन्दर्जा बाला के मअनी व मतलब पर कभी ग़ौर व फ़िक्र किया है या नहीं? जो लोग मसीह को एक उलुल-अज़्म (बुलंद इरादे वाले, साहिब-ए-अज़्म) नबी समझते हैं और बस या वो जो […]
तुम्हारा दिल न घबराए
ख़ुदावन्द मसीह ने ये तसल्ली बख़्श बातें ईद-ए-फ़सह के मौक़े पर शाम का खाना खाने के बाद अपने शागिर्दों से कहीं। क्योंकि वो उस पेश-ख़बरी को सुन कर कि “एक तुम में से मुझे पकड़वाएगा” और ये कि “मैं थोड़ी देर तक तुम्हारे साथ हूँ तुम मुझे ढूँढोगे और जहां मैं जाता हूँ तुम नहीं […]
जिस तरह आस्मान से बारिश होती है
“जिस तरह आस्मान से बारिश होती और बर्फ़ पड़ती है और फिर वो वहां नहीं जाती बल्कि ज़मीन को भिगोतीं हैं और इस की शादाबी और रोईदगी (उगना) का बाइस होते हैं ताकि बोने वाले को बीज और खाने वाले को रोटी दे, इसी तरह मेरा कलाम जो मेरे मुँह से निकलता है होगा। वो […]
खराब दुनिया
ख़ुदावन्द का बंदा पौलूस अहले गलतियों को ख़त लिखते वक़्त इस ख़त के दीबाचे (तम्हीद) में हमारे मज़्मून के उन्वान के अल्फ़ाज़ लिखता है, देखो (गलितियों 1:5) अगर नाज़रीन ज़रा सा भी इस पर ग़ौरो-फ़िक्र करें तो ये बात निहायत ही सच और दुरुस्त मालूम होगी और किसी को भी इस में कलाम न होगा। […]
हज़रत दाऊद की ज़िन्दगी
और बैत-लहम के यस्सी नामी एक शख़्स के बेटों में से उस के सबसे छोटे बेटे दाऊद नामी को बादशाह होने के लिए चुन लिया और समुएल क़ाज़ी को भेजा कि उस को ममसूह (मसह) करे कि वो बादशाह हो अगर्चे यस्सी के सात बेटों में इलियाब अबी नदब और सामा वग़ैरह बड़े ख़ूबसूरत और […]
ज़रा इधर भी
कहते हैं कि किसी पहाड़ पर एक छोटा सा गांव वाक़ेअ़ था जिसमें सैटल नामी एक शख़्स रहता था और उस का एक ही बुढ़ापे का बेटा था एक सबत के दिन वो अपने बेटे को साथ लेकर एक नज़्दीक के क़स्बे में जो उस के गांव से क़रीबन चार-पाँच मील के फासले पर था […]
रूह-उल-क़ुद्दुस
ये जवाब इफिसिस शहर के उन शागिर्दों ने पौलुस रसूल को दिया था जब कि वो ऊपर के एतराफे मुल्क में इन्जील सुना कर इफिसिस में पहुंचा और उस ने पूछा, “क्या तुमने जब ईमान लाए रूह-उल-क़ुद्दुस पाई?” अगर्चे ये लोग कमज़ोर और बग़ैर रूह-उल-क़ुद्दुस पाए हुए इसाई थे तो भी शागिर्द कहलाए, क्योंकि वो […]
ज़ात का बन्धन
हिंदू लोग इस क़द्र ज़ात परस्त हैं कि जिसका कुछ अंदाज़ा नहीं ज़ात का बंधन उन के लिए सबसे बड़ा बंधन है यहां तक कि अगर वो ग़ैर-ज़ात के आदमी के साथ लग जाएं तो फ़ौरन नापाक हो जाते हैं और जब तक कि वो स्नान (नहा) न कर लें नापाक रहते हैं अपने चौके […]
सलामती तुम लोगों के लिए छोड़े जाता हूँ
इस लफ़्ज़ सलाम या सलामती का तर्जुमा बाअज़ मुतर्जिमों ने सुलह या इत्मिनान किया है लेकिन इस से मतलब में कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ता क्योंकि इन लफ़्ज़ों के मअनी क़रीब-क़रीब यकसाँ और एक ही मतलब इन से हासिल होता है, यानी ये कि जनाब-ए-मसीह ने अपने रुसूलों को उन से जुदा होने से पेश्तर अपनी […]
हज़रत सुलेमान की ज़िन्दगी
“सो देख मैंने तेरी बातों के मुताबिक़ क्या देखा कि मैंने एक आक़िल और समझदार दिल तुझको बख़्शा ऐसा कि तेरी मानिंद तुझसे आगे ना हुआ और ना तेरे बाद तुझ सा बरपा होगा।” और ख़ुदा ने ना सिर्फ उस के मांगने के मुवाफ़िक़ उसे दिया बल्कि उस से ज़्यादा ये भी बख़्शा कि वो […]